Bharatpur News: राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर (Bharatpur) में चल रही अघोषित बिजली कटौती का खामियाजा आमजन को उठाना पड़ रहा है. सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों का बिजली जाने के बाद गर्मी से हाल बेहाल है. अस्पताल में भर्ती मरीज बीमारी से ज्यादा गर्मी से तड़प रहे हैं लेकिन ज्यादातर अस्पतालों में बिजली गुल होने के बाद बिजली उपलब्ध कराने के संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. भरतपुर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित नदबई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के हालात बेहद ज्यादा खराब हैं.
अस्पताल में परेशान मरीज
इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पूरे नदबई विधानसभा क्षेत्र से भारी संख्या में लोग इलाज के लिए आते हैं. भीषण गर्मी के इस दौर में मौसमी बीमारियां भी चल रही हैं. अस्पताल के बेड मरीजों से भरे पड़े हैं. अस्पताल में भर्ती ज्यादातर मरीज मौसमी बीमारी बुखार जुखाम खांसी से पीड़ित हैं. इस अस्पताल में इन दिनों ज्यादातर समय बिजली गुल हो रही है जिससे मरीज गर्मी से परेशान हैं. अस्पताल में जनरेटर भी है लेकिन उसकी सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है.
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मरीज ने क्या कहा
एक मरीज ने बताया कि बुखार आने की वजह से वे अस्पताल में भर्ती हुए हैं. यहां डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जा रहा है, लेकिन बिजली नहीं आने से गर्मी से बहुत ज्यादा परेशान हैं. पंखा कूलर कुछ भी नहीं चल पा रहे हैं. हमारे परिजन ही हाथों के पंखे से हवा कर गर्मी से राहत देने की कोशिश कर रहे हैं. यहां इनवर्टर या जनरेटर की कोई सुविधा नहीं है.
ग्रामीण इलाकों में भी
यही हाल भरतपुर के ग्रामीण इलाकों का है जहां बिजली की अघोषित कटौती ने जीना मुश्किल कर दिया है. बच्चों के पेपर भी चल रहे हैं. बिजली कटौती से उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है. बच्चे पेपर की तैयारी ठीक प्रकार से नहीं कर पा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बिजली कटौती का कोई टाइम नहीं है. जब जी चाहे कटौती शुरू हो जाती है. हाल यह है कि 24 घण्टे में मात्र 4 -5 घण्टे ही बिजली आती है. बिजली नहीं आने की वजह से पानी की भी समस्या हो रही है गर्मी के मौसम में बिजली पानी की ज्यादा जरुरत होती है लेकिन बिजली पानी ही उपलब्ध नहीं हो रहा है.
अभियंता ने क्या कहा
बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता संजय अग्रवाल का कहना है कि इस वर्ष मार्च और अप्रैल में तापमान 44-45 डिग्री तक पहुंच गया है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. तापमान बढ़ने से बिजली की मांग बढ़ गई है. अतिरिक्त बिजली बढ़ी कीमतों पर भी उपलब्ध नहीं हो रही है और तकनीकी कारणों से भी बिजली यूनिट बंद हो जाती है जिससे बिजली कटौती करनी पड़ती है.