Rajasthan News: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की पुण्यतिथि पर मंगलवार (30 जनवरी) को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस (Congress)  मुख्यालय में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. कांग्रेस नेताओं ने दो मिनट का मौन रखकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara) ने बीजेपी (BJP) पर निशाना साधते हुए कहा कि 'वोट के लिए कुछ लोग महात्मा गांधी के सिद्धांतों के बारे में बात करते हैं, लेकिन जैसे ही वह सत्ता में आते हैं, तो नाथूराम गोडसे की विचारधारा पर काम करना शुरू कर देते हैं.'


दरअसल महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर मीडिया से बातचीत करते हुए राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि 'महात्मा गांधी कभी इतिहास नहीं हो सकते. वह आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं. सिर्फ हमारे देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में लोग महात्मा गांधी के सिद्धांतों को अपनाते हैं और उनके रास्ते पर चलते हैं. वोट के लिए कुछ लोग महात्मा गांधी के सिद्धांतों के बारे में बात करते हैं, लेकिन जैसे ही वह सत्ता में आते हैं, तो नाथूराम गोडसे की विचारधारा पर काम करना शुरू कर देते हैं.'






ईआरसीपी समझौते को लेकर भड़के डोटासरा
इस दौरान गोविंद सिंह डोटासरा ने पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) समझौते को प्रदेश के हितों पर कुठाराघात बताया है. उन्होंने कहा कि ईआरसीपी पर बीजेपी ने राजनीती की है. यह प्रोजेक्ट पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समय बनाया गया था, उनको माइलेज नहीं दिया. पांच साल कांग्रेस की सरकार थी. इसलिए इस पर बात आगे नहीं बढ़ाई. अब जो प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनेगी, उसमें आठ हजार करोड़ रुपए पहले की तुलना में ज्यादा खर्च होंगे. इससे राजस्थान को नुकसान हुआ है. परियोजना में भी देरी हुई है. अब यह गलत समझौता किया गया है. लोकसभा चुनाव का रिजल्ट बताएगा कि लोग इनको क्या सबक सिखाते हैं.


डोटासरा ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय पर लगाया ये आरोप
डोटासरा ने आगे कहा कि यह कोई छिपी हुई बात नहीं है, बल्कि कागजों के ऊपर है. अभी भी एमओयू हो रहे हैं, जबकि हमने तो 10 हजार करोड़ रुपये ईआरसीपी के लिए स्वीकृत कर दिए थे और काम भी शुरू कर दिया गया था. डोटासरा ने आरोप लगाया कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने काम रोकने का भी प्रयास किया, इसके बावजूद हमने काम जारी रखा. 13 जिलों के लोगों को पीने का पानी भी मिलना चाहिए. उद्योगों को भी पानी मिलना चाहिए और सिंचाई का पानी भी मिलना चाहिए. धीरे-धीरे सब चीजें सामने आ जाएंगी.



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