Rajasthan Thermal Plant: राजस्थान के थर्मल प्लांट यानी बिजलीघरों में कोयला से निकलने वाली लाखों टन फ्लाईऐश जिसे थर्मल का राख कहा जाता है वह किसानों के लिए फायदेमंद होगी. यहां झालावाड़ जिले कबकालीसिंध पावर प्लांट में इस राख की जांच करवा कर कृषि भूमियों में पेस्टिसाइड की जगह पर उपयोग में लेने के लिए बड़ी खोज की है. जो कृषि भूमि की उर्वरता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकती है.


इस राख से मिट्टी की गुणवत्ता सुधरेगी


प्रदेश भर में किसान पेस्टिसाइड, रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरकता प्रभावित हो रही है. थर्मल से निकलने वाली फ्लाईएश को हंकाई से पूर्व खेतों में फेंकने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है. इस योजना के प्रस्ताव सरकार को भेज दिए गए हैं यदि सरकार प्रस्ताव को मंजूरी देती है तो प्रदेश के लाखों किसानों को फायदा होगा.


रिसर्च में ये आया सामने


थर्मल पावर प्रोजेक्ट के इंजीनियर आरएन गुप्ता ने बताया कि आईआईटी कानपुर की ओर से भी अध्ययन में पाया गया है कि फ्लाईऐश के उपयोग से मिट्टी की पीएच वैल्यू बढ़ी है. जिससे उर्वरता क्षमता में काफी वृद्धि होगी. रिसर्च में सामने आया है कि फ्लाईऐश में 38 से 63 फीसदी सिलिका, 27 से 44 फीसद एलुमिना, 3.3 से 6.4 फिसद फास्फोरस, कैल्सियम ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे उपयोगी तत्व होते हैं. जिससे मिट्टी उपजाऊ बनाई जा सकती है. ऐसे खनिज लवण जब खेती की मिट्टी में शामिल होते हैं, तो मिट्टी बैक्टिरिया मुक्त होने लगती है.


इसके उपयोग से मिट्टी की पीएच वैल्यू बढ़ेगी


अभियंता आरएन गुप्ता ने बताया कि हमने कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट से कुछ सैंपल विशेषज्ञों को भिजवाए थे. जिसमें विशेषज्ञों ने बताया कि आजकल किसान फसलों और सब्जियों को कीटाणुओं से बचाने के लिए हानिकारक पेस्टिसाइड्स का उपयोग कर रहे हैं. मिट्टी और फसलों में आवश्यकता से अधिक केमिकल पदार्थों का छिडकाव करने से खेतों में उर्वरकता कम होती जा रही है. फ्लाईऐश के उपयोग से मिट्टी की पीएच वैल्यू 7.9 से 8.4 तक बढाई जा सकती है. जिससे यह मिट्टी में घुले रासायनिक तत्वों और गंदगी को अवशोषित कर उर्वरकता बढ़ाती है.


कई माइक्रो और मेक्रो पोषक तत्व होते हैं


विशेषज्ञ ने बताया कि फ्लाईऐश में कई माइक्रो और मेक्रो पोषक तत्व होते हैं. मिट्टी में इसके प्रयोग से अनाज, दलहन, गन्ना, कपास की पैदावार में 12.5 प्रतिशत और सब्जियों में 30 प्रतिशत बढ़ोतरी पाई गई है. जब पेड़-पौधों में पोषक तत्व जाएंगे तो भूजल भी शुद्ध रहेगा. इसलिए वर्षा से पहले मिट्टी में फ्लाई एश के उपयोग की सलाह दी जाती है. उन्होंने बताया कि इसके प्रयोग के बाद पैदावार का आंकलन किया गया. जिसमें पता चला कि प्रति हैक्टेयर भूमि में 100 से 200 टन फ्लाईऐश का उपयोग करने से पैदावार में 10 से 40 प्रतिशत वृद्धि पाई गई.


जिसमें चावल, दलहन, सरसों, मक्का, सोयाबीन और सब्जियां शामिल हैं. विशेषज्ञों ने बताया कि तापीय बिजलीघरों से निकलने वाली फ्लाई एश अब बहुआयामी उपयोगी पदार्थ बन चुकी है.


देश की इन लैब में हो चुकी जांच


नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन हैदराबाद की लैबोरेटी जांच से स्पष्ट हुआ कि मिट्टी में फ्लाईऐश के मिश्रण से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा गया. बल्कि पैदावार में प्रोटीन, आयरन और केल्सियम तत्वों की मात्रा में वृद्धि हुई. विश्व भारती यूनिवर्सिटी और पश्चिम बंगाल की मिट्टी जांच प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार फ्लाईएश को वर्मी कम्पोस्ट के रूप में विकसित कर दिया गया है. जिससे देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने में यह सबसे महत्वपूर्ण घटक साबित हो सकता है.


केमेस्ट्री विभाग के निदेशक रिसर्च प्रो. आशुरानी ने बताया कि राख में कई तत्व होते हैं. थर्मल से निकलने वाली फ्लाईएश में सोडियम, पोटेशियम, सिलिका जैसे कई तत्व होते हैं. किसान इसका प्रयोग के तौर पर उपयोग कर सकता है. लगातार प्रयोग से इससे भी नुकसान शुरू हो सकते हैं. इसमें कई लाभदायक तत्वों के अलावा भी अन्य मेटल आदि तत्व होते हैं.


सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजे गए


राजस्थान के कई जिलों में थर्मल पावर प्लांट स्थित है. जहां पर बड़ी संख्या में कोयले से राख निकाली जाती है. कई जगहों पर निजी रूप से टेंडर प्रक्रिया कर इन्हें बेचा जाता है. जबकि कहीं पर यह राख ऐसे ही पड़ी हुई है. ऐसे में राजस्थान के कालीसिंध पावर प्लांट ने किसानों के लिए बड़ी पहल करते हुए इस मिट्टी की जांच करवाकर कृषि उपयोग में लेने लायक बड़ी खोज की है. यदि राजस्थान के इन थर्मल पावर प्लांट से किसानों को फ्लाईएश दी जाए तो किसानों को बड़ा फायदा होगा.


कालीसिंध पावर प्रोजेक्ट के अभियंता आरएन गुप्ता ने सरकार को भी इस बारे में अवगत करवा दिया है और प्रस्ताव बनाकर भेजे हैं. यदि सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है तो राजस्थान के हजारों किसानों को बड़ा फायदा होगा. किसान पेस्टिसाइड सहित कई चीजों को अपनी भूमि में डालते हैं वह इस राख को डालकर अपनी उपज को और तेजी से कर सकेंगे. 


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