Jodhpur News: नौसेना को सौंपी गई रक्षा प्रयोगशााला जोधपुर में तैयार हुई चेफ टेक्नोलॉजी, दुश्मन देश की मिसाइल व रडार को इस तरह देगी चकमा
जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला में बनी एक चेफ टेक्नोलॉजी के जरिए अब भारतीय नौसेना दुश्मन देश के मिसाइल व रडार को चकमा दे सकेगी.चेफ टेक्नोलॉजी आसमान में अदृश्य बादल बनाने में सक्षम है.
Rajasthan News: जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला में बनी एक चेफ टेक्नोलॉजी नौसेना को हस्तानांतरित की गई है. ये टेक्नोलॉजी दुश्मन देश की मिसाइल को निशाने से भटका देने के लिए खास तौर से तैयार की गई है. चेफ टेक्नोलॉजी आसमान में अदृश्य बादल बनाएंगी जिससे दुश्मन देश के रडार और मिसाइल को चकमा दिया जा सकेगा.
डीआरडीओ ने "भविष्य की तैयारी" पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया
उन्होंने सात सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों को छह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) समझौते भी सौंपे है. इससे पहले डीआरडीओ ने "भविष्य की तैयारी" पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें सशस्त्र बलों के उप प्रमुखों और डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने भविष्य की युद्ध तकनीक को लेकर अपने विचार साझा किए.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एडमिरल आर हरि कुमार को चैफ रॉकेट सौंपा
इस अवसर पर, सचिव, डीडीआरएंडडी और अध्यक्ष, डीआरडीओ डॉ जी सतीश रेड्डी, थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी की उपस्थिति में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर द्वारा विकसित उन्नत नौ सैनिक चैफ रॉकेट नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार को सौंप दिया.
तकनीक के तीन उन्नत वेरिएंट्स को किया गया है विकसित
रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर (DLJ), ने दुश्मन के मिसाइल हमले से भारतीय नौसैनिक जहाज की सुरक्षा के लिए इस महत्वपूर्ण तकनीक के तीन उन्नत वेरिएंट्स जैसे शॉर्ट रेंज चैफ रॉकेट (SRCR), मीडियम रेंज चैफ रॉकेट (MRCR) और लॉन्ग रेंज चैफ रॉकेट (LRCR) को स्वदेशी तकनीक से हाल ही में विकसित किया था. भारतीय नौसेना की आवश्यकता को पूरा करने के लिए रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अंतर्गत पांच उद्योगों ने तीनों प्रकार के उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी का उत्पादन शुरू कर दिया है. डीएलजे द्वारा उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी का सफल विकास आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम है.
DRDO भविष्य की युद्ध तकनीकों को विकसित करने में सफल होगा
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि देश की सुरक्षा के लिए डीआरडीओ भविष्य की युद्ध तकनीकों को विकसित करने में सफल होगा. थल सेना, नौसेना और वायु सेना के उप प्रमुख, डॉ समीर वी कामत, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और महानिदेशक, डीआरडीओ श्री रवींद्र कुमार, उत्कृष्ट वैज्ञानिक और निदेशक डीएलजे, डॉ प्रशांत वशिष्ठ, वैज्ञानिक जी और परियोजना निदेशक- चैफ प्रौद्योगिकी, वीरेंद्र कुमार, वैज्ञानिक डी, रक्षा और गृह मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे.
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