Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के कुछ ही दिन रह गए हैं. राजनीतिक पार्टियां के नामांकन भी शुरू हो चुके है. हालांकि मेवाड़ वागड़ यानी उदयपुर संभाग में अब तक किसी राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी ने नामांकन नहीं भरा है. साथ ही अभी भी ऐसी सीटें हैं जहां प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं. प्रत्याशियों के घोषणा की बात की तो वागड़ यानी बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की 9 विधानसभा सीटों पर राजनीतिक पार्टियों को खिचड़ी बन गई है. क्योंकि यहां 6 पार्टियों ने अपने दांव लगाए हैं. इनमें से भाजपा कांग्रेस के अलावा दो तो ऐसी मानी जा रही है जो चुनौती दे सकती हैं. जानिए क्या है वागड़ के हाल.


भाजपा और कांग्रेस को चुनौती देने के लिए तैयारी पार्टियां


मेवाड़ और वागड़ में 28 विधानसभा सीटें हैं. इनमे से 9 साइट वागड़ क्षेत्र की है जो डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले में आती है. यहां पर अब तक दो ही पार्टियों की टक्कर देखने को मिलती आ रही है, जिसमें भाजपा और कांग्रेस है. पिछले चुनाव से भारतीय ट्राइबल पार्टी ने एंट्री की थी जिसने भाजपा कांग्रेस से दो विधानसभा सीटें छीन ली थी. अब भी भारतीय ट्राइबल पार्टी ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. इसके अलावा इसी साल नई बनी भारतीय आदिवासी पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं. यह दोनों की पार्टियां खेल बिगाड़ सकती है. वहीं इनके अलावा आम आदमी पार्टी और माकपा ने भी कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं जो वोट काट सकते हैं. चुनाव ने इन 6 पार्टियों की खिचड़ी बनने वाली है.


आदिवासी राजनीति करने क्यों उतरी?


अब सवाल उठता है कि आखिर सभी पार्टियों ने यहां अपने दांव क्यों खेले. इसके पीछे कारण है 28 विधानसभा सीट. पिछले चुनाव को छोड़ दिया जाए तो अब के आंकड़े यह बता रहे हैं के जो इन 28 सीटों की जीता सरकार उसकी बनी. दूसरा यह आदिवासी वोटर्स की राजनीति. मेवाड़ वागड़ की 28 सीटों में से 16 पर आदिवासी विटर्स का प्रभुत्व है. यह आरक्षित सीटें हैं और आदिवासी वोटर्स जीत हार तय करते हैं. इनको लुभाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी सहित दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं का दौरा हो चुका है. 


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