दौसा: मिठाईयां तो आपने बहुत खाई होंगी लेकिन जो हम आपको बताने जा रहे हैं यह मिठाई जो एक बार खाता है जिंदगी भर नहीं भूल पाता है. दरअसल इस मिठाई का नाम डोवठा है. 420 रुपये किलो बिकने वाली डोवठा मिठाई देसी घी से बनाई जाती है.  इसे बनाने के लिए बादाम के बुरादे की भी जरूरत होती है. इस मिठाई की खासियत यह है कि ये बहुत सॉफ्ट और खान में बेहद स्वादिष्ट होती है.


152 सालों से लगातार बन रही डोवठा मिठाई है दौसा की पहचान


152 सालों से लगातार बन रही यह मिठाई दौसा की पहचान है. राजा रजवाड़ों के समय नई स्वादिष्ट खस्तापन के साथ मिठाई देने की जिद के साथ दौसा में इसका निर्माण हुआ था. सन 1936 में जयपुर रियासत के महाराजा मानसिंह जब दौसा में गोलचा फैक्ट्री का उद्घाटन करने आए थे तो दौसा वासियों ने उन्हें पहचान के रूप में इस डोवठा मिठाई को उनके सामने पेश किया जिसे उन्होंने न केवल पसंद किया बल्कि इसकी प्रशंसा भी की.  उस दौरान महाराजा मानसिंह के साथ भांडारेज के ठाकुर धुला रावजी ने भी दौसा की इस अनोखी मिठाई के बारे में बताते हुए इसके गुणों की व्याख्या की और इस मिठाई के निर्माता को महाराजा मानसिंह ने इनाम स्वरूप कलीदार रुपए भी दिये.


नाजिम वीर बहादुर की बेटी की शादी में परोसी गई थी डोवठा मिठाई


रजवाड़ों के समय हुई शादियों जिनमें दौसा के तत्कालीन नाजिम वीर बहादुर की लड़की की शादी में अनेकों प्रकार के व्यंजन बनाए गए जिसमें आमेर की गूंजी,सांगानेर की दाल, चाकसू की लेसमी,जयपुर का कलाकंद और विशेष रूप से दौसा का डोवठा भी उसी गौरव शान शौकत के साथ मेहमानों के लिए परोसा गया था


देश की आजादी पर लोगों ने डोवठा का स्वाद चखकर मनाई थी खुशियां


देश की आजादी के समय यह मिठाई चलन में आ चुकी थी .जब देश आजाद हुआ तो इस खुशी के मौके पर दौसा के गांधी चौक में उस दिन लोगों के एक हाथ में तिरंगा तथा दूसरे हाथ में डोवठा लेकर खुशियां मना रहे थे यह मिठाई आजादी की गवाही बनी है


राजनेताओं की भी पहली पसंद है डोवठा मिठाई


दौसा की माटी के लाल स्वतंत्रता सेनानी रामकरण जोशी पंडित नवल किशोर शर्मा, जैसे लोग जब किसी शुभ कार्य के लिए जाते थे तो इस मिठाई को अपने साथ जरूर लेकर जाते थे. देश और प्रदेश के बड़े-बड़े नेता जैसे लाल कृष्ण आडवाणी, भैरों सिंह शेखावत राजेश पायलट पंडित नवल किशोर शर्मा सहित मंत्रिमंडल के कई सदस्य डोवठा मिठी के शौकीन रहे हैं. शौकीन भी इतने कि जब कोई लोग दौसा से उनको मिलने जाता या फिर उनका मिलने वाला कोई दोसा आता तो स्पेशल फरमाइश पर इस डोवठा को मंगवाया जाता था


आने वाले समय में मिठाई का हो सकता है पेटेंट


राजा रजवाड़ों के समय डोवठा मिठाई का निर्माण शुरू हुआ था. जिस हलवाई परिवार ने इस मिठाई का निर्माण शुरू किया उनकी पीढियां अब डोवठा को बहुत ऊंचे स्तर पर पहचान दिलाने में कामयाबी हासिल कर चुकी है. खास बात ये है कि इस मिठाई का निर्माण करने वाले परिवार को इस मिठाई के नाम से पहचान मिली है और अब आसपास के इलाकों में इस परिवार को लोग डोवठा वाला सरनेम से जाने जाने लगे हैं.  आने वाले समय में हो सकता है इस मिठाई का पेटेंट भी हो जाए


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