Rajasthan Court News: प्रशासनिक लापरवाही के चलते मां को आखिरी बार नहीं देख पाया शख्स, डीएम ने हाई कोर्ट में मांगी माफी
Rajasthan Court News: राजस्थान की जोधपुर हाईकोर्ट में अजमेर कलेक्टर ने अपनी गलती मानते हुए बिना शर्त माफी मांगी है. घोर उदासीनता और लापरवाही के कारण एक बेटा अपनी मां के अंतिम दर्शन नहीं कर सका.
Rajasthan Court News: राजस्थान की जोधपुर (Jodhpur) हाईकोर्ट (High Court) की बेंच में अजमेर के कलेक्टर(Ajmer Magistrate) ने अपनी गलती मानते हुए बिना शर्त माफी मांगी है. दरअसल, अजमेर के कलेक्टर की घोर उदासीनता और लापरवाही के कारण एक बेटा अपनी मां के अंतिम दर्शन नहीं कर सका. अर्थी को कंधा और चिता की मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार की रस्म भी नहीं निभा पाया. निधन के बाद होने वाले कार्यक्रमों में भी शामिल नहीं हो सका था.
पत्नी ने दायर की थी याचिका
भीलवाड़ा का रहने वाला बंदी संपतलाल अभी अजमेर सेंट्रल जेल में बंद है. बंदी की मां की मृत्यु होने पर उसने आकस्मिक पैरोल के लिए गत 14 जनवरी को अजमेर कलेक्टर के समक्ष आवेदन किया था. आवेदन उसी दिन कलेक्टर ऑफिस में प्राप्त हो गया था, लेकिन उस पर चार महीने तक फैसला नहीं किया गया. बंदी की ओर से उसकी पत्नी मीरा ने न्यायालय में याचिका दायर की थी.
कलेक्टर ने की थी नियमों की अवहेलना
एएजी अनिल जोशी ने इस संबंध में कोर्ट को अवगत कराया कि 12 मई को पैरोल की अर्जी खारिज कर दी, क्योंकि उस पर तत्काल निर्णय लेने की जरूरत थी. दोनों पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने नाराजगी प्रकट की. खंडपीठ ने कहा कि जाहिर है आकस्मिक पैरोल आवेदन पर निर्णय लेने में बहुत ज्यादा देरी करना राजस्थान कैदी पैरोल नियम, 2021 के नियम 16 के विपरीत है. कोर्ट ने इस संबंध में कलेक्टर से कारण पूछा था. कोर्ट ने कहा कि नियमों की पालना में विफल रहने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. कोर्ट ने एएजी जोशी को पैरोल संबंधी मूल रिकॉर्ड भी अगली सुनवाई पर पेश करने के निर्देश दिए थे.
कोर्ट ने की थी तल्ख टिप्पणी
बंदी की मां की मृत्यु हो जाने के बावजूद पैरोल स्वीकृत नहीं करने के मामले में अजमेर कलेक्टर की ओर से पेश किए गए स्पष्टीकरण से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ था. जस्टिस संदीप मेहता व विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि “ऐसा लगता है कि जिला मजिस्ट्रेट, अजमेर 32 वर्ष की आयु का एक युवा अधिकारी है और अनुभव की कमी है. हम कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने से बचते हैं और उन्हें भविष्य में सावधान रहने की सलाह देते हैं.” हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के मां की मृत्यु के काफी समय हो जाने की वजह से याचिका को भी खारिज कर दिया. एएजी ने कलेक्टर की ओर से बिना शर्त माफी मांगी.
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