देवली-उनियारा में इस बार सीधी लड़ाई, BJP को अपने प्रत्याशी पर तो कास्ट फैक्टर को साधने में जुटी कांग्रेस
Rajasthan By Election 2024: देवली-उनियारा सीट पर कांग्रेस ने नए चेहरे को मौका दिया है तो बीजेपी ने पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतार दिया है. कास्ट फैक्टर को साधने में जुटे दोनों दलों के नेता.
Rajasthan Bypoll 2024: राजस्थान बाय इलेक्शन 2024: राजस्थान के टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचनुाव की वजह से चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच गया है. इस सीट पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान होगा. इस उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की सीधी लड़ाई है.
देवली-उनियारा सीट पर इस बार कांग्रेस ने जहां नए चेहरे को मौका दिया है, तो वहीं बीजेपी ने पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतार दिया है. दो बार से यहां पर कांग्रेस चुनाव जीत रही है. हरीश मीणा अब सांसद हो चुके हैं. उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं मिला है.
कांग्रेस ने प्रयोग के तौर पर कस्तूर चंद मीणा को उम्मीदवार बनाया है. कस्तूर चंद को टिकट देने के बाद कांग्रेस जातीय समीकरण को साधने में जुटी है. वहीं, बीजेवी ने राजेंद्र को टिकट दिया है. राजेंद्र वर्ष 2013 में विधायक रहे हैं. इसलिए, बीजेपी को राजेंद्र पर भरोसा है. देवली उनियारा में बीजेपी ने अपनी जीत के लिए कई विधायक, सांसद, कैबिनेट मंत्री और दोनों डिप्टी सीएम को प्रचार के लिए उतार दिया है.
कांग्रेस ने खेला कास्ट कार्ड
टोंक से लेकर उनियारा तक कांग्रेस के लोग जातीय समीकरण को साधने में लगे हैं. दरअसल, देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर मीणा समुदाय के सबसे अधिक मतदाता हैं. उसके बाद गुर्जर मतदाताओं की संख्या है. धाकड, माली, जाट की संख्या भी यहां काफी मजबूत है. मुस्लिम वोटर्स हैं. इसलिए, कांग्रेस मतदाताओं को साधने में लगी है. देवली के गुर्जर मतदाता सचिन पायलट की बातें मानते आये हैं. इस बार वो राजेंद्र गुर्जर के लिए एकजुट हैं. धाकड़, माली, जाट और मुस्लिम के भरोसे कांग्रेस चुनाव में मेहनत कर रही है.
BJP की पूरी पलटन मैदान में
पिछला दो चुनाव बीजेपी लगातार यहां पर हारी है. वर्ष 2023 के चुनाव में यहां से आरएलपी के टिकट पर प्रो विक्रम सिंह गुर्जर ने चुनाव लड़ा था, जिससे गुर्जर मतदाता बंट गए थे. इस बार गुर्जर एक जुट हैं. बाकी जातियों को एकजुट करने के लिए बीजेपी और राज्य की सरकार ने सभी मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को मैदान में उतार दिया है. यहां तक की भीलवाड़ा के सांसद दामोदर अग्रवाल को भी काम दिया गया है. सभी मजबूत जातीय समीकरण के नेताओं को यहां पर जिम्मेदारी सौंपी गई है.
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