Rajasthan News: कवि डॉ. कुमार विश्वास ने छात्रों से एक संवाद के दौरान कहा कि संघर्ष जितना लंबा होगा, सफलता उतनी ही शानदार होगी, इसलिए जीवन में कभी भी संघर्ष से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए बल्कि डटकर सामना करना चाहिए. इंजीनियर-डॉक्टर बनना प्रोडक्ट है लेकिन उससे भी ज्यादा जरुरी है अच्छा इंसान बनना.  विद्यार्थियों से संवाद से पहले कुमार विश्वास ने शनिवार को  अध्ययनरत शहीद परिवारों के बच्चों और कोरोना में अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों से बातचीत की. उन्होनें स्वयं के जीवन के उदाहरण देकर विद्यार्थियों को जीवन में संघर्ष करने और समस्याओं व चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि आईआईटीयन बनना पेंटिंग है और इंसान होना कैनवास है.


डॉ. विश्वास ने विद्यार्थियों से संवाद में कहा कि कोई भी लक्ष्य आपके जीवन से बड़ा नहीं है. सबसे बड़ी आपकी जिन्दगी है. आज डॉ. अब्दुल कलाम साहब का दिन भी है, वो भी एनडीए में चयनित नहीं हुए थे. वो मानसिक शांति की खोज में वे स्वामी शिवानंद के आश्रम पहुंचे. कलाम साहब ने स्वामीजी को अपने नहीं चुने जाने की असफलता के विषय में बताया तो वे बोले अपनी दिव्य दर्जा पर विश्वास रखो और अपनी नियति को स्वीकार कर इस असफलता को भूल जाओ. नियति को तुम्हारा पायलट बनना मंजूर नहीं था. अपने लिए सही लक्ष्य की तलाश करो. इसके बाद कलाम साहब ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज पूरे विश्व में उन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है. दुनिया परीक्षाओं के बोझ से नहीं, प्रतिभाओं की सोच से गढ़ी जाती है. आप लोग टेक्नोक्रेट बनें,  मेहनत करे और आप अच्छे इंसान बनें.
 
आपके कमरे के दोस्त खुश नहीं तो आईआईटीयन बनने का अर्थ नहीं
इंजीनियर और डॉक्टर नहीं, अच्छा इंसान बनना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए. आपके साथ कमरे में रह रहे दो अन्य सहपाठी आपसे खुश नहीं है तो आपके आईआईटीयन होने का कोई अर्थ नहीं है. विद्यार्थियों को सोशल मीडिया का उपवास करना चाहिए. जीवन में कभी भी अंधेरा घिरे तो खुद से बात करना. हिम्मत का सागर लांघो तो लहर-लहर जयकारा होगा, दिल टूटे या एटम टूटे, दुनिया में उजियारा होगा.


एक प्रदेश तो छोड दो बीजेपी वालों
कुमार विश्वास ने दशहरा मेले में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में अपनी कविताओं के माध्यम से समा बांधा और रात तीन बजे तक कवि सम्मेलन में करीब एक लाख लोग डटे रहे. उन्होंने राजनीति, सामाजिक, धार्मिक और व्यवस्थाओं पर जमकर व्यंग किया और हास्य से भी सराबोर किया. उन्होंने कहा कि बीजेपी वालों एक प्रदेश तो छोड दो, पांच व्यक्ति शोचालय जाते हैं तो पता चलता है कि पीछे से कोई और उन्हें ले गया. उन्होंने कांग्रेस पर भी व्यंग करते हुए कहा कि गहलोत कब हाथ फैरते हैं और दौंसा वाले को पता ही नहीं चलता ये क्या हो गया. इस दौरान कवि जगदीश सोलंकी, तेज नारायण की कविताओं ने भी देशभक्ति का भाव ह्दय तक उतार दिया.


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