Navaratri:  क्या आपके विवाह में अड़चनें आ रही हैं. क्या लंबे समय से आपको आपका जीवनसाथी नहीं मिल रहा है. यदि हां तो अब आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. आज हम आपको ऐसा उपाय बताने जा रहे हैं कि आपको जल्द ही आपका जीवनसाथी मिल जाएगा. कल यानी सोमवार से नवरात्रि शुरू हो रही हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.


यदि आपकी कामना शीघ्र विवाह की है तो इसके लिए आपको नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा अर्चना करनी होगी, ऐसा करने से शीघ्र ही आपकी यह इच्छा फलीभूत होगी. देवी कात्यायनी अविवाहित कन्याओं को मनपसंद पति पाने की बाधाएं दूर करती हैं.  श्रीकृष्ण का गोपियों के साथ रास इसका प्रमाण है कि देवी कात्यायनी से मांगा वर खाली नहीं जाता.


देवी कात्यायनी की पूजा से पूर्ण होगी मनोकामना


देवी कात्यायनी कात्य नामक ऋषि की पुत्री थी. महिषासुर का आतंक खत्म करने के लिए ऋषि कात्य ने तपस्या कर मां दुर्गा से वरदान मांगा कि आप मेरी पुत्री बनकर जन्म लें और महिषासुर का अंत करें. उनकी तपस्या से प्रसन्न माता ने उनकी कामना पूर्ण की और ऋषि के घर जन्म लिया.  जन्म लेने पर सबसे पहले ऋषि कात्य ने उनकी पूजा-अर्चना की, इसी से उनका नाम कात्यायनी पड़ा. फिर उन्होंने महिषासुर का अंत किया, लेकिन यही कात्यायनी देवी अविवाहित कन्याओं को मनपसंद वर पाने की कामना भी पूरी करती हैं.


गोपियों की पूरी की थी मनोकामना


इसका प्रमाण ये है कि गोपियों ने श्रीकृष्ण को वर रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की यमुना तट पर पूजा की थी. विष्णु के आंठवें अवतार श्रीकृष्ण के लिए सभी गोपियों से विवाह तो संभव नहीं था, पर उनकी कामना पूर्ति के लिए ही गोपियों संग श्रीकृष्ण ने रास रचाया और हर गोपी के साथ कृष्ण नजर आए.  इसी कारण देवी कात्यायनी बृज की अधिष्ठात्री देवी कहलाईं. दूसरा महत्वपूर्ण यह भी है कि नवरात्र के छठे दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है जिससे मन की कामना शीघ्र पूरी होती है.


मनोकामना पूर्ण करने के लिए कैसे करनी है पूजा, पंडित सुरेश श्रीमाली से जानें
नवरात्रि की ‘षष्ठी तिथि यानि छठी तिथि से आरंभ करके, अगली 5 या 7 शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को देवी मां कात्यायनी की ये पूजन विधि निश्चित ही शीघ्र विवाह करवाने में अचूक हैं. मां कात्यायनी की संध्याकालीन पूजा, गोधूलि वेला की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. मां कात्यायनी को पीला रंग अति प्रिय है. ऐसे में पीला या लाल वस्त्र धारण कर संध्याकाल में माता की पूजा करें. साथ ही माता को पीले रंग के सुगंधित पुष्प, नैवेद्य अर्पित करें. इसके साथ मां को शहद का भोग अवश्य लगाएं. इससे माता प्रसन्न होंगी और विवाह सम्बन्धी अड़चनें दूर होंगी. 


इस मंत्र का करें जाप
माता के सामने घी का दीपक जलाएं. विधि-विधान से पूजा करें. इसके बाद हल्दी की तीन गांठें अर्पित करें. मां से मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें. मां कात्यायनी के समक्ष चंदन या किसी भी माला से *‘कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी. नन्दगोपसुतम् देवी, पति मे कुरु ते नमः।।’* इस मंत्र का एक माला जप करें. 


हल्दी की गांठों का ऐसे करें इस्तेमाल
पूजा सम्पन्न होने के बाद हल्दी की गांठों को पीले कपड़े में बांधकर अपने पास रख लें. नैवेद्य को घर में बांटे और शहद को विशेष रूप से यदि लड़का या लड़की स्वयं ग्रहण करें या चाहें तो फेसपेक रूप में उसका इस्तेमाल करें या जल में मिलाकर चेहरा निरंतर धोएं. ऐसा करने से विवाह होने में आने वाली बाधाएं दूर होकर मनचाहा वर या वधु मिल जाते हैं और सफल एवं सुगम वैवाहिक जीवन व्यतीत होता है.


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