Rajasthan: कलेक्टर के केबिन में भीड़ लेकर पहुंचे कांग्रेस विधायक, ASI ने रोका तो करवाया सस्पेंड
भीम विधायक सुदर्शन सिंह रावत ने कलेक्टर के समक्ष आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दरबार लगाकर जनता की समस्याएं सुनते हैं. जनता के लिए शासन-प्रशासन सभी के दरवाजे खुले रहने चाहिए.
Rajasthan News: राजस्थान के राजसमंद कलेक्ट्रेट में बड़ा बवाल हो गया है. यहां भीम क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सुदर्शन सिंह रावत अपने समर्थकों के साथ कलेक्टर नीलाभ सक्सेना को ज्ञापन देने पहुंचे थे. विधायक रावत कुछ समर्थकों के साथ कलेक्टर कक्ष में चले गए लेकिन उनके साथ बड़ी संख्या में आए समर्थकों को ड्यूटी पर तैनात एएसआई ने रोक लिया. इससे विधायक खफा हो गए. उन्होंने नाराजगी जाहिर कर अभद्रता करने का आरोप लगाते हुए एएसआई रामेश्वर मीणा को सस्पेंड करने की मांग की. इत्तला पाकर एडिशनल एसपी शिवलाल बैरवा, सीओ बेनी प्रसाद मीणा, राजनगर थानाधिकारी हनवंत सिंह राजपुरोहित, कांकरोली थानाधिकारी डीपी दाधीच पुलिस बल के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे. करीब एक घंटे तक कलेक्टर चेंबर में हंगामा हुआ. विधायक के विरोध पर पुलिस अधिकारी भी मौन खड़े रहे. बाद में विधायक के विरोध को देखते हुए एसपी सुधीर चौधरी ने एएसआई को सस्पेंड कर दिया.
विधायक बोले सांसद के लिए सारे गेट खोलते हैं
भीम विधायक सुदर्शन सिंह रावत ने कलेक्टर के समक्ष आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि "मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दरबार लगाकर जनता की समस्याएं सुनते हैं. जनता के लिए शासन-प्रशासन सभी के दरवाजे खुले रहने चाहिए. सरकारी परिसर में किसी को आने से नहीं रोक सकते. लोगों को इस तरह से रोकना जनता का अपमान है. पुलिस ने लोगों के साथ अभद्रता की है." कांग्रेस विधायक ने यह भी आरोप लगाया कि "जब भाजपा सांसद आती हैं तो सारे गेट खोल दिए जाते हैं. कांग्रेस विधायक आए तो गेट बंद कर दिए जाते हैं." आपको बता दें कि विधायक रावत अपने समर्थकों के साथ उदयपुर के बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपियों को गिरफ्तार करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले शक्ति सिंह और प्रहलाद सिंह को मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार सुविधा दिलाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. मामला शांत होने के बाद उन्होंने अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.
एएसआई बोले- 'मैंने अपना फर्ज निभाया'
निलंबित एएसआई रामेश्वर मीणा ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि "मैं पुलिस लाइन में तैनात हूं और चेतक में गश्त कर रहा था. इस बीच लॉ एंड ऑर्डर की पालना का आदेश मिलते ही एसपी ऑफिस पहुंचा. वहां विधायकजी के साथ 100-150 लोग ज्ञापन देने आए थे. विधायकजी के साथ 20-25 लोग अंदर चले गए थे. उसके बाद बचे हुए सभी लोग अंदर जाने लगे तो उन्हें रोका. इस पर विधायकजी वापस आए और गुस्सा करने लगे. कलेक्टर साहब के सामने सीएम का नाम लेकर रौब दिखाया. मैंने उनके साथ कोई अभद्रता नहीं की. मैं कानून और अपने उच्चाधिकारियों के आदेशों की पालना कर रहा था. विभाग ने मुझे दोषी मानकर सस्पेंड कर दिया. यदि मुझे न्याय नहीं मिला तो हाईकोर्ट में जाऊंगा."
एसपी बोले मामले की जांच करेंगे
राजसमंद एसपी सुधीर चौधरी ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि कलेक्टर ऑफिस में विवाद का मामला सामने आया था. वीडियो के आधार पर जांच कर रहे हैं. पुलिस को निर्देश दे रखे थे कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कलेक्टर रूम में ज्यादा लोगों को नहीं जाने दें. विधायक का आरोप था कि उनके साथ बदसलूकी की गई इसलिए एएसआई को जांच होने तक सस्पेंड किया है.
निलंबन से प्रदेश की पुलिस नाराज
विधायक और पुलिस के बीच हुए विवाद और एएसआई को निलंबित करने के बाद खाकी अब राजनीति को टार्गेट करने लगी है. पूरे प्रदेश की पुलिस सस्पेंड एएसआई को बहाल करने की मांग कर रही है. पुलिस का कहना है कि ड्यूटी निभाने का यदि ऐसा ईनाम मिलेगा तो पुलिसकर्मी आहत होंगे और अपनी ड्यूटी अच्छे से नहीं कर सकेंगे. हर अधीनस्थ पुलिसकर्मी अपने उच्च अधिकारियों के आदेशों की पालना करता है. लॉ एंड ऑर्डर की पालना करना पुलिस का फर्ज है. यदि इस तरह सस्पेंड किया जाएगा तो भविष्य में पुलिस किसी भी कलेक्टर या एसडीएम ऑफिस में जाने वाली भीड़ को रोकने की हिम्मत नहीं करेगी. ऐसे में यदि प्रशासनिक अधिकारी या मौके पर कोई अनहोनी होगी तो उसका जिम्मेदार पुलिस को न ठहराया जाए.
ये भी पढ़ें