Kota News: राजस्थान के कोटा संभाग के सबसे बडे अस्पताल से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां के एक वकील व्हील चेयर न मिलने पर इतने नाराज हो गए कि अपने बेटे तीसरी मंजिल से लाने के लिए स्कूटर से पहुंच गए, अस्पताल में स्कूटी देख कर लोग कर्मचारी, मरीज और उनके परिजन दंग रह गए. इस बात की जानकारी जब अस्पताल के स्टाफ को लगी तो हंगामा हो गया. अस्पताल की इस अव्यवस्था को देख कर संभागीय आयुक्त ने भी नाराजगी जाहिर की है. 


इस संबंध में स्कूटर से अपने बेटे को तीसरी मंजिल तक जाने वाले वकील मनोज जैन ने कहा कि मेरे बेटे का फ्रैक्चर था, उसका वजन भी अधिक हैं जिसे में तीसरी मंजिल से नहीं ला सकता था. वहां मौजूद स्टॉफ से पूछा की मेरे पास इलेक्ट्रिक स्कूटर है जिसकी आवाज भी नहीं होती उसे ले आऊं क्या. उस पर वहां मौजूद स्टॉफ सुखलाल ने कहा ले आओ तभी में लेकर आया, लेकिन यहां देवकी नंदन ने मेरी गाड़ी की चाबी निकाल ली.


पुलिस ने कराया मामला शांत


वकील मनोज जैन पहले तो स्कूटर लेकर ग्राउंड फ्लोर से लिफ्ट के सहारे तीसरी मंजिल तक पहुंचे, उसके बाद बेटे को बैठाकर वापस लिफ्ट के सहारे आ गए. लेकिन नीचे उन्हें रोका तो हंगामा हो गया. इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच गई, जहां उन्होंने मामला शांत कराया. इस मामले में वकील और स्टॉफ के बीच जमकर बेहस हुई. 
 
स्टाफ के परमिशन से ले गया स्कूटर- वकील मनोज जैन


मामले में वकील मनोज ने बताया कि मुझे जब व्हील चेयर नहीं मिली तब मेने सुखलाल और मुकेश से परमिशन ली, उसके बाद ही इलेक्ट्रिक स्कूटर लेकर गया हूं. इन लोगों ने सीसीटीवी भी देखा है जिसमें में इनकी परमिशन से ही गया हूं. मनोज जैन ने बताया कि जब अस्पताल में व्यवस्था नहीं हैं तो आमजन क्या करेगा.


अस्पताल प्रशासन ने क्या कहा?
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. कर्णेश गोयल ने इस मामले में कहा कि ये मामला मेरी नजर में आया है, लेकिन अस्पताल स्टॉफ ने बाहर तक स्कूटी लाने के लिए कहा था. ऊपर तक ले जाने के लिए नहीं कहा. हमने व्हील चेयर के लिए सरकार को लिख रखा है, सप्लाई में व्हील चेयर नहीं है, लेकिन स्कूटर ले जाना गलत है. उन्होंने कहा कि दूसरे मरीज भी कह रहे थे कि हम भी अपनी गाड़ियां लेकर आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि अस्पताल में स्कूटर लाने की परमिशन नहीं है.


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