Ajay Maken Resignation: राजस्थान में कांग्रेस का अंदरूनी कलह किसी से छुपा नहीं है. इसी बीच पार्टी के बड़े नेता अजय माकन ने राजस्थान के प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया. वह भी उस समय पर, जब राज्य में लगभग सब कुछ शांत हो गया था और सीएम अशोक गहलोत भी अपने काम में लग गए हैं. ऐसे में राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है. रोज एक नई राजनीतिक कहानी लिखी जा रही है. उसके लेखक और नायक दोनों सामने रहते हैं. इसीलिए गुटबाजी भी खूब साफ़ दिखती है.
राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे की खबर ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. कुछ सवालों के जवाब मिलने के संकेत भी हैं. किसके कहने पर अजय माकन ने इस्तीफे की पेशकश की है? इसके पीछे आलाकमान तो नहीं? क्या यह कांग्रेस नेतृत्व की रणनीति का हिस्सा है? क्योंकि आलाकमान को चुनौती देने वाले अब अशोक गहलोत के साथ हैं. 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक न होने के बाद कइयों पर कार्रवाई होनी थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उल्टा, उन्हें भारत जोड़ो यात्रा में बड़ी जिम्मेदारियां सौंप दी गईं. इस बात को लेकर दिल्ली से जयपुर तक राजनीतिक हलचल तेज है.
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5 प्वाइंट्स में जानते हैं अजय माकन के इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी
1. राजस्थान की राजनीति में 25 सितंबर की घटना को कोई भूल नहीं सकता. दरअसल, 25 सितंबर 2022 को राजस्थान में सीएलपी की बैठक होनी थी, लेकिन हो नहीं सकी. इसके कुछ समय पहले तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राजस्थान सीएम अशोक गहलोत की बैठक हुई. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं. दोनों के बीच सहमति बनी कि विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें एक लाइन का प्रस्ताव पेश किया जाएगा. प्रस्ताव में यह लिखा होगा कि सोनिया गांधी को नया मुख्यमंत्री नियुक्त करने का अधिकार दिया जाता है क्योंकि गहलोत तब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने जा रहे थे.
2. उस समय तो गहलोत ने इसके लिए हामी भर दी. लेकिन, बाद में उनके समर्थकों तक बात पहुंची तो और भनक लगी कि आलाकमान के संकेत पर अजय माकन, सचिन पायलट को सीएम बना सकते हैं, तो सीएम गहलोत के इशारे पर विधायकों ने बगावत कर दी. विधायक दल की बैठक में कोई नहीं पहुंचा और कांग्रेस आलाकमान की किरकिरी हो गई.
3. बैठक में विधायक क्यों नहीं आए, इसको लेकर जांच हुई तो अनुशासनहीनता की बात सामने आई थी. इसको लेकर कइयों को नोटिस जारी किए गए. अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे ने सोनिया गांधी को इस बारे में रिपोर्ट दी थी. उसमें यह माना गया कि इस बगावत में बागी विधायकों का नेतृत्व शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ कर रहे थे. ऐसे में इन तीनों नेताओं को नोटिस भेजे गए. नोटिस का जवाब तीनों को 10 दिन के अंदर देना था. हालांकि, इस बात को दो महीने हो गए और फिर भी कार्रवाई नहीं की गई. ऊपर से इन नेताओं को राहुल गांधी की यात्रा में बड़ी जिम्मेदारियां दी गईं
4. सूत्रों की मानें तो अजय माकन इसी बात से नाराज बताए जा रहे हैं. राहुल गांधी की राजस्थान में 'भारत जोड़ो यात्रा' से पहले कांग्रेस प्रभारी का इस्तीफा दिया जाना एक तरह की रणनीति का हिस्सा है. इसी बहाने अब यहां कांग्रेस पर दबाव बनाया जा रहा है. राहुल गांधी के सामने इसी बात को रखने की कोशिश की जा रही है कि विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. सूत्रों की मानें तो इस बात को लेकर अजय माकन का इस्तीफा भी दबाव की राजनीति है.
5. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में सियासी हलचल अभी और बढ़ेगी. चूरू में हो रहे उपचुनाव से पहले अजय माकन का इस्तीफा बहुत कुछ कह रहा है. दूसरी तरफ 'भारत जोड़ो यात्रा' भी है. दोनों तरफ से गुटबाजी भी तेज है. सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट के लोग एक दूसरे पर हमला बोल रहे हैं. इसका परिणाम यह है कि दोनों तरफ से बयानबाजी बढ़ती जा रही है और अभी और बढ़ेगी.