राजस्थान में विधानसभा चुनाव का एक माह ही रह गया है. ऐसे में अब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की तरफ से सूचिया जारी करने का दौर चल रहा है. प्रत्याशियों को लेकर दोनों ही पार्टियों में कई जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन राजसमंद में बड़ा मामला सामने आया है. यहां राजसमंद जिले की चार में से तीन सीटों पर घोषित प्रत्याशियों के विरोध में कार्यकर्ता उग्र हो गए. उन्होंने अपने पार्टी कार्यालय पर ही तोड़फोड़ और पथराव कर दिया. हालात यहां तक बिगड़ गए की पुलिस थाने और पुलिस लाइन से जाब्ता बुलाना पड़ गया. बड़ी संख्या में स्थानीय पदाधिकारी ने अध्यक्ष को इस्तीफा तक सौंप दिया. जानिए क्या है मामला.
यह हुआ पूरा घटनाक्रम
दरअसल भारतीय जनता पार्टी की तरफ से शनिवार को 83 प्रत्याशियों की सूची जारी की गई थी. इसमें राजसमंद से भी तीन प्रत्याशियों के नाम थे. प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद से कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर विरोध भर आया था. लेकिन अगले दिन यह विरोध उग्र हो गया. बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और स्थानीय पदाधिकारी राजसमंद जिले के भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पर पहुंचे. यह देख बीजेपी के जिला अध्यक्ष मानसिंह बारहट भी पहुंचे.
उन्होंने कार्यकर्ताओं से बात करने की कोशिश की लेकिन कार्यकर्ता उग्र हो गए थे. कई पदाधिकारियों ने नारेबाजी करते हुए इस्तीफे सौंप दिए. यही नहीं कार्यालय में पड़े फर्नीचर को आग लगा दी और पार्टी कार्यालय के खिड़कियों पर पथराव किया. स्थिति बिगड़ती देख जिला अध्यक्ष ने कांकरोली थाने से पुलिस बुलाई लेकिन कार्यकर्ताओं ने यह कहते हुए रोक दिया कि घर का मामला अंदर पुलिस नहीं आएगी. अब उच्च पदाधिकारी इस मसले को बैठकर सुलझाने की कोशिश में लगे हैं.
इसलिए हो रहा विरोध
बीजेपी की सूची में राजसमंद सिर से दीप्ति माहेश्वरी, नाथद्वारा सीट से विश्वराज सिंह मेवाड़ और कुंभलगढ़ से सुरेंद्र सिंह रावत का टिकट घोषित किया गया. तीनों ही प्रत्याशियों के खिलाफ यह प्रदर्शन हुआ. कार्यकर्ताओं का कहना था कि परिवारवाद और बाहरी प्रत्याशी स्वीकार्य नहीं किए जाएंगे. सबसे ज्यादा विरोध दीप्ति माहेश्वरी का हुआ. इन्हीं की मां किरण माहेश्वरी यहां से विधायक और बीजेपी सरकार ने मंत्री थीं. कोविड से निधन के बाद उपचुनाव हुआ और दीप्ति माहेश्वरी विधायक बनी. वही सुरेंद्र सिंह राठौड़ यहां से लगातार दो बार से विधायक है लेकिन करीब 5 बार से चुनाव लड़ रहे हैं. साथ ही विश्वराज सिंह मेवाड़ बाहरी के रूप में विरोध है.