'ऐसा लगता है कि BJP सरकार...', अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की समीक्षा को लेकर अशोक गहलोत का हमला
Rajasthan News: अशोक गहलोत ने कहा, सरकार को अगर अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में कोई कमी दिखाई दे रही है तो उन्हें सुधार के लिए कदम उठाती, लेकिन यह बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर आमादा दिखाई देती है.
Ashok Gehlot On Mahatma Gandhi English Medium School: राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की समीक्षा की तैयारी शुरू कर दी है. गहलोत सरकार के कार्यकाल में शुरू किए गए 3741 अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की समीक्षा के लिए उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में एक कैबिनेट सब कमेटी गठित की गई है. ऐसे में अब सरकार के इस फैसले पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने निशाना साधा है. उन्होंने कहा, लगता है बीजेपी सरकार ने सरकारी स्कूली शिक्षा को बर्बाद करने का संकल्प कर लिया है.
अशोक गहलोत ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट कर कहा, "ऐसा लगता है कि बीजेपी सरकार ने सरकारी स्कूली शिक्षा को बर्बाद करने का संकल्प कर लिया है. यही कारण है कि सरकारी स्कूलों के नामांकन में लाखों विद्यार्थियों की कमी हुई है. आज ही मीडिया में सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के बच्चों को यूनिफॉर्म, स्वेटर और जूते तक नहीं मिल पाने की खबरें आईं और अब सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की समीक्षा करने के लिए मंत्रिमंडलीय समिति बना दी है."
ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार ने सरकारी स्कूली शिक्षा को बर्बाद करने का संकल्प कर लिया है। यही कारण है कि सरकारी स्कूलों के नामांकन में लाखों विद्यार्थियों की कमी हुई है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 3, 2025
आज ही मीडिया में सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के बच्चों को यूनिफॉर्म, स्वेटर एवं जूते तक नहीं मिल पाने की खबरें…
सरकार पर लगाया ये आरोप
उन्होंने आगे कहा, "ऐसा लगता है कि राज्य सरकार निजी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के भारी दबाव में है. इसलिए एक साल होने के बाद ऐसा फैसला लेना पड़ा है क्योंकि इन स्कूलों में निशुल्क अथवा बेहद कम फीस में ही बच्चे अच्छी शिक्षा पा रहे थे. सरकार को अगर इन स्कूलों में कोई कमी दिखाई दे रही है तो उन्हें सुधार के लिए कदम उठाती परन्तु यह बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर आमादा दिखाई देती है."
बता दें भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष में रहते हुए अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की स्थापना पर सवाल उठाए थे. कई स्कूलों को हिंदी मीडियम से अंग्रेजी मीडियम में परिवर्तित कर दिया गया था, जिससे बच्चों और शिक्षकों को पढ़ाई-लिखाई में दिक्कतें हो रही थीं.