(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan News: राजस्थान में बजट से पहले 50 नए जिले बनाने की उठी मांग, Jaipur और Ganganagar से 4-4 डिस्ट्रिक्ट की डिमांड
New District Demand: राजस्थान में बजट से पहले 50 से ज्यादा नए जिलों को बनाने की मांग उठ रही है. पिछले 14 सालों में राज्य में कोई नया जिला नहीं बन पाया है. जयपुर से 4 नए जिले बनाने की मांग उठ रही है.
Rajasthan Demand 50 New Districts: राजस्थान (Rajasthan) की जनता व राजनेताओं को 23 फरवरी इंतजार है, क्योंकि इस दिन गहलोत सरकार राजस्थान के बजट की घोषणा करने वाली है. बजट से पहले नए जिलों की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ा है. प्रदेश के मौजूदा 24 बड़े जिलों का बंटवारा कर 50 से ज्यादा जगहों से नए जिलों की मांग उठ रही है. कांग्रेस (Congress) और सहयोगी दलों के विधायक जिले बनाने के लिए ज्यादा जोर लगा रहे हैं. नए जिले बनाने की मांग से वोट बैंक भी जुड़ा है, इसलिए अंदरखाने लॉबिंग तेज हो गई है. पिछले 14 साल में कोई नया जिला नहीं बना है.
जयपुर से 4 नए जिले बनाने की मांग
प्रदेश में अजमेर जिले से ब्यावर, बाड़मेर से बालोतरा, सीकर से नीमकाथाना, जोधपुर से फलोदी को जिला बनाने की मांग बहुत लंबे समय से उठती रही है. बीजेपी राज में नए जिलों के लिए 2014 में बनी परमेश चंद कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक 24 जिलों की 49 जगहों से नए जिले बनाने की मांग के प्रस्ताव और ज्ञापन आए थे. अब यह संख्या और बढ़ गई है. अब नागौर से पांच, जयपुर और गंगानगर से 4-4 जगहों से नए जिलों की मांग है. अजमेर, उदयपुर, अलवर, पाली, सीकर, भरतपुर से 3-3 जगहों से नए जिले बनाने की मांग उठ रही है.
26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ आखिरी जिला बना
प्रदेश में 2008 के बाद कोई नया जिला नहीं बना है. 26 जनवरी 2008 को भाजपा सरकार ने प्रतापगढ़ को जिला बनाया था. राजस्थान के जिले क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत बड़े हैं. बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, नागौर जिलों में कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां से जिला मुख्यालय 150 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी पर होने से लोगों को भारी तकलीफ होती है.
सीकर को संभाग मुख्यालय बनाने का प्रस्ताव
पिछले दिनों कांग्रेस के चिंतन शिविर में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की अगुवाई में सीकर के सभी विधायक मुख्यमंत्री से मिले थे. सभी ने सीकर को संभाग मुख्यालय और नीमकाथाना को जिला बनाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को दिया था. विधायकों ने खुलकर अपने अपने क्षेत्रों से उठ रही नए जिलों की मांग उठाई थी. खुले सत्र में विधायकों ने इस बार बजट में चार से पांच नए जिले बनाने का सुझाव दिया था.
कमेटियां बनीं, जिला एक भी नहीं
बता दें कि पिछले 14 साल से नए जिलों के लिए कांग्रेस और बीजेपी सरकारों ने अपनी-अपनी कमेटियां बनाईं. कमेटियों ने रिपोर्ट दे दी, लेकिन नए जिले बनाने पर दोनों सरकारों ने कोई फैसला नहीं किया. दोनों ही सरकारों पर नए जिले बनाने का काफी राजनीतिक दबाव भी था, लेकिन फैसला नहीं हो पाया. अब मौजूदा सरकार पर भी नए जिले बनाने का दबाव है. पिछले विधानसभा सत्र में तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने बीजेपी राज की कमेटी की रिपोर्ट मानने से इनकार कर दिया था.