Ghatol Assembly Seat: राजस्थान विधानसभा चुनाव में महज दो महीने बाकी हैं. प्रदेश में सत्तासीन कांग्रेस और मु्ख्य विपक्षी दल बीजेपी सहित दूसरी सियासी जमातें जोरशोर से तैयारी में जुटी हैं. 9 अगस्त को आदिवासी दिवस पर बांसवाड़ा जिले की मानगढ़ धाम राहुल गांधी के जनसभा कर, कांग्रेस पार्टी की तरफ से चुनावी शंखनाद किया. राहुल गांधी की ये जनसभा स्थानीय सहित प्रदेश के आदिवासी मतदाताओं को कांग्रेस के पाले में साधने की कोशश मानी जा रही है. 


बांसवाड़ा जिला राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य जिलों में शुमार किया जाता है. इसी बांसवाड़ा जनजातीय जिले में एक ऐसी विधानसभा है जो बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. यह सीट घाटोल विधानसभा सीट, जो एसटी कैंडिडेट के आरक्षित है. बांसवाड़ा जिले की पांच विधानसभा सीटों में से सिर्फ घाटोल सीट पर बीजेपी दर्ज करने में कामयाब रही थी. आइये जानते हैं यहां का चुनावी समीकरण-


चेहरा बदलने के बावजूद बीजेपी जीती


घाटोल विधानसभा सीट पर पिछले दो टर्म से बीजेपी का कब्जा रहा है. बड़ी बात ये कि जिस बीजेपी कैंडिडेट ने साल 2013 के विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी, पार्टी ने साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें मौका नहीं दिया. जब बीजेपी ने यहां से जीते हुए चेहरे को रिप्लेस किया, तो कयास लगाए जा रहे थे कि ये सीट उनके हाथ से निकल जाएगी. हालांकि सारे आंकड़ों और कयासों को धता साबित करते हुए बीजेपी ने दोबार जीत हासिल किया. 


साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो घाटोल सीट पर बीजेपी के हरेंद्र निनामा ने कांग्रेस के नानालाल निनामा को 4449 वोटों से हराया था. हरेंद्र को 1 लाख 1 हजार 121 वोट मिले थे, जबकि नानालाल को 96 हजार 672 वोट मिले. तीसरे नंबर पर भारतीय ट्राइबल पार्टी के नरेश कुमार को सिर्फ 4 हजार 660 वोट ही हासिल कर पाये. 


घाटोल में सौ फीसदी ग्रामीण जनता


साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, इस निर्वाचन क्षेत्र की कुल आबादी 3 लाख 93 हजार 968 है. घाटोल विधानसभा सीट की लगभग सौ फीसदी जनता ग्रामीण है. क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति आबादी की बहुलता है और कुल आबादी का 83.98 फीसदी यही वर्ग है. जबकि अनुसूचित जाति की आबादी सिर्फ 4.57 फीसदी है.


घाटोल विधानसभा बीजेपी का गढ़- डॉ कुंजन आचार्य


राजनीतिक विश्लेषक डॉ कुंजन आचार्य बताते हैं कि बांसवाड़ा जिले की घाटोल विधानसभा सीट एक तरह से बीजेपी का गढ़ रही है. पिछले दो विधानसभा चुनाव से यहां भारतीय जनता पार्टी का विधायक निर्वाचित होता रहा है. मौजूदा विधायक हरेंद्र निनामा है. उनको पिछले चुनाव में बीजेपी के ही विधायक नवनीत लाल निनामा के स्थान पर नए चेहरे के रूप में उतर गया था. उस समय राजनीतिक पंडितों का मानना था कि मौजूदा विधायक का टिकट काटकर नए चेहरे को टिकट देने से बीजेपी को नुकसान होगा, लेकिन इसके उलट उन्होंने बड़े बहुमत से इस सीट पर जीत हासिल की थी.


क्या हैं प्रमुख मुद्दे?


घाटोल सीट से बांसवाड़ा की 5 सीटों के समीकरण भी तय होते हैं. यह आदिवासी क्षेत्र है, जहां पर चिकित्सा, शिक्षा, बिजली आदि समस्याएं हमेशा से प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है. आजादी के 75 साल बाद भी यहां रेलनेटवर्क नहीं पहुंचा, पर्यटन की संभावना होने के बावजूद उसको विकसित नहीं किया गया. रोजगार के लिए आदिवासी समाज के लोग गुजरात की ओर पलायन करते हैं. यह मुद्दे हमेशा से चुनाव में बने रहे हैं और यहां की जनता आज भी इन समस्याओं से दो-चार होती रहती है. 


अशिक्षा के कारण स्थानीय समस्या नहीं बनते मुद्दा


यह क्षेत्र मूलरुप से कृषि प्रधान है, लेकिन यहां के निवासियों की शिकायत रही है कि उन्हें फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता है. माही बांध और माही नदी के कारण यह क्षेत्र जल संसाधनों से भरपूर है, लेकिन माही नदी का पानी निचले इलाकों में तो पहुंचता है लेकिन ऊंचे इलाकों में नहीं पहुंचता है. यह भी एक बड़ी समस्या है. अशिक्षा और गरीबी के कारण इस आदिवासी अंचल में राजनीतिक जागरूकता का अभाव रहा है, इसलिए बड़े मुद्दे यहां चुनावी समीकरणों को प्रभावित नहीं करते बल्कि चुनाव के समय प्रत्याशियों के चेहरे मायने रखते हैं.


ये भी पढ़ें:  Rajasthan Election 2023: जयपुर की इस विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने वाली पार्टी की बनती है सरकार, 15 साल के आंकड़े दे रहे गवाही