(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan News: माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में कार्यरत एलडीसी निलंबित, कर्मचारियों ने शिक्षा मंत्री से की ये मांग
Rajasthan: राजस्थान माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के आरडी अनुभाग में कार्यरत एलडीसी हेमाराम जाट को निलंबित किया गया है. एलडीसी के निलंबन आदेश भी जारी कर दिए गए हैं.
Rajasthan Directorate of Secondary Education: राजस्थान माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के आरडी अनुभाग में कार्यरत एलडीसी हेमाराम जाट को निलंबित किया गया है. संयुक्त निदेशक प्रशासन माध्यमिक शिक्षा ने एलडीसी के निलंबन आदेश जारी किए हैं. निलंबन काल के दौरान हेमाराम जाट का मुख्यालय राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल छानीबड़ी भादरा हनुमानगढ़ किया गया है. इस आदेश के मुताबिक संबंधित कार्मिक को अपनी आगामी उपस्थिति नए स्कूल में देनी होगी. गौरतलब है कि जाट पूर्व में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के खेलकूद अनुभाग में कार्यरत थे. पिछले सप्ताह ही इनका अनुवाद बदलाव हुआ था.
मंत्रालयिक कर्मचारियों के पदों में बढ़ोतरी की मांग
राजस्थान शिक्षा विभागीय संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री बुलाकीदास कल्ला से मुलाकात कर समस्याओं से अवगत करवाया. निदेशालय की ओर से संभागीय संयुक्त निदेशक और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों के लिए सरकार को भेजे प्रस्तावों के अनुसार मंत्रालयिक कर्मचारियों के पद जारी कराए जाने की मांग की है.
उन्होंने सरकार की ओर से मंत्रालयिक कर्मचारियों के बढ़ाए गए उच्च पदों की स्वीकृति शीघ्र जारी करने की मांग भी की है. इसके अलावा प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों के लिए भी पदों के प्रस्ताव भेजवाने के निर्देश शिक्षा अधिकारियों को देने की मांग की.
समस्याओं को लेकर निदेशालय पर प्रदर्शन
सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से लगातार गैर सरकारी विद्यालयों के साथ किए जा रहे सौतेले व्यवहार को लेकर जिले के लगभग 450 उच्च माध्यमिक, माध्यमिक और 1050 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, गैर सरकारी विद्यालयों के संचालकों में गहरा आक्रोश है. समस्याओं को लेकर स्कूल शिक्षा परिवार के बैनर तले सोमवार को शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन किया गया.
निजी स्कूलों में आर्थिक संकट
संगठन के तहसील अध्यक्ष भंवर उपाध्याय ने बताया कि सत्र 2021-22 समाप्त होने के बाद भी निजी विद्यालयों को आर.टी.ई का भुगतान नहीं किया गया है. वहीं सत्र 2017-18 से 2019-20 का भुगतान भी विभिन्न कारणों से रोक लिया गया है. जिसके कारण निजी स्कूलों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है.
शुल्क वृद्धि का विकल्प पिछले 4 साल से बंद होने से आहरित किए जा रहे शुल्क और वास्तविक शुल्क में अंतर आ गया है. क्रीड़ा शुल्क और कक्षा 5 की परीक्षा के नाम पर गैर सरकारी स्कूलों से ही शुल्क वसूली जैसे आदेशों से भी निजी स्कूल संचालकों में रोष व्याप्त है.
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