Dengue-Malaria-Chikungunya Data in Rajasthan: मौसम बदलते ही मौसमी बीमारियों के साथ मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है. मच्छरों से फैलने वाली जानलेवा बीमारियां डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इससे बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अलर्ट जारी किया है. इससे पहले विभाग इसके लिए गाइडलाइन भी जारी कर चुका है. जिसके तहत हर क्षेत्र में अभियान चलाया जा रहा है.


चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने स्वास्थ्य भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मौसमी बीमारियों की स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने संभागवार संयुक्त निदेशकों से प्रत्येक जिले में मौसमी बीमारियों की स्थिति की विस्तार से जानकारी ली और आवश्यक निर्देश दिए.


इस बैठक में बताया गया कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम एवं नियंत्रण में राजस्थान की स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. डेंगू, मलेरिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों का प्रसार प्रदेश में पिछले वर्षों की तुलना में कम रहा है. अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने मौसमी बीमारियों को लेकर किए गए प्रबंधन पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, ''सभी संबंधित विभागों के अधिकारी इसी तरह पूर्ण समन्वय और सतर्कता के साथ काम करें ताकि आगे भी स्थिति नियंत्रण में रहे.''


वर्तमान में डेंगू और मलेरिया के राजस्थान में 12 हजार से अधिक मरीज हैं. जिनका इलाज चल रहा है. बता दें कि प्रदेश भर के अस्पतालों में डेंगू 10 हजार 676 मरीज भर्ती हैं. जबिक मलेरिया के 1 हजार 977 और चिकनगुनिया के 156 के मरीजों का उपचार चल रहा है. मच्छरों से जनित बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों का स्वास्थ्य विभाग ने जिलेवार आंकडे़ जारी किए हैं. आइए जानते हैं जिलेवार आंकड़ें-


जिलेवार डेंगू के मरीजों की संख्या
इस समय राजस्थान में सबसे अधिका राजधानी जयपुर में डेंगू के मरीज हैं. जयपुर के अलग-अलग जगहों पर इस समय कुल 1 हजार 797 डेंगू के मरीज हैं. इसी तरह बाड़मेर में 417, अलवर में 470, अजमेर में 282, बीकानेर में 222, दौसा में 370, धौलपुर में 363, डूंगरपुर में 204, हनुमानगढ़ में 297, झालावाड़ में 261, झुंझुनू में 437, करौली में 424, जोधपुर में 205, कोटा में 1776, पाली में 266, श्रीगंगानगर में 433, सीकर में 456, टोंक में 308 और उदयपुर में 434 डेंगू के मरीजे हैं.


मलेरिया के मरीजों का जिलेवार आंकड़ा
राजस्थान में इस समय पांच जिलों में मलेरिया के सबसे अधिक मरीज हैं. बाड़मेर में मलेरिया के सबसे अधिक मरीज हैं. इस समय बाड़मेर 951 मलेरिया के मरीजों का इलाज चल रहा है. इसी तरह बीकनेर में 124, जैसलमेर में 182, जोधपुर में 96 और झीलों की नगरी उदयपुर में 266 मलेरिया के मरीज हैं. 


जयपुर चिकनगुनिया से त्रस्त
इस समय राजधानी जयपुर में चिकनगुनिया प्रकोप छाया हुआ है. जयपुर में चिकनगुनिया के 15 मरीज हैं, जिनका इलाज चल रहा है. इनके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जयपुर के मुकाबले अन्य जिलों में चिकनगुनिया का असर न के बराबर है. वर्तमान में अलवर में चिकनगुनिया के 10, भरतपुर में 10, सिकार में 12 और टोंक में 11 मरीज हैं. 


'सहयोग न करने वालों पर हो कार्रवाई'
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि मई माह से ही मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए जिस प्रो-एक्टिव एप्रोच के साथ काम किया गया है. इसी तरह आगे भी रोकथाम गतिविधियों का संचालन सुनिश्चित किया जाएगा. उन्होंने निर्देश दिए कि पानी जमाव वाले स्थानों पर एन्टीलार्वा गतिविधियां सघनता के साथ की जाएं. घरों में मच्छर के लार्वा पाये जाने पर समझाने के बाद भी लोग सहयोग नहीं करें तो राजस्थान ऐपीडेमिक एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए.


'फील्ड विजिट कर करें नियमित मॉनिटरिंग'
अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने निर्देश दिए कि सभी संयुक्त निदेशक संबंधित जिलों में मौसमी बीमारियों की स्थिति की नियमित मॉनिटरिंग करें, साथ ही जिन जिलों में केस ज्यादा आए वहां दौरा कर प्रभावी रणनीति के साथ प्रबंधन सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि चिकित्सा व्यवस्थाओं से जुड़े अधिकारी बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ें. स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारी नियमित रूप से फील्ड विजिट कर एन्टीलार्वा एवं फोगिंग आदि गतिविधियों की मॉनिटरिंग करें. शुभ्रा सिंह ने निर्देश दिए कि अस्पतालों में जांच और उपचार की व्यवस्थाओं को लेकर कोई लापरवाही नहीं बरती जाए.


अधिकारियों ने दिए ये आदेश
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने कहा कि जहां भी पॉजिटिव केस सामने आएं उसके आस-पास के क्षेत्र में एन्टीलार्वा और फोगिंग आदि गतिविधियां प्राथमिकता एवं सघनता के साथ की जाएं, जिससे बीमारी का प्रसार नियंत्रित रहे. बेहतर रोकथाम को लेकर पशुपालन निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि सभी जिलों में जूनोटिक डिजीज की रोकथाम के लिए अधिकारियों को चिकित्सा विभाग के साथ सक्रिय समन्वय रखते हुए, फोगिंग इत्यादि गतिविधियां करवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं.


'वीसी के माध्य में बैठक में मौजूद रहे अधिकारी'
अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से मौसमी बीमारियों की स्थिति एवं रोकथाम गतिविधियों से अवगत कराया. चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, पशुपालन विभाग एवं स्थानीय निकाय विभाग के संभाग, जिला एवं ब्लॉक स्तर तक के अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में उपस्थित रहे.


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