आरक्षण की मांग के लिए राजस्थान में समय समय पर विभिन्न समाज उठकर सामने आते रहे हैं. आरक्षण की मांग को लेकर विरोध- प्रदर्शन हुए और यहां तक कि हिंसा भी हुई. अब जनजातीय क्षेत्र में इसकी मांग हावी भी होती जा रही है और तेज भी हो रही है. उदयपुर से अलग होकर संभाग बने बांसवाड़ा के डूंगरपुर जिले में आदिवासी आरक्षण मंच की तरफ से आरक्षण की मांग पर महापंचायत हुई.


इस सभा ने गुजरात जाने वाले दाहोद हाई वे 56 को जाम करने की चेतावनी दी गई है. बड़ी बात यह है की राजस्थान में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और ऐसे समय ही आदिवासी आरक्षण मंच की तरफ से राज्य सरकार से मांग की गई है. जानिए क्या है मांग और चेतावनी.


जनसंख्या के अनुपात में मिले आरक्षण

 

आदिवासी आरक्षण मंच की केंद्रीय कमेटी के सलाहकार कृष्ण कांत कटारा ने एबीपी से बात करते हुए कहा कि महापंचायत बुलाई जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी लोग जुटे. सभी की मांग है कि जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण लागू किया जाए. इसके अलावा एक और मांग है कि राज्य सेवन अलग से 6.5% का आरक्षण दिया जाए. उनका कहना है कि राज्य सरकार से इसकी कई बार मांग की जा चुकी है इसके बाद भी मांग नहीं मानी गई है. अब आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी. 

 

यह दी चेतावनी 

 

उन्होंने बताया कि 9 अगस्त तक का राज्य सरकार को अल्टीमेटम दिया था. उसके बाद भी मांग नहीं मानी गई. इसके बाद अंतिम निर्णय लेने के लिए महापंचायत बुलाई गई. अब महापंचायत ने निर्णय लिया है कि 24 अगस्त तक यह मांग नहीं मानी गई तो 25 अगस्त को नेशनल हाईवे 56 को जाम किया जाएगा. यह दाहोद हाईवे है. खास बात यह है कि कांग्रेस खुद इन मांग में कूद चुके थी.

दरअसल कुछ माह पहले कांग्रेस पार्टी ने निर्णय लिया था कि जनजातीय उपयोजना क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को राजस्थान में मिलने वाले आरक्षण का 50 फीसदी हिस्सा टीएसपी क्षेत्र यानी जनजातीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों को मिलना चाहिए. इसके लिए आंदोलन चलाने के लिए कांग्रेस ने जिला स्तर पर संयोजक भी नियुक्त किए थे. इसके अलावा क्षेत्रीय विधायक, प्रधान, सरपंच तक को इस मांग को पुरजोर तरीके से उठाने की जिम्मेदारी दी गई थी.