Rajasthan News: चुनाव से पहले गुर्जरों को लुभाने की कोशिश, मेवाड़ में पीएम बोले- 'कमल से हुई हम दोनों की पैदाइश'
Mewar: पीएम ने अपने संबोधन में गुर्जर योद्धाओं के शौर्य को याद करते हुए कहा कि गुर्जर समाज शौर्य, पराक्रम और देशभक्ति का पर्याय रहा है. बता दें कि राजस्थान के 14 जिलों में गुर्जरों का दबदबा है.
PM Naredra Modi In Rajasthan: राजस्थान (Rajasthan) में विधानसभा चुनाव (Aseembly Election) से पहले कांग्रेस (Congress) के परंपरागत गुर्जर वोट बैंक को अपना बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शनिवार को मेवाड़ दौरे पर आए. वह गुर्जर समाज (Gurjar Community) के आराध्य भगवान देवनारायण (Bhagwan Devnarayan) के 1111वें जन्मोत्सव के मौके पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में शिरकत कर आस्था के साथ गुर्जरों को अपना बता गए. समाज को संकेतों में समझा दिया कि गुर्जरों का बीजेपी से गहरा नाता है. दोनों की पैदाइश कमल के फूल से ही हुई है.
पीएम ने गुर्जरों को ऐसे बताया अपना
पीएम मोदी ने भीलवाड़ा (Bhilwara) जिले के आसींद विधानसभा क्षेत्र स्थित मालासेरी डूंगरी (Malaseri Dungri) में भगवान देवनारायण जयंती (Devnarayan Jayanti) पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि "इस साल भगवान देवनारायण का 1111वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है और इसी साल भारत को जी-20 की अध्यक्षता करने का अवसर मिला है. भगवान देवनारायण का जन्म भी कमल पर हुआ और जी-20 के लोगो में भी कमल के ऊपर पूरी पृथ्वी को बैठाया है.
यह बड़ा संयोग है. हम तो वो लोग हैं जिनकी पैदाइश कमल से हुई है. इसलिए हमारा और आपका नाता गहरा है." इन संकेतों में ही पीएम अपने आगमन की सार्थकता सिद्ध कर गए. चुनावी साल में गुर्जरों के बीच बीजेपी की बढ़ती सक्रियता की चर्चा कई दिन से हो रही थी. पीएम के संबोधन ने उन चर्चाओं पर मुहर लगा दी.
गुर्जर योद्धाओं के शौर्य को किया याद
पीएम ने अपने संबोधन में गुर्जर योद्धाओं के शौर्य को भी याद किया. उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज शौर्य, पराक्रम और देशभक्ति का पर्याय रहा है. राष्ट्र रक्षा हो या संस्कृति की रक्षा गुर्जर समाज ने हर कालखंड में प्रहरी की भूमिका निभाई है. क्रांतिवीर भूपसिंह गुर्जर जिन्हें विजय सिंह पथिक के नाम से जाना जाता है, उनके नेतृत्व में बिजौलिया का किसान आंदोलन आजादी की लड़ाई में एक बड़ी प्रेरणा था. कोतवाल धनसिंह और जोगराज सिंह ऐसे अनेक योद्धा रहे हैं जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन दे दिया.
गुर्जर बहन-बेटियों की भी तारीफ
पीएम मोदी ने कहा कि रामप्यारी गुर्जर, पन्नाधाय जैसी नारी शक्ति की महान प्रेरणाएं भी हमें हर पल प्रेरित करती है. यह दिखाता है कि गुर्जर समाज की बहनों और बेटियों ने देश और संस्कृति की सेवा में बड़ा योगदान दिया है. यह परंपरा आज भी निरंतर समृद्ध हो रही है. देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे अनगिनत सेनानियों को इतिहास में स्थान नहीं मिल पाया. आज का भारत नया भारत है और बीते दशकों में हुई भूलों को सुधार रहा है. अब भारत की सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए जिनका भी योगदान रहा उन्हें सामने लाया जा रहा है.
सूबे के 14 जिलों में गुर्जरों का दबदबा
राजस्थान के 33 में से 14 जिलों में गुर्जरों का प्रभाव है. इन जिलों में 12 लोकसभा क्षेत्र और 40 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, झुंझुनूं, कोटा, बारां, झालावाड़, टोंक, करौली, सवाई माधोपुर जिले में गुर्जरों का दबदबा है. यहां किसी भी नेता की जीत-हार का फैसला गुर्जर ही करते हैं. इतना ही नहीं, सूबे की सरकार बनाने, बिगाड़ने और बचाने में भी गुर्जरों का अहम रोल रहता है.
इन 40 सीटों पर बड़ा प्रभाव
भीलवाड़ा जिले में आसींद, मांडल, शाहपुरा, जहाजपुर, सहाड़ा, मांडलगढ़, अजमेर जिले में पुष्कर, नसीराबाद, किशनगढ़, जयपुर जिले में दूदू, कोटपूतली, जमवारामगढ़, विराटनगर, दौसा में बांदीकुई, दौसा, लालसोट, सिकराय, महवा, कोटा में पीपल्दा, बूंदी में केशोरायपाटन, हिंडौली, खानपुरा, टोंक व सवाई माधोपुर में टोंक, निवाई, देवली उनियारा, मालपुरा, सवाई माधोपुर, गंगापुर, खंडार, झुंझुनूं में खेतड़ी, भरतपुर में नगर, कामां, बयाना, धौलपुर में बाड़ी, बसेड़ी, करौली में टोडाभीम, सपोटरा, बारां-झालावाड़ में मनोहरथाना, अलवर में बानसूर व थानागाजी सीट पर गुर्जर समाज का बड़ा प्रभाव है.
गुर्जरों ने किया था बीजेपी का सफाया
2019 के विधानसभा चुनावों में गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में बीजेपी का सफाया हो गया था. एक भी जीत बीजेपी की झोली में नहीं आई. बीजेपी के 9 गुर्जर प्रत्याशियों में से एक भी नेता की जीत नहीं हुई. मांडल से कालूलाल गुर्जर, खेतड़ी से दाताराम गुर्जर, देवली उनियारा से राजेंद्र गुर्जर, कोटा साउथ से प्रहलाद गुंजल, नगर से अनिता सिंह, बाड़ी से जसवंत सिंह, डीग से जवाहर सिंह, गंगापुर सीट से मानसिंह को बीजेपी प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन सभी हार गए.
पिछली बार चुनाव में गुर्जर समाज ने कांग्रेस पार्टी को एकतरफा समर्थन दिया था. नतीजा यह रहा कि अभी प्रदेश में मौजूदा आठों गुर्जर विधायक कांग्रेस से जुड़े हैं.
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