Rajasthan Mangarh Dham: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम (Mangarh Dham) आदिवासियों का प्रमुख तीर्थ स्थल है. इस बार यहां से कई प्रदेशों को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने बड़ी रणनीति बनाई है. अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) ने इस धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की है. यहीं से यहां की सियासत की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. यहां से गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान की कुल 100 विधान सभा सीटें प्रभावित होती है.


इसमें सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश की सीटें शामिल हैं. पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को इन क्षेत्रों में कुछ ज्यादा फायदा नहीं हुआ है इसलिए इस बार इन क्षेत्रों पर कांग्रेस और भाजपा में राजनीतिक टकराहट दिख रही है. पीएम नरेंद्र मोदी (pm narendra modi ) ने पिछले साल यहाँ पर सभा भी की थी. जानिए क्या है इसके पीछे की सियासी कहानी. 


इन प्रदेशों की इन सीटों पर है प्रभाव 


जानकारी के अनुसार राजस्थान में स्थित मानगढ़ धाम का प्रभाव तीन राज्यों में है. जिसमें गुजरात 27, राजस्थान 25 और मध्यप्रदेश 48 सीटें सीधे तौर पर प्रभावित होती हैं. ये सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इन 3 राज्यों की करीब 35-40 लोकसभा सीटों पर भी आदिवासी समुदाय का असर माना जाता है. गुजरात के चुनाव में भाजपा को इन क्षेत्रों में फायदा हुआ है. अब मध्य प्रदेश और राजस्थान के चुनाव पर तैयारी शुरू हो गई है. 


राजस्थान में भाजपा की हकीकत 


राजस्थान के इन आदिवासी क्षेत्रों में बांसवाड़ा की 5 सीटों में से 2 पर बीजेपी के विधायक हैं. डूंगरपुर की 4 में से 1 ही सीट बीजेपी के पास है. प्रतापगढ़ में 2 में से एक भी सीट बीजेपी के पास नहीं है. मगर उदयपुर, चित्तौड़गढ़, पाली, सिरोही में बीजेपी की स्थिति ठीक है. इसलिए भाजपा इस मसले को बेहतर तरीके से हल करना चाहती है.   


अशोक गहलोत ने चल दी बड़ी चाल 


कल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित कराने की दिशा में भी राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है. केंद्र सरकार से मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कराने के लिए बार-बार आग्रह किया गया, लेकिन हाल ही में प्रधानमंत्री ने अपने दौरे में भी इसकी घोषणा नहीं की. ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा मना किए जाने पर राज्य सरकार राज्य निधि से मानगढ़ में विकास कार्य कराएगी. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जाति-जनजाति विकास कोष की राशि 100-100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 500-500 करोड़ रुपए करने का प्रावधान किया गया है.


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