Rajasthan Election 2023: राजस्थान में चुनाव आयोग ने कांग्रेस से मांगा जवाब, गहलोत सरकार के विज्ञापनों से है जुड़ा मामला
Rajasthan Election 2023: चुनाव आयोग ने राजस्थान सरकार द्वारा दिए गए विज्ञापनों को लेकर कांग्रेस से जवाब मांगा है. यह जवाब गुरुवार अपराह्न 3 बजे तक देना है. बता दें कि राज्य में शनिवार को मतदान है.
Rajasthan Election 2023: चुनाव आयोग ने राजस्थान सरकार द्वारा दिए गए विज्ञापनों पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से सफाई मांगी है कि क्यों ना उनके इन विज्ञापनों को अचार संहिता का उल्लंघन माना जाए, कल दोपहर 3:00 तक जवाब देना होगा. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मंगलवार को कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि वह राजस्थान विधानसभा चुनाव में उसके पक्ष में लहर होने के बारे में समाचार या राय के रूप में विज्ञापन दे रही है. बीजेपी ने निर्वाचन आयोग से राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
निर्वाचन आयोग ने समाचार पत्रों में कथित तौर पर खबरों के रूप में राजनीतिक विज्ञापन देने के मामले में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को बुधवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया. आयोग ने प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा को गुरुवार अपराह्न तीन बजे तक नोटिस का जवाब देने के लिए कहा है. नोटिस में कहा गया है, ‘‘विज्ञापन के इस प्रारूप, सामग्री, भाषा और ‘प्लेसमेंट’ का उपयोग करने से बचें, जो मार्च में आपकी अपनी पार्टी की ओर से की गई शिकायत के अनुसार, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम और आदर्श आचार संहिता की भावना का उल्लंघन करता है.’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह राजस्थान विधानसभा चुनाव में उसके पक्ष में लहर होने के बारे में समाचार या राय के रूप में विज्ञापन दे रही है. बीजेपी ने निर्वाचन आयोग से राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया और पूर्व मंत्री रविशंकर प्रसाद सहित बीजेपी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मामले को लेकर निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाया और शिकायत दर्ज कराई. अपनी शिकायत में बीजेपी ने कांग्रेस पर यह आरोप भी लगाया कि वह लोगों को राज्य में सत्ता में आने पर उसकी गारंटी का लाभ पाने के लिए मोबाइल नंबर पर मिस्ड कॉल देने के लिए कह रही है, जो कि ‘भ्रष्ट’ तरीकों का सहारा लेना है.
बीजेपी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग में की थी शिकायत
प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी नेता अमित मालवीय और ओम पाठक भी शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल ने कहा, ‘‘फोन करने वाले के लिए एक पंजीकृत नंबर तैयार किया गया था, जिससे यह धारणा बनी कि किसी खास उम्मीदवार या पार्टी, खासकर कांग्रेस पार्टी को वोट देने से केवल फोन करने वाले को ही फायदा होगा.’’
शिकायत में कहा गया है कि कांग्रेस ने यह विज्ञापन दिया है, जिसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा किया है. मांडविया ने संवाददाताओं से कहा कि इससे यह धारणा बनती है कि केवल उन्हीं लोगों को लाभ मिलेगा, जो खुद को पंजीकृत करेंगे और अन्य को नहीं. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य मतदाताओं को गुमराह करना है.
प्रसाद ने कहा-यह आदर्श आचार संहिता और विज्ञापन पर दिशानिर्देशों का उल्लंघन है
प्रसाद ने बीजेपी की एक अन्य शिकायत को रेखांकित किया, जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस ने राज्य में अपने पक्ष में ‘लहर’ होने को लेकर कुछ प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में हिंदी में विज्ञापन जारी किए. उन्होंने कहा कि इसे इस तरह से पेश किया गया है, जिससे मतदाताओं के दिमाग में यह धारणा बने कि यह एक सर्वेक्षण के बाद प्रकाशित एक समाचार या राय है.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह आदर्श आचार संहिता और विज्ञापन पर भारतीय प्रेस परिषद के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन है.’’ आयोग को सौंपे गए बीजेपी के ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘उक्त विज्ञापन झूठा, तुच्छ और पूरी तरह से असत्यापित है, जो वास्तविक तथ्यों और रिकॉर्ड पर उपलब्ध आंकड़ों के विपरीत है.’’
पार्टी ने इस मामले में संबंधित समाचार पत्रों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की. इसमें कहा गया है कि निर्वाचन आयोग को कांग्रेस को निर्देश देना चाहिए कि वह सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और इस आशय का स्पष्टीकरण दे कि पार्टी के पक्ष में कोई लहर नहीं है. प्रसाद ने कहा, ‘‘हमने निर्वाचन आयोग से यह सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया कि भविष्य के चुनावों में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो.’’ मिस्ड कॉल विज्ञापन के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी के ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘मिस्ड कॉल देना और बदले में कॉल करने वाले को एक पंजीकरण नंबर मिलना...यह मतदाताओं को कूपन वितरित करने जैसा है. यह एक अत्यधिक भ्रष्ट प्रथा है.’’
बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस ने आदर्श आचार संहिता के अलावा भारतीय दंड संहिता और चुनाव कानूनों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. इस मामले में प्राथमिकी की मांग करते हुए बीजेपी ने निर्वाचन आयोग से अशोक गहलोत और उनकी पार्टी को ‘भ्रामक’ विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित करने से तत्काल रोकने का आग्रह किया. पार्टी ने कहा कि आयोग को मतदाताओं को इस तरह के कदाचार के बारे में परामर्श जारी करना चाहिए, ताकि वे इससे गुमराह ना हों.