Rajasthan News: पेंशनरों के राष्ट्रीय संघर्ष समिति का प्रांतीय अधिवेशन चित्तौड़गढ़ में हुआ. इसमें सैकड़ों की संख्या में पेंशनर शामिल हुए. इस अधिवेशन में गैर सरकारी संस्थाओं के पेंशनरों की पेंशन को लेकर कई चर्चाएं हुईं. इसमें यह तक सामने आया कि पेंशनरों की पेंशन इतनी कम है की अभी की स्थिति में अकेले जीवनयापन करना संभव नहीं है. इस अधिवेशन में पेंशनरों की पेंशन बढ़ाने की मांग की गई. इसमें सीआईडी के कुत्तों तक का उदाहरण दिया गया और कहा गया कि कि सरकार पेंशनरों को उनसे भी कम राशि दे रही है.
1170 रुपए प्रतिमाह पेंशन से जीवन संभव नहीं
ऑल इंडिया EPS 95 पेंशनर संघर्ष समिति के चित्तौड़गढ़ अध्यक्ष नरेंद्र सिंह शक्तावत ने बताया कि, गैर सरकार संस्था जैसे सहकारी समिति, दुग्ध उत्पादन समिति सहित अन्य गैर सरकारी संस्थाओं में काम करने वाले देश के 70 लाख कर्मचारियों की पेंशन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. हमें औसत 1170 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है. जिसमें अकेले भी जीवन यापन करने संभव नहीं है. जबकि अभी जो कर्मचारी कार्यरत हैं. उनसे प्रतिमाह पेंशन के नाम का 1250 रूप अंशदान लिया जा रहा है. उन्होंने आगे बताया कि, वृद्ध पेंशनरों के स्वाभिमान, अस्तित्व, सम्मान, और पहचान की लड़ाई लड़ते हुए भारत सरकार से पेंशनरों द्वारा अंशदान करके पेंशन फंड में जमा किए लाखों रुपए का हिसाब मांगा जा रहा है.
पुलिस के कुत्तों से भी कम राशि
अध्यक्ष शक्तावत ने बताया कि, पेंशनरों को अधिकतम करीब 3000 रुपए मिलते हैं जिसकी औसत राशि प्रतिमाह 1170 होती है. उन्होंने कहा कि यह तो सीआईडी के कुत्तों से भी कम राशि है. सीआईडी के कुत्तों को भी प्रतिमाह 3000 रुपये खाने-पीने और उनकी केयर के लिए सरकार द्वारा दिए जाते हैं. इसकी तुलना में तो पेंशनर को आधी पेंशन भी नहीं मिलती. हमने भारत सरकार से अपील करते हुए 4 सूत्रीय मांग की है. इसमें न्यूनतम पेंशन 7500 रुपये, महंगाई भत्ता और मुफ्त चिकित्सा सुविधा पेंशनरों को दी जाए. जिससे वृद्ध पेंशनर बचा हुआ जीवन मूलभूत बुनियादी सुविधाओं/सामाजिक सुरक्षा/ संरक्षा के साथ सम्मानजनक जीवन जी सकें.
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