Psychiatrists View: कोरोना काल में देश में मानसिक अवसाद के मामलों में 25 फीसद का इजाफा, जानिए क्या है इसकी वजह
Kota News: कोटा में आयोजित सेमिनार में 300 मनोचिकित्सकों ने मानसिक तनाव से होने वाले विकारों और समस्याओं पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के दौरान देश में मानसिक अवसाद के मामले 25 फीसदी बढ़े.
Rajasthan: वैश्विक महामारी कोविड-19 (Covid-19) ने लोगों को आर्थिक और स्वास्थय जैसे कई तरह की समस्याओं से दो-चार कर दिया. इससे मानसिक तनाव वाले रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. कोटा में तीन दिन तक हुए सेमिनार में मनोचिकित्सकों ने इसकी पुष्टि की है. इस सेमिनार में देशभर से तीन सौ मनोचिकित्सकों ने मानसिक रोग, आत्महत्या, तनाव पर गहन मंथन किया और नए शोधों के संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं.
इस सेमिनार में लक्षणों के आधार पर काउंसलिंग की नई तकनीक बात को सिरे से स्वीकार किया गया. अखिल भारतीय औद्योगिक मनोविज्ञान संगठन (एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रियल साइकेट्री ऑफ इंडिया) के 19वें वार्षिक अधिवेशन में मनोविज्ञान से संबंधित सभी तरह की समस्याओं और उसके समाधान पर चर्चा की गई. सेमिनार में चर्चा के दौरन यह बात भी सामने आई की कोविड-19 के दौरान देशभर में मानसिक अवसाद के मामलों में 25 फीसद का इजाफा हुआ है. इस दौरान देशभर के चिकित्सकों के ई- पोस्टर भी प्रदर्शित किए गए.
स्वास्थ्य बजट का केवल दो फीसदी मानसिक स्वास्थ्य पर किया जाता है खर्च
मानसिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि केवल 35 फीसदी देशों ने ही अपने यहां कामकाज संबंध में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम होने की बात कही है. कोविड-19 महामारी के कारण आम तौर पर महसूस की जाने वाली बेचैनी और मानसिक अवसाद के मामलों में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है.
सेमिनार में विशषज्ञों ने बताया कि साल 2020 में विकसित देशों की सरकारें, औसतन अपने स्वास्थ्य बजट का केवल दो फीसदी मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च कर रही थीं, वहीं निम्नतर मध्य आय वाले देशों में यह एक फीसदी से भी कम था. ये आंकड़े सरकारों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए पहले से की गई तैयारियों के अभाव और मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी संसाधनों की किल्लत के परिचायक हैं.
व्यक्ति का तनाव और उसकी कार्य क्षमता में संबंध
सेमिनार में मनोचिकित्सकों ने कहा कि किसी व्यक्ति के काम का तनाव उसके फैमिली के साथ बिताए समय को प्रभावित कर सकता है, जबकि व्यक्तिगत तनाव व्यक्ति की गुणवत्ता के काम को पूरा करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं. कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य का महत्व दो गुना है और यह मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन एक- दूसरे से कैसे जुड़ते हैं. ऐसी स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना सर्वोपरि हो जाता है ताकि वह व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरह से अपनी क्षमता का पूरी तरह से एहसास कर सकें.
किसी संगठन का हर्ट होते हैं कर्मचारी
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. एमएल अग्रवाल ने कहा कि कर्मचारी एक संगठन का हर्ट होते हैं, क्योंकि कर्मचारी अपने जीवन का लगभग एक तिहाई हिस्सा कार्यस्थल पर व्यतीत करते हैं. इसलिए प्रत्येक कंपनी की उनके मानसिक स्वास्थ्य के प्रति एक निश्चित जिम्मेदारी होती है. मानसिक स्वास्थ्य की यह प्राथमिकता जरूरी और नियमित प्रेक्टिस से संभव है.
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