Rajasthan Politics: सुखजिंदर रंधावा राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी है. जब इनके नाम की घोषणा हुई तो कुछ लोगों को उम्मीद थी कि कुछ यहां का स्थाई हल निकलेगा. सुखजिंदर (Sukhjinder Singh Randhawa) के पूर्वज भी राजस्थान के हैं. ऐसे में कुछ लोगों ने अपने पुराने संबंध भी निकालने शुरू कर दिए. सुखजिंदर सिंह जब जयपुर पहली बार आये तो उस समय उन्हें भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होना पड़ा. राहुल गांधी के साथ यात्रा में चले भी. गोविंद सिंह डोटासरा के साथ कई बार उनकी तस्वीर भी आई. अब जब उन्हें यहां के मसलों को हल करने की बारी आई तो वो हल अभी होता नहीं दिख पा रहा है.
बारी-बारी से मिलने की चाहत नहीं हुई पूरी
राजस्थान कांग्रेस के कई नेता और विधायक अकेले-अकेले रंधावा से मिलना चाहते हैं, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है. रंधावा का आज तीसरा दिन है. आज उन्होंने तय किया था कि दोपहर में किन लोगों से मिलना है. शाम को कौन मिलेगा. यह सब पहले से ही तय हो गया है. जिन्हें अकेले में मिलना है वो नहीं मिल पाये. हालांकि, रंधावा ने कल प्रदेश की बैठक में कहा था कि मुझसे कोई भी मिल सकता है. मेरा दरवाजा खुला हुआ है. इस आधार पर कुछ लोगों ने प्रयास किया लेकिन कुछ सफलता हाथ न लगी.
7 हॉस्पिटल रोड पर बैठक
रंधावा आज 7 हॉस्पिटल रोड पर जयपुर में लोगों से मिले. कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशियों और बोर्ड/निगमों के अध्यक्ष से मुलाक़ात किये. कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्यों को समय दिया गया है. रंधावा सभी से मिलकर असलियत जानना चाहते हैं. लेकिन लोग उनसे मिलने से पहले 'गुट' को समझने में लगे हैं. आखिर किस गुट को ज्यादा तरजीह मिल रही है.
असली मुद्दे कब हल होंगे
राजस्थान कांग्रेस में असली मुद्दा है सभी जिलों में जिलाध्यक्ष तैनात किये जाए. संगठन और सरकार में चल रहे 'कोल्ड वार' की बर्फ पिघलाई जाय. जिन्हें पिछले महीने नोटिस मिला है उनपर निर्णय साफ हो, लेकिन पूरे तीन दिन बाद भी रंधावा का खाली ही दिख रहे हैं. जबकि रंधावा ने कहा था कि राजस्थान कांग्रेस की सभी समस्याएं खत्म की जाएंगी. सबसे मिलकर बेहतर माहौल बनाया जायेगा. बजट आने से पहले सरकार ने एक बार संगठन की बैठक करवा ली है. पुराने मामले ज्यों के त्यों बने हैं. अभी तक कोई हल नहीं दिखता.
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