Gehlot Vs Pilot Politics: राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के 4 साल पूरे हो रहे हैं. 4 साल के कार्यकाल में सरकार कई बार अस्थिर होती दिखाई दी. 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री के पद के लिए गहलोत और पायलट आमने सामने हो गए. राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत ने यहां पर भी बाजी मारी. शपथ ग्रहण समारोह रखा गया. 17 दिसंबर 2018 को इस दौरान अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वहीं, सचिन पायलट ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए कार्यभार संभाला.
ज्योतिष के अनुसार जानते हैं कि सीएम गहलोत की कुंडली में ऐसे कौन से राजयोग हैं, जिसके कारण लगातार सत्ता पर काबिज होकर राज कर रहे हैं. वहीं, सचिन पायलट की कुंडली में ऐसे कौन से ग्रह हैं, जो राज से दूर रख रहे है. इन सभी सवालों के जवाब के लिए पंडित सुरेश श्रीमाली से एबीपी न्यूज़ ने खास बातचीत की. राजस्थान की कांग्रेस सरकार में अस्थिरता के साथ गहलोत और पायलट के बीच टकराव पर विराम लगेगा या बगावत होगी? क्या यह सरकार अपने 5 साल का पूरे करेगी या फिर अस्थिरता के बादल छाएंगे?
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सरकार के शपथ के दौरान क्या थी ग्रहों की चाल?
पंडित सुरेश श्रीमाली ने बताया कि 17 दिसम्बर 2018 को जब राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शपथ ग्रहण की उस समय चन्द्रमा मीन राशि में थे. सीएम अशोक गहलोत की कुण्डली में जन्म समय से ही उनकी राशि मीन है. मीन का मतलब है मछली और उसके लॉर्ड माने जाते हैं देवताओं के गुरु बृहस्पति. उसी कारण अशोक गहलोत राजनीति में धुरंधर माने जाते हैं और कुछ लोग इन्हें जादूगर भी कहते हैं. देवताओं के गुरु बृहस्पति का गजकेसरी योग चन्द्रमा के साथ वो भी कर्म स्थान में अशोक गहलोत की कुण्डली में है. इसी कारण लगातार उन्हें सत्ता पर काबिज रखता है, क्योंकि गज का मतलब है हाथी और केसरी का मतलब मुकुट. इसके अलावा, राहु और शनि हैं. इनका षडाष्टक दोष अशोक गहलोत की कुण्डली में होने की वजह से वो राजनीति के धुरंधर और माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं.
राजस्थान में कई बार ऐसा देखने में आया है कि सचिन पायलट अब मुख्यमंत्री बन जाएंगे. दिल्ली में या फिर सरकार में कांग्रेस उन्हें एक उच्च पद दे सकती है. राजस्थान में सचिन पायलट ने बहुत मेहनत करके काफी सीट भी हासिल की थीं. आखिर में उन्हें हासिल कुछ भी नहीं हुआ.
जानिए सीएम गहलोत की कुंडली में कौनसा राजयोग है
सीएम अशोक गहलोत 3 बार जीत चुके हैं. इसके पीछे का कारण है कि राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले शनि 4th हाउस में हैं. पब्लिकल इमेज और कांग्रेस के प्रति आस्था और राहु का शनि के साथ षडाष्टक दोष इन्हें ऐसी बुद्धि देता है जो कि राज करने के लिए है. राज करने के लिए नीति अपनाई जाए, उसे ही राजनीति कहते हैं. यह नीति बनाने का काम राहु और शनि ही करते हैं. 2018 में जिस वक्त शपथ ग्रहण समारोह हुआ था, तब बुध की दशा में शुक्र का अंतर चल रहा था, जो कि द्वि-द्वादष दोष बनता है.
इस कारण अशोक गहलोत के मन में नहीं, लेकिन दूसरे लोगों और पार्टियों के मन में यह था कि यह सरकार पूरी चल नहीं पाएगी और सचिन पायलट बागी बन जाएंगे और अपने बागी विधायकों के साथ वो इस सरकार को आगे बढ़ने से रोक देंगे. इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता थ, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसका कारण सीएम गहलोत की कुंडली के मजबूत ग्रह थे. सचिन पायलट की कुण्डली के अंदर अष्टम स्थान में गुरु-चन्द्रमा का राजयोग जो कि अशोक गहलोत की कुण्डली में भी सेम राजयोग है, लेकिन वह कर्म स्थान में है.
दूसरी बात सूर्य और शनि का योग कर्म स्थान में बनता है, जो सचिन पायलट को बार-बार ऐसा लगने देता है कि उन्हें सत्ता मिल जाएगी. लेकिन फिर भी मिलती नहीं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है सूर्य और शनि की युति हैं. वहीं, वर्तमान परिस्थिति की बात करें तो देवताओं के गुरु बृहस्पति 24 नवम्बर 2022 को मार्गी हो रहे हैं, जो कि अशोक गहलोत की लिए श्रेष्ठ काम करेंगे. इधर 18 जनवरी 2023 तक कांग्रेस को भी शनि की ढैय्या है. इससे वो निजात पाएंगे. उसके बाद कांग्रेस थोड़ी मजबूत होगी. साथ ही अशोक गहलोत भी एक बार फिर मजबूत होंगे.