Rajasthan: अवैध खनन को लेकर कांग्रेस विधायक का अपनी ही सरकार पर तंज, बोले- 'राजस्थान कई जोशीमठों को देगा जन्म'
Rajasthan: खनन माफिया राजस्थान के अरावली पर्वत श्रृंखला से कीमती खनिजों के लिए लगातार खनन करते हैं. जिससे इस क्षेत्र की पारिस्थितिकि को गंभीर खतरा पैदा हो गया है. इसके लिए स्थानीय लोग विरोध जताते रहे.
Rajasthan Congress MLA taunts own Govt: जोशीमठ (Joshimath) आज जो देख रहा है, अगर रेगिस्तान में अवैध खनन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो 25 साल बाद राजस्थान (Rajasthan) में भी देखने को मिलेगा. यह चेतावनी एनवायरनमेंट एक्सपर्ट (Environment Expert) ने दी है. कांग्रेस विधायक भरत सिंह (Congress MLA Bharat Singh) ने प्रदेश में अवैध खनन में लिप्त लोगों की संवेदनहीनता का जिक्र करते हुए चुटकी ली. उन्होंने कहा, कई पहाड़ियां हैं जो राज्य में गायब हो गई हैं. दूसरी ओर स्थानीय लोगों द्वारा कचरा डंप करके मैदानी इलाकों में पहाड़ियों का निर्माण किया गया है.
विधायक भरत सिंह हमेशा से अवैध बालू खनन के मुद्दे पर मुखर रहे हैं और अपनी ही सरकार पर हमलावर रहे हैं. उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा और राज्य के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया को भूमाफिया करार देते हुए बर्खास्त करने की मांग की.
कांग्रेस विधायक ने अपनी ही सरकार पर लगाया ये आरोप
मीडिया से बात करते हुए सिंह ने कहा, जोशीमठ की कहानी राजस्थान में भी दोहराई जाएगी. यह दुख की बात है कि जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो सरकारों को इस मुद्दे की गंभीरता का एहसास होता है. हमारे राज्य में भी जोशीमठ की कहानी दोहराई जा रही है. प्रदेश में अवैध खनन ने कई चुनौतियां पेश की हैं, लेकिन सभी हाथ पर हाथ धरे बैठे नजर आ रहे हैं. आपदा आने पर वे नींद से जाग उठेंगे.
कांग्रेस विधायक ने आगे कहा, इस क्षेत्र में पूरी पारिस्थितिकी बदल गई है. कहानी का दुखद पहलू यह है कि ऐसे तथ्यों की आर्थिक संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, इसकी आर्थिक परिधि के तहत समीक्षा की जा रही है और इसलिए सभी ने इस अवैध कार्य में हाथ मिलाया है. संयुक्त रूप से वे पहाड़ियों को निगल रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह 23 जनवरी को जयपुर में विधानसभा सत्र शुरू होने वाले दिन खनन मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन करेंगे.
पर्यावरण कार्यकर्ता ने लगाया ये आरोप
इस बीच पर्यावरण कार्यकर्ता महेंद्र कच्छवा ने कहा, अवैध खनन और राजस्थान पर्यायवाची बन गए हैं. वास्तव में इन माफियाओं ने जंगलों को भी नहीं बख्शा है और बाघों की नस्ल को खतरे में डालते हुए जंगलों के मुख्य क्षेत्रों में प्रवेश कर गए हैं. रणथंभौर में कोर बाघ संरक्षण क्षेत्रों में भारी तबाही हुई है. 1,100 हेक्टेयर भूमि में फैले क्षेत्रों में कई अवैध खदानें चल रही हैं.
कछवा ने जोर देकर कहा, दुख की बात यह है कि खनिकों ने जंगलों में 30 फीट गहरे गड्ढे खोदे हैं, यहां तक कि रामगढ़ अभयारण्य के अंदर के इलाकों में भी जहां बाघिन प्रसव के लिए जाती है, तेजी से अतिक्रमण हो रहा है और जंगलों के अंदर खनन हो रहा है और शिकार भी बड़े पैमाने पर हो रहा है. इससे आसपास के इलाके भी प्रभावित हो रहे है.
नमक माफियाओं के अवैध खनन से सांभर झील सूखी
महेंद्र कच्छवा ने कहा, जवाई अभयारण्य, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और सांभर झील में इन अवैध खनन माफियाओं का दबदबा है. सांभर क्षेत्र में नमक माफियाओं का दबदबा है. इसका नतीजा सामने है. जो झील कभी मई-जून में सूख जाती थी, वह अब सूख गई है. नवंबर और दिसंबर में. कारण साफ है, इसे (अवैध खनन) रोकने के लिए कोई प्रशिक्षित समर्पित कर्मचारी नहीं है और इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले कर्मचारियों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है. आखिरकार राज्य में खुलेआम हत्याएं हो रही हैं.
सिंह की तरह उनका भी मानना है कि राजस्थान भविष्य में जोशीमठ जैसी स्थिति देखेगा. जो हम जोशीमठ में झेल रहे हैं, 25 साल बाद आप यहां वैसी ही स्थिति देखेंगे, जैसे अतिक्रमण और खनन बढ़ रहा है और क्षेत्र कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा है.
अधिकारियों की नाक के नीचे होते हैं अवैध खननन
एक अन्य पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने कहा, अवैध खनन ने राज्य को दयनीय स्थिति में ला दिया है. यह (अवैध खनन) भरतपुर, अलवर, राजसमंद और कई अन्य जिलों जैसे लगभग सभी जिलों में चल रहा है. इसके कारण नदियां सूख गई हैं. अधिकारियों की नाक के नीचे खुलेआम नदियों से रेत निकाला जा रहा है, जिससे जलीय जीवन प्रभावित हुआ है.
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, अगर अवैध खनन पर पूर्ण विराम नहीं लगा तो जोशीमठ की कहानी निश्चित रूप से राजस्थान में दोहराई जाएगी. जोशीमठ की कहानी का कारण लालच और अवांछित विकास की लालसा है. वे प्रकृति को व्यवसाय में बदलना चाहते हैं. वही कहानी यहां दोहराई जा रही है. अनियंत्रित विकास का लालच है, जो 'कैंसर' बन जाएगा और लोगों को रुला देगा.
राजस्थान खान विभाग ने किया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया कि, राज्य के अरावली क्षेत्र में 31 पहाड़ियां गायब हो गई हैं. शीर्ष अदालत ने कहा था कि राजस्थान में पहाड़ियों का गायब होना दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि का एक कारण हो सकता है. इससे पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि राजस्थान खान विभाग ने अरावली पर्वत श्रृंखला में खनन के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए खनन पट्टे प्रदान, नवीनीकरण और विस्तारित किए.
राजस्थान में अवैध खनन, जिसमें अरावली पर्वत श्रृंखला में तांबा, सीसा, जस्ता, रॉक फॉस्फेट, सोपस्टोन, सिलिका बालू, चूना पत्थर, संगमरमर और जिप्सम का एक समृद्ध भंडार है, ने वर्षों में कई पहाड़ियों को धराशायी कर दिया है. हाल ही में ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन के विरोध में राज्य में एक संत ने आत्मदाह कर लिया और आरोप लगाया कि अवैध खनन के कारण पवित्र पहाड़ियां गायब हो रही हैं.
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