Rajasthan Election: राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.  ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस सहित अन्य स्थानीय पार्टियां पूरी तरह से अपनी जान फूंक रही हैं. राजस्थान के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाली मेवाड़-वागड़ की 28 विधानसभा सीट पर अलग ही समीकरण चल रहे हैं. राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आगामी चुनाव में बीजेपी सीटों पर फिर से कब्जा करने के लिए परिवर्तन यात्रा और देव दर्शन यात्रा निकाली. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस इलाके में एक साल में करीब 25 दौरे कर चुके हैं. आइए जानते हैं कि बीजेपी के गढ़ में किससे किसको चुनौती मिल रही है.


उदयपुर जिले की 8 विधानसभा सीटें
अगर उदयपुर की 8 विधानसभा सीटों की बात की जाए तो यह बीजेपी का गढ़ माना जाता है. यहां 6 सीटें भाजपा के कब्जे में है और दो कांग्रेस के कब्जे में. बीजेपी के लिए कांग्रेस के कब्जे वाली वल्लभनगर और खेरवाड़ा विधानसभा सीटें जीतना चुनौती है. क्योंकि खेरवाड़ा में लगातार 2 बार से कांग्रेस जीत रही है और वल्लभनगर में मुख्य चुनाव और फिर उपचुनाव, दोनो ने कांग्रेस का दबदबा रहा है. अब बीजेपी का इन दोनों सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस है. वहीं कांग्रेस की बात की जाए तो मेवाड़ और वागड़ में सबसे बड़ी चुनौती इन्हीं 6 सीटों पर है. जहां भाजपा का लंबे समय से वर्चस्व है. हालांकि इस बार कांग्रेस के पास मौका है क्योंकि क्षेत्र के कद्दावर नेता गुलाब चंद कटारिया असम के राज्यपाल बन गए हैं, जिससे भाजपा के पास इस इलाके में कोई कद्दावर नेता नहीं है.


बांसवाड़ा जिले की 5 विधानसभा सीटें
बांसवाड़ा के 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर है. क्योंकि यहां दोनों पार्टियां बराबरी पर हैं. लेकिन फिर भी यहां कांग्रेस का वर्चस्व ज्यादा है. 5 विधानसभा सीटों में से बागीदौरा और बांसवाड़ा विधानसभा पर कांग्रेस, वहीं घाटोल और गढ़ी में भाजपा का कब्जा है. कुशलगढ़ सीट पर निर्दलीय विधायक है. कांग्रेस यह कुछ हद तक मजबूत इसलिए है, क्योंकि निर्दलीय विधायक का कांग्रेस को समर्थन है. यहीं नहीं बांसवाड़ा के दोनों कांग्रेस विधायक, मंत्री भी हैं. ऐसे में इन सीटों पर भाजपा की नजरें टिकी हुई हैं. इसलिए बीजेपी ने परिवर्तन यात्रा भी बांसवाड़ा के बेणेश्वर धाम से निकाली थी.


डूंगरपुर जिले की 4 विधानसभा सीटें 
डूंगरपुर जिले की 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस, दोनों पार्टियों को कड़ी चुनौती मिल रही है. इसके पीछे कारण है कि पिछले चुनाव ने यहां से भारतीय ट्राइबल पार्टी उभरकर सामने आई थी. इस पार्टी के चौरासी और भाजपा का गढ़ रही सागवाड़ा विधानसभा सीट पर दो विधायक जीते थे. वहीं बांसवाड़ा विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ है, जहां कांग्रेस का विधायक है. वहीं आसपुर सीट पर दो बार से भाजपा का उम्मीदवार विधायक बन रहा है. यहां दोनों ही पार्टियों को अपनी सीट तो बचाने की चुनौती है. 


प्रतापगढ़ जिले की 2 विधानसभा सीटें
प्रतापगढ़ जिला जहां प्रतापगढ़ और धरियावद, दो विधानसभा सीट हैं. यह कई वर्षों तक भाजपा का गढ़ रहा क्योंकि कद्दावर नेता नंदलाल मीणा के हाथ में कमान थी. राजनीति से सन्यास लेने के बाद यहां प्रतापगढ़ में कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया. वर्तमान में प्रतापगढ़ में कांग्रेस का विधायक है और धरियावद में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने विजय प्राप्त की. भाजपा को फिर इन दोनो सीटों पर अपना राज स्थापित करना चुनौती बन गई है। 


राजसमंद जिले की 4 विधानसभा सीटें
राजस्थान के राजसमंद जिले की 4 विधानसभा सीटें हैं जहां भाजपा और कांग्रेस बराबरी पर हैं. दोनों पार्टियों ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र को पार्टी का गढ़ बनाया हुआ है. यहां की सीटें राजस्थान की हॉट सीट भी मानी जाती हैं. क्योंकि राजसमंद सीट से दिवंगत किरण महेश्वरी 4 बार लगातार भाजपा विधायक रहीं और उपचुनाव में उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी विधायक बनीं. वहीं नाथद्वारा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती हैं क्योंकि यहां से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी विधायक है. साथ ही कुंभलगढ़ सीट से भाजपा के सुरेंद्र सिंह 6 बार से विधायक हैं. वहीं भीम में कांग्रेस विधायक बने हैं. यहां भाजपा कांग्रेस में कांटे की टक्कर है.


चित्तौड़गढ़ जिले की 5 विधानसभा सीटें
चित्तौड़गढ़ जिले में भाजपा बढ़त में है और कांग्रेस को यहां चुनौती है. जिले की 5 में से 3 विधानसभा पर भाजपा के विधायक है. वहीं दो पर कांग्रेस के विधायक हैं. यहां चित्तौड़गढ़ और बड़ीसादड़ी विधानसभा पर दो-दो बार से भाजपा जीती है. वहीं कपासन में पिछले 4 बार से भाजपा के विधायक हैं. एक मात्र बेगू विधानसभा जो कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. यहां कांग्रेस विधायक एक तरफा जीत हासिल करते हैं.  


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