Rajasthan News: राजस्थान पुलिस के विशेष अभियान समूह (SOG) ने अजमेर में एक बुजुर्ग महिला से 80 लाख रुपये की कथित रूप से साइबर ठगी के मामले में 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. अतिरिक्त महानिदेशक वीके सिंह ने एक बयान में बताया कि आरोपियों ने नवंबर महीने में एक सप्ताह तक महिला को 'डिजिटल अरेस्ट' रखा.


इसके बाद आखिर में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए 150 अलग-अलग बैंक खातों में धनराशि जमा कराई. उन्होंने बताया कि एसओजी टीम ने आरोपियों से 13 लाख रुपये नकद, 27 मोबाइल फोन, 43 डेबिट कार्ड, 19 बैंक पासबुक, 15 चेकबुक, 16 सिम बरामद किया है. अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों से इस तरह के अन्य मामलों में संलिप्तता के बारे में पूछताछ की जा रही है.


क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
दरअसल, डिजिटल अरेस्‍ट एक नया धोखाधड़ी करने का तरीका है, जिसमें ठग अपने आप को सरकारी अफसर बताकर लोगों के साथ ठगी करते हैं. इसके साथ ही सरकारी अफसर बनकर वह लोगों से वीडियो कॉल करते हैं और उन्हें विश्वास में लेकर उनसे पैसों की डिमांड की पूरा करवाते हैं. वह यह काम इस प्रकार से करते हैं कि लोगों को मजबूरन उन्हें पैसे देने पड़ जाते हैं. इसी नए तरीके के धोखाधड़ी को डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है.


बता दें इस तरीके की धोखाधड़ी में लोगों को बताया जाता है कि उनका नाम नशीले पदार्थों की तस्‍करी में आया है. ऐसे में लोग डर जाते हैं. इसके बाद अपराधी अपने आप को सरकारी अफसर बताकर लोगों को विश्वास दिलाते हैं कि अगर वह उन्हें पैसे देते हैं तो वह जेल जाने से बच जाएंगे. इसी प्रकार से कई लोग इन ठगों के जाल में फंस जाते हैं और उन्हें पैसे दे देते हैं.


इसके अलावा लोगों को कई बार बताया जाता है कि उनका कोई करीबी मुसीबत में पड़ा है. किसी का बच्चा कोई पुलिस केस में फंस गया है तो उनके पैरेंट्स को फोन करके अपने जाल में फंसाने की कोशिश की जाती है.



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