Rajasthan: मध्य प्रदेश के बाद क्या राजस्थान में भी हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार? बदलाव की सुगबुगाहट तेज!
Rajasthan Election 2023: कैबिनेट मंत्री हेमा राम चौधरी, बीडी कल्ला, महेश जोशी के फेरबदल की सुगबुगाहट तेज है. राज्य मंत्री बृजेन्द्र सिंह ओला, मुरारी लाल मीणा के कार्यभार में भी बदलाव हो सकता है.
Rajasthan Election 2023: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई है. क्योंकि यहां पर कई ऐसे मंत्री हैं, जिनसे पिछले दिनों सरकार को 'परेशानी' का सामना करना पड़ा है. कुछ मंत्रियों के विभाग में बदलाव की भी चर्चा हो रही है. एक तरफ जहां चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं, वहीं मंत्रिमंडल में फेरबदल की भी बात होने लगी है. पिछले महीने विधान सभा में अपनी ही सरकार पर हमला बोलने वाले राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था. उनकी जगह किसी एक बड़े नेता की एंट्री हो सकती है.
वहीं, ऐसे ही कई मंत्री हैं जो कई बार सरकार पर सवाल उठा चुके हैं. इसलिए, यहां फेरबदल की बात तेज हो गई है. ऐसे में कुछ नए लोगों को भी राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया जा सकता है. सूत्रों की माने तो अगर विस्तार हुआ तो दो राज्य और एक कैबिनेट मंत्री के कार्यभार या चेहरे में परिर्वतन हो सकता है.
इनकी है संभावना
कैबिनेट मंत्री हेमा राम चौधरी, बीडी कल्ला, महेश जोशी के फेरबदल की सुगबुगाहट तेज है. वहीं, राज्य मंत्री बृजेन्द्र सिंह ओला, मुरारी लाल मीणा के कार्यभार में बदलाव हो सकता है. ये सभी नेता अपनी विधान सभा में विशेष पहचान रखते हैं. मगर, कांग्रेस की तीनों सर्वे रिपोर्ट में इनके लिए अच्छी स्थिति नहीं बताई गई है. ऐसे में पार्टी यहां पर बदलाव के लिए सोच रही है. इसपर मंथन भी हो रहा है.
इन जिलों से किसी दूसरे चेहरे या इनकी जाति के दूसरे मजबूत लीडर को मौक़ा दिया जा सकता है. चर्चा तो यहां तक है कि इनकी जगह किसी एक युवा जाट महिला विधायक को मौक़ा दिया जा सकता है. इसके साथ ही कैबिनेट में एक एसटी चेहरे को आगे लाने की चर्चा है.
बहुत कम समय बचा है
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ का कहना है कि हर सरकार अपनी वापसी के लिए वो सारे जतन करती है जिससे उसकी वापसी बेहतर तरीके से हो जाये. यहां तो चुनाव में बहुत कम समय बचे है. मंत्रिमंडल में फेरदल की संभावना कम लगती है और यहां पर ऐसा कोई राजनीतिक कल्चर भी नहीं रहा है. वहीँ कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी का कहना है कि यह सीएम का खुद का निर्णय होता. वो जो चाहेंगे, खुद करेंगे.