Rajasthan Kota Crocodile: राजस्थान (Rajasthan) के कोटा (Kota) जिले में एक ऐसा गांव है जहां पर कभी भी सड़क पर मगरमच्छ दौड़ते हुए दिखाई देते हैं. ये गांव है हाथी खेड़ा और यहां लोग हमेशा डर के साए में जीते हैं. इस गांव के किनारे से चंद्रलोई नदी निकलती है जिसमें करीब छोटे बड़े मगरमच्छों को मिलाकर 1000 से अधिक मगरमच्छ (Crocodile) हैं, जो कभी भी नदी से बाहर निकलकर सड़क पर धूप सेंकने के लिए आ जाते हैं. मगरमच्छों की वजह से वन विभाग भी खासा परेशान हैं. विभाग के अधिकारी हाथी खेड़ा गांव को दूसरी जगह शिफ्ट करने को लेकर प्रयास कर रहे हैं जिसको लेकर राज्य सरकार को फाइल भिजवाई गई है.
1400 के करीब है गांव की आबादी
हाथी खेड़ा गांव के रहने वाले रामलाल ने बताया कि गांव का 4 किलोमीटर का एरिया चंद्रलोई नदी के किनारे से निकलता है. गांव की कुल आबादी 1400 के करीब हैस जो हर समय डर के साए में जीती है. कई बार मगरमच्छ बाहर निकल जाते हैं जिनको देखकर लोग अपने आप को घरों में कैद कर लेते हैं. वन विभाग को सूचना दी जाती है, कई घंटों के बाद वन विभाग के अधिकारी पहुंचते हैं और मगरमच्छ को रेस्क्यू कर वापस नदी में छोड़ देते हैं. नदी में हजारों की तादाद में मगरमच्छ हैं जिन्हें एक साथ रेस्क्यू किया जाना मुश्किल है. इस गांव में नदी का पानी एक जगह पर रुका हुआ है और कीचड़ है. कीचड़ में कुछ पेड़ पौधे उगे हुए हैं वहीं पर ही मगरमच्छ के बच्चों सहित बड़े-बड़े मगरमच्छों ने डेरा डाला हुआ है. कभी भी वो पानी के बाहर निकल जाते हैं, लगातार मगरमच्छ दिखाई देने के चलते इस एरिया में नदी किनारे कोई भी नहीं जाता.
करीब 16 किलोमीटर का एरिया चंद्रलोई नदी से होकर गुजरता है
कोटा शहर में वार्ड नंबर 9 में हाथी खेड़ा गांव आता है. इसी के साथ कोटा की चंद्रलोइ नदी में करीब 16 किलोमीटर का एरिया आबादी को टच करता है जिसमें करीब 30 दर्जन गांव आते हैं. इन गांवों में जनसंख्या की बात की जाए तो करीब 30 से 40 हजार आबादी वाले ये गांव हैं जो हमेशा खौफ के साए में रहते हैं. नदी में कीचड़ अधिक होने से मगरमच्छों का आबादी में घुसने का मुख्य कारण माना जाता रहा है. चंद्रलोई नदी कोटा के मदरगढ़ इलाके के पहाड़ों से होते हुए निकलती है जो करीब 16 किलोमीटर के एरिया को टच करती हुई चंबल नदी में जाकर मिल जाती है.
गांव का हो डायवर्जन या बने सुरक्षा दीवार
क्षेत्र के रेंजर कुंदन सिंह ने बताया कि आए दिन हाथी खेड़ा सहित कई गांव में मगरमच्छ सड़क, आबादी इलाके में आने की घटनाएं सामने आती हैं. जिन्हें मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू करने का काम किया जाता है.अक्टूबर माह से लेकर अब तक 25 से अधिक मगरमच्छों को रेस्क्यू किया जा चुका है. बीते सालों की बात की जाए तो अब तक 66 से अधिक मगरमच्छ रेस्क्यू किए जा चुके हैं. वहीं, आबादी इलाके में हमले के मामले भी कम नहीं है. वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार आधा दर्जन ऐसे मामले हैं जिनमें आम आदमी से लेकर जंगली जानवरों के हमले भी इस दौरान सामने आए हैं. उच्च अधिकारियों को इन गांव के कुछ इलाकों को डायवर्जन करने के प्रस्ताव भिजवाने का बोला है. सरकार से ये भी कहा है कि यदि डायवर्जन ना हो और इन इलाकों में सुरक्षा दीवार बन जाए तो खतरों को कुछ हद तक टाला जा सकता है.
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