Kota News: महावीर नगर थाने में पूर्व मंत्री व रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर द्वारा प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के खिलाफ मामला दर्ज कराए जाने के लिए परिवाद दिया गया था लेकिन पुलिस ने अभी तक उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की है, जिस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जाहिर की है. रिपोर्ट दर्ज नहीं होने पर मदन दिलावर ने न्यायालय का सहारा लिया था. न्यायालय ने महावीर नगर थाने में प्रकरण दर्ज कर जांच के आदेश दिए थे, लेकिन पुलिस ने न्यायालय के आदेश को भी नहीं माना और मुकदमा दर्ज नहीं किया.


'30 साल के वकालत के इतिहास में कभी नहीं देखा ऐसा'
मदन दिलावर के वकील मनोज पुरी ने बताया कि न्यायालय में कोटा शहर के पुलिस अधीक्षक पेश हुए और एक प्रार्थना पत्र पेश किया जिसमें उन्होंने पुरानी बातों को दोहराते हुए कथन किया कि परिवादी बयान देने थाने नहीं आया. कोटा में क्षेत्राधिकार नहीं बनता और यह भी कहा कि न्यायालय के आदेश की निगरानी जिला अदालत में पेश की गई है और उन्हें कुछ समय दिया जाए.


इस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई और पूछा कि आदेश की पालना क्यों नहीं किया गया. वहीं परिवादी के वकील मनोज पुरी ने अदालत में एसपी सिटी के प्रार्थना पत्र का कड़ा विरोध किया और कहा कि उन्होंने अपने 30 वर्षों की वकालत के दौरान आज तक ऐसा नहीं देखा कि पुलिस अदालत द्वारा दिए गए मुकदमा दर्ज करने के आदेश की पालना करने के स्थान पर उस आदेश की निगरानी पेश करें. अगर निगरानी पेश करनी हो तो या तो फरियादी करे या मुलजिम करे पुलिस का काम तो रिपोर्ट दर्ज कर निष्पक्ष जांच करना होता है.


'राजनीतिक दबाव में कोर्ट का आदेश तक नहीं मान रही पुलिस'
एडवोकेट मनोज पुरी ने कहा कि पुलिस ने राजनैतिक दवाब में सरकार और नेताओं के सामने समर्पण कर दिया है और इतने दवाब में है कि रिपोर्ट तक दर्ज करने को तैयार नहीं है और न्यायालय के आदेश को भी नहीं मान रही है. उन्होंने यह भी कहा कि इस पुलिस से निष्पक्ष जांच की भी उम्मीद नहीं रही है क्योंकि पूरी पुलिस मुलजिम के बचाव में लगी हुई है.


'23 मई तक FIR दर्ज करें'
इसलिए वो न्यायालय से केस की जांच खुद की निगरानी में करवाने अथवा सीबीआई से करवाने की प्रार्थना करेंगे. दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया है कि 23 मई 2023 को कोर्ट समय समाप्त होने से पूर्व एफआईआर दर्ज करके लाए या इस आदेश के विरुद्ध कोई आदेश पेश करे अन्यथा जो अवमानना की कार्यवाही प्रारंम्भ की गई है उसे आगे बड़ा दिया जाएगा.


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