राजस्थान में विधानसभा चुनाव को आज से 31 दिन ही रह गए हैं. मेवाड़ की बात की जाए तो यहां लगभग सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं. कुछ सीटें है जहां जातिगत समीकरण और बागी होने की संभावना के चलते प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हो पाई है.


अभी की स्थिति में मेवाड़ 28 सीटों में दो हॉट सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों का पेंच फंसा हुआ है. बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रत्याशी घोषणा चुनौती बनी हुई है. एक सीट पर बीजेपी को 20 साल से जीत का इंतजार है तो एक सीट पर कांग्रेस को 25 साल से जीत का इंतजार हैं. जानिए क्या है इसके पीछे कारण.


8 सीटों में से यहां जारी हुए प्रत्याशियों के नाम

 

उदयपुर जिले की 8 सीटों की बात की जाए तो यहां भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 6 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिया गए हैं. वहीं कांग्रेस की बात की तो 4 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार चुकी है. इसमें बीजेपी ने उदयपुर शहर, उदयपुर ग्रामीण, गोगुंदा, झाड़ोल, सलूंबर और खेरवाड़ा और कांग्रेस ने मावली, वल्लभनगर, खेरवाड़ा और सलूंबर से प्रत्याशी उतार दिए हैं. अब दो सीट जिनकी हम बात कर रहे हैं वहां दोनो पार्टियों के लिए पेंच फसा हुआ है. इसमें वल्लभनगर विधानसभा सीट पर बीजेपी और उदयपुर शहर सीट पर कांग्रेस के लिए. 

 

वल्लभनगर और उदयपुर शहर सीट पर क्यों है पार्टियों को चुनौती

पहले हम उदयपुर शहर सीट की बात करते हैं. उदयपुर शहर सीट पर कांग्रेस पार्टी को वर्ष 1998 से जीत का इंतजार हैं. यहां लगातार बीजेपी जीतती आ रही है. यह बीजेपी का गढ़ हैं जहां कांग्रेस को जितना चुनौती. यहीं नहीं कांग्रेस पार्टी के पास यहां कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है. पहले दिनेश खोड़निया का नाम आया था लेकिन ईडी के सर्च के बाद वह फील्ड में नहीं दिख रहे. अब यहां से गौरव वल्लभ का नाम ही चल रहा है. 

अब बात करते हैं वल्लभनगर विधानसभा सीट की. यहां से कांग्रेस  उपचुनाव में विजय हुई प्रीति गजेंद्र सिंह शक्तावत को टिकट दे दिया है. लेकिन बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार तय नहीं है. यहां वर्ष 2003 से बीजेपी को जीत का इंतजार हैं. बीजेपी के दिग्गज नेता रहे रणधीर सिंह भिंडर ने जनता सेना बनाई, वहीं बीजेपी के ही उदयलाल ने आरएलपी ज्वाइन की. ऐसे में बीजेपी के तीन टुकड़े हो गए. अब यह प्रत्याशी की तलाश के साथ जितना बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई है.