Khwaja Moinuddin Chishti Diwan statment on Hijab Controversy: कर्नाटक (Karnataka) के एक स्कूल में 1 जनवरी को 6 छात्राओं (Girl Students) को हिजाब (Hijab) पहन कर क्लास में जाने से रोक दिया, जिसके बाद पूरे देश में इस घटना को लेकर विवाद (Controversy) छिड़ गया है. हिजाब विवाद (Hijab Controversy) के मामले में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) की दरगाह (Dargah) के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान (Diwan Syed Zainul Abedin Ali Khan) ने भी बयान दिया है.
उन्होंने हिजाब पर उठ रहे विवाद को लेकर कहा कि, "हिजाब पहनना मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) का संवैधानिक (Constitutional) और धार्मिक अधिकार (Religious Rights) है और इसे रोकना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन (Violation of Constitutional Rights) है. सैयद जैनुल आबेदीन ने कहा कि, "किसी भी प्रकार की नफरत या विद्वेष फ़ैलाने वाली भाषा (Hate Speech) से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) में संशोधन (Amendment) की आवश्यकता है."
हिजाब (Hijab) पर प्रतिबंध (Ban) संवैधानिक अधिकारों को दे रहा है चुनौती
दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने इस मौके पर एक प्रेस नोट (Press Note) जारी करते हुए कहा, "810वें सालाना उर्स (Annual Urs) पर विभिन्न धार्मिक नेताओं (Religious Leaders) की एक बैठक यहां आयोजित की गयी थी." जहां बैठक को संबोधित करते हुए दीवान सैयद जैनुल आबेदीन ने कहा कि, "हिजाब पर कोई प्रतिबंध नहीं होनी चाहिए, क्योंकि सभी छात्रों को अपने धार्मिक प्रतीकों (Religious Symbols) को पहनने की स्वतंत्रता (Freedom) है. हिजाब पर प्रतिबंध ना केवल संवैधानिक अधिकारों को चुनौती दे रहा है, बल्कि सांप्रदायिक माहौल (Communal Atmosphere) भी पैदा कर रहा है.
सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने इस मामले में आगे कहा कि, "यह घटना न सिर्फ भारत में बल्कि विश्वस्तर पर भी सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा दे रहा है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरुरी है कि सभी एक साथ आगे आयें और अपने सामजिक कर्तव्यों का पालन करें." संप्रदायिकता को लेकर उन्हों ने कहा, "हमें एकता और सद्भावना के साथ संप्रदायिक ताकतों से लड़ना है."
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के दीवान ने विकास और सफलता हथियारों और आतंकवाद (Weapons and Terrorism) से नहीं मिलती, भाईचारा (Brotherhood) फैलाने की जिम्मेदारी दरगाहों की
नफरत फ़ैलाने वाली भाषा के इस्तेमाल पर दीवान सैयद जैनुल आबेदीन ने कहा, "बांटने वाले और भड़काऊ भाषणों के खिलाफ सजा है." उन्हों ने राजनीतिक दलों के नेताओं से लोगों को बांटने के लिए राजनीति का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की." उन्हों ने कहा, "हमें यह समझना होगा कि विकास और सफलता (Growth and Success), हथियारों और आतंकवाद से नहीं मिलती, यह सिर्फ कड़ी मेहनत और समर्पण (Hard Work and Dedication) से हासिल किया जा सकता है."
सांप्रदायिक सद्भाव (Communal Harmony) के मामले पर दीवान ने कहा कि, "समाज में सांप्रदायिक सद्भाव के माध्यम से भाईचारा फैलाने की जिम्मेदारी दरगाहों की है. यह जरुरी है कि युवाओं को अतिवाद और आतंकवाद (Extremism and Terrorism) को अपनाने से रोका जाए, इसके बजाय उन्हें शिक्षा (Education) की ओर प्रोत्साहित (Encouraged) करना चाहिए.
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