Bharatpur News: राजस्थान में कुर्सी की लड़ाई का अंत दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट में एकबार फिर जुबानी जंग शुरू हो गई है. एक तरफ सचिन पायलट जहां किसान सम्मलेन आयोजित कर सरकार पर कटाक्ष कर रहे हैं तो वहीं अशोक गहलोत भी मौका मिलते ही जुबानी तीर छोड़ रहे हैं. अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को 'नकारा', 'निकम्मा' के बाद अब 'कोरोना' की संज्ञा दी है. इस खींचातान में बेचारे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हाथों केवल मायूसी ही लग रही है.


रमेश मीणा से मिलने नहीं पहुंचा कोई भी कार्यकर्ता
राजस्थान में दोनों नेताओं की लड़ाई का असर कार्यकर्ताओं में देखने को मिल रहा है. आज राजस्थान सरकार में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा भरतपुर पहुंचे. इस दौरान जो नजारा देखने को मिला वह हैरान कर देने वाला था. कांग्रेस का कोई भी कार्यकर्ता मीणा से मिलने नहीं पहुंचा क्योंकि रमेश मीणा को पायलट गुट का करीबी माना जाता है. वहीं मंत्री ने भी कांग्रेस के किसी भी कार्यकर्ता को अपने भरतपुर आने की सूचना तक नहीं दी. दो दिन भरतपुर रुकने के बाद आज मंत्री रमेश मीणा चले गए लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मंत्री से दूरी बनाये रखी. 


क्या कहा मंत्री ने ?
जब मंत्री रमेश मीणा से सवाल किया गया कि आप दो दिन से भरतपुर में हैं लेकिन कोई भी कांग्रेस का कार्यकर्ता आपसे मिलने नहीं आया. तो मंत्री ने कहा कि यह मेरी प्रशासनिक मीटिंग थी, जब हमारा 'हाथ से हाथ जोड़ो' प्रोग्राम होगा तब पता लगेगा कि भरतपुर के लोगों और पार्टी के लोगों के प्रति हमारा और हमारे प्रति उनका कितना लगाव है. 


'पार्टी में हो रही कार्यकर्ताओं की उपेक्षा'
 इस मामले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता, कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय प्रशिक्षक एवं कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष चुन्नी कप्तान ने कहा कि तीन दिन पहले मैंने जिला प्रभारी मंत्री रमेश मीणा के सचिव को फोन किया था कि उनका कब भरतपुर आने का प्रोग्राम है तो उन्होंने कहा था कि अभी चिंतन शिविर में है कल बताएंगे. दोबारा फोन किया तो उन्होंने कहा अभी कोई प्रोग्राम नहीं है. अब कल से मंत्री रमेश मीणा भरतपुर आये हुए हैं, उन्होंने हमें कोई सूचना नहीं दी है, इसलिए कोई भी कार्यकर्ता उनसे मिलने नहीं पहुंचा है. उपाध्यक्ष चुन्नी कप्तान ने कहा कि हमें सरकार रिपीट करनी है.


 कांग्रेस संगठन के वरिष्ठ यह आव्हान कर रहे हैं कि मंत्री कहीं भी दौरे पर जाएं तो कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात करें. उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार साल से कार्यकर्ताओं की जो उपेक्षा की जा रही है उससे कार्यकर्ता मायूस हैं. उन्होंने कहा कि आम कार्यकर्ता के काम नहीं हो रहे हैं, विधायक चाहेगा तभी कार्यकर्ता का काम होगा नहीं तो मंत्री भी कार्यकर्ताओं के काम नहीं कर रहे है. 


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