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Rajasthan Election 2023: मेवाड़ की ऐसी 4 सीटें जहां कांग्रेस के बड़े नेता दो बार से हार रहे चुनाव, क्या इस बार पार्टी लेगी रिस्क?

Rajasthan Election: मेवाड़ में 4 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता पिछले दो बार से लगातार चुनाव हार रहे हैं. ऐसे में इस बार क्या इन नेताओं पर कांग्रेस दांव लगाएगी?

Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का काउंट डाउन शुरू हो चुका है. सभी नेता उल्टी गिनती गिन रहे हैं, क्योंकि चुनाव नजदीक आ रहे हैं. ऐसे में पार्टियां प्रत्याशियों को लेकर हर समीकरण देख रही है. बीजेपी ने तो चुनावी बिगुल के साथ ही अपनी पहली सूची जारी कर दी है. अब कांग्रेस पार्टी की सूची का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मेवाड़ में चार विधानसभा सीटों पर दिलचस्प मोड़ देखने को मिल रहा है. यहां चार ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता पिछले दो चुनाव से लगातार हार रहे हैं. फिर भी समीकरण ऐसे बैठ रहे हैं कि पार्टी भी सोचने को मजबूर हैं कि इनका टिकट काटकर किसी और को मौका दिया जाए या फिर से इन्हें को मैदान में उतारा जाए. जानिए चार सीटों पर कांग्रेस की क्या परेशानी बनी हुई है? 

मेवाड़ में विधानसभा सीटों की बात की तो 28 सीटें हैं. इनमें प्रमुख उदयपुर जिले की 8 विधानसभा सीटें (नव गठित सलूंबर जिले को मिलाकर) है. इन 8 में से 6 सीटों को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है, लेकिन दिलचस्प यह है कि, चार विधानसभा सीटें गोगुंदा, उदयपुर ग्रामीण, सलूंबर और मावली जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता मैदान में उतरते हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि, इन्हीं सीटों पर उतरने वाले दिग्गज नेताओं को लगातार पिछले दो बार से हार का सामना करना पड़ रहा है. 
 
उदयपुर ग्रामीण विधानसभ सीट*
उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट जो पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाता था और यहीं से दिवंगत कांग्रेस नेता खेमराज कटारा विधायक बने और मंत्री भी रहे. इनके निधन के बाद इस विधानसभा में बदलाव हुआ. कांग्रेस ने 2013 के चुनाव में खेमराज कटारा की पत्नी सज्जन कटारा को उतारा. उनके सामने थे बीजेपी के फूल सिंह मीणा जिन्होंने जीत दर्ज की. वहीं 2018 में एक बार फिर पार्टी ने भरोसा जताया और सज्जन कटारा के पुत्र विवेक कटारा को टिकट दिया और हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इस विधानसभा के बाद पंचायती राज चुनाव हुए जिसमें उदयपुर की गिर्वा पंचायत से जीत दर्ज का सज्जन कटारा प्रधान बनी. अब पार्टी के लिए चिंता का विषय यह है कि, यहां कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं और दूसरी तरफ कटारा परिवार दो बार से हार रहा है.
 
गोगुंदा विधानसभा सीट
गोगुंदा सीट हमेशा चर्चाओं में रहती है. यहां दो बार से लगातार पूर्व मंत्री मांगीलाल गरासिया चुनाव हार रहे हैं और बीजेपी के प्रताप गमेती जीत रहे हैं, लेकिन मांगीलाल गरासिया के अलावा उनके कद जैसा कोई नेता नहीं है. अन्य दावेदार इनकी हार का मुद्दा बनाकर दावेदारी जता रहे हैं, लेकिन फिलहाल कांग्रेस के पास ऑप्शन नजर नहीं आ रहा है.
 
मावली विधानसभा सीट
यहां भी पार्टी पिछले दो बार से लगातार चुनाव हार रही है और यहीं नहीं दोनों बार कांग्रेस से पुष्कर डांगी ही मैदान में थे. बड़ी बात यह है कि 2013 ने चुनाव हारने के बाद 2018 में इनका टिकट काटकर उदयपुर कांग्रेस के पूर्व देहात जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला को दिया था, लेकिन पुष्कर डांगी ने लाल सिंह झाला का टिकट कटवाकर फिर अपना ले आए थे, फिर भी वो हार गए और बीजेपी के धर्मनाराया जोशी की जीत हुई. मावली में कई दावेदार ताल ठोक रहे हैं, लेकिन इनके कद का कोई नहीं है. यहां बाहरी को भी मौका मिल सकता है.
 
सलूंबर विधानसभा सीट
कांग्रेस पार्टी के लिए सलूंबर विधानसभा सीट सबसे महत्वपूर्ण देखी जाती है, क्योंकि इसी सीट से मेवाड़ में कांग्रेस से आदिवासी के चेहरे, सीडब्ल्यूसी के पूर्व सदस्य और वर्तमान अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रघुवीर सिंह मीणा आते हैं. रघुवीर सिंह मीणा और उनकी पत्नी भी दो बार हार का सामना कर चुके हैं. साथ ही गत दिनों सीएम अशोक गहलोत की भी नाराजगी सामने आई थी, लेकिन इस सीट पर इनके कद का कोई भी नेता नहीं है. यहां बीजेपी के अमृत लाल मीणा जीत रहे हैं. यहीं नहीं पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने यहां जीत हासिल की थी और तीन दशक बाद कांग्रेस ने सलूंबर में अपना बोर्ड बनाया था.
 
 
 
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