Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. चुनाव होने में एक माह भी नहीं बचा है. पार्टियां जोरो शोरो से तैयारियों में जुटी हुई हैं. साथ ही राजनीति से जुड़ी कई रोचक कहानियां सामने आ रही है. ऐसी ही एक मेवाड़ से जुड़ी रोचक बात यह है कि, मेवाड़ के चार दिग्गज नेता ऐसे हैं जिन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत पार्षद बनकर की और आगे जाकर केंद्र और राज्य में मंत्री बने. 


भारतीय जनता पार्टी की दिवंगत वरिष्ठ नेता किरण माहेश्वरी, जिनका कोविड के समय निधन हो गया और अब उनकी जगह उनकी बेटी दीप्ति विधायक हैं. किरण महेश्वरी ने उदयपुर में पार्षद बनकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. उदयपुर से सांसद रही, लेकिन फिर अजमेर से सचिन पायलट के सामने लोकसभा में उतरी और हार गईं. इसके बाद 2013 और 2018 ने लगातार में राजसमंद विधानसभा सीट से विधायक रहीं. इसके बाद फिर उच्च शिक्षा मंत्री और जल संसाधन मंत्री बनी.

 

त्रिलोक पुरबिया ने पार्षद से राजनीति की शुरुआत की

 

वहीं मेवाड़ में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता त्रिलोक पुरबिया जो उदयपुर से 90 के दशक में यानी 1998 से 2003 तक विधायक रहे. यह कांग्रेस से पिछले 60 साल से जुड़े हुए हैं. इन्होंने पार्षद से राजनीति की शुरुआत की. इसके बाद इंदिरा गांधी जब गिरफ्तार हुई थीं, तब यह भी जेल गए थे. त्रिलोक पुरबिया मेवाड़ में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता हैं.

 

पार्षद से कैबिनेट तक पहुंचे भानु कुमार शास्त्री 

 



दिवंगत नेता भानु कुमार शास्त्री भी उदयपुर ने पार्षद रहे. शास्त्री जनसंघ के संस्थापक सदस्य हैं. साथ ही भानु कुमार शास्त्री पार्षद और जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे. वह उदयपुर लोकसभा से सांसद रहे और कैबिनेट मिनिस्टर रहे. राजस्थान में जनसंघ इकाई के अध्यक्ष भी रहे हैं. बता दें कि, भानु कुमार शास्त्री सिंध के हैदराबाद (वर्तमान में पाकिस्तान) के रहेन वाले थे, लेकिन 1925 में वो भारत के उदयपुर में आकर बस गए.

 

फूल सिंह मीणा का पार्टी ने काटा पार्षद का टिकट

 

फूलसिंह मीणा अभी वर्तमान में उदयपुर ग्रामीण विधानसभा से विधायक है और उनकी विधायिका का लगातार दूसरा कार्यकाल है. वह शुरू से ही संघ से जुड़े हुए हैं. पिता के निधन के बाद जिम्मेदारी आई तो मजदूरी तक की. संघ में काम करने के कारण पार्टी ने पार्षद का टिकट दिया. अब वह विधायक है. खास बात यह कि एक मात्र विधायक है जो 7वीं पास थे, लेकिन दो साल के कार्यकाल में ग्रेजुएट हो गए.