Rajasthan Election 2023: मेवाड़ की 28 विधानसभा सीटों का गणित, कहां कौन भारी, किसे मिल रही चुनौती?
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान की 200 विधानसभा सीट में से मेवाड़-वागड़ (उदयपुर संभाग) में 28 सीटें ऐसी हैं, जो सरकार बनाने या बिगाड़ने में सक्षम कही जाती हैं. जानिए क्या है इनका गणित?
Udaipur Assembly Seats: राजस्थान की राजनीति में मेवाड़ एक अहम जगह रखता है. ऐसी धारणा बनी हुई है और आंकड़े भी बताते हैं कि जो मेवाड़ जीता, सरकार उसकी बनी. हालांकि, पिछली बार यह मिथक टूटा था क्योंकि कांग्रेस मेवाड़ में पीछे रही फिर भी अशोक गहलोत की सरकार बन गई. यहां ऐसी भी हॉट सीट हैं, जो हमेशा चर्चाओं में रहती हैं. क्योंकि इस क्षेत्र में कहीं कांग्रेस का गढ़ है तो कहीं बीजेपी का.
राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले अब भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) भी कुछ दम भर रही है. 16 सीटों पर आदिवासियों का वर्चस्व है. ऐसे में जानते हैं कौनसी सीट किस पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण होने वाली है.
उदयपुर की 8 विधानसभा सीटें, जहां बीजेपी का वर्चस्व और कांग्रेस को चुनौती
उदयपुर शहर सीट: मेवाड़ और वागड़ में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया हैं. ये पिछले 4 विधानसभा चुनाव से जीत हासिल करते आ रहे हैं. बड़ी बात यह है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास भी मैदान में उतरीं, लेकिन कटारिया के वर्चस्व के सामने हार गईं. कांग्रेस के लिए इस सीट पर फतह हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती है.
उदयपुर जिले की अन्य सीटों का गणित
उदयपुर जिले में 8 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 6 बीजेपी और 2 कांग्रेस के पास हैं. मेवाड़-वागड़ की 28 में से इन सीटों को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है. इन्हीं सीटों पर विधायक गुलाबचंद कटारिया की पकड़ है.
अलग-अलग सीटों को बात करें तो गोगुन्दा सीट पर दो बार प्रताप भील बीजेपी से विधायक बने, जबकि कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला इसी विधानसभा से आते हैं. इसके अलावा, सलूम्बर सीट पर बीजेपी के अमृतलाल मीणा भी दो बार से विधायक, उदयपुर ग्रामीण से बीजेपी के फूल सिंह मीणा दो बार से विधायक, मावली विधानसभा में धर्मनारायण जोशी विधायक हैं, जो 2018 में जीते. झाड़ोल ने अभी बीजेपी से बाबूलाल खराड़ी भी 2018 में जीते.
8 में से 2 सीटों पर कांग्रेस का वर्चस्व ज्यादा है. वल्लभनगर में साल 2018 से पहले जनता सेना के रणधीर सिंह भिंडर जीते और फिर कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत. इनका निधन होने के बाद उपचुनाव में इनकी पत्नी प्रीति शक्तावत खड़ी हुईं जिन्होंने जीत हासिल की. साथ ही खेरवाड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के दयाराम परमार दो बार से जीत रहे हैं. यहां बीजेपी को चुनौती है.
राजसमन्द जिला
राजसमन्द जिले में 4 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से राजसमन्द शहर और नाथद्वार हॉट सीट कही जाती है. राजसमन्द शहर सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है क्योंकि पहले किरण माहेश्वरी 4 बार से विधायक रहीं और निधन होने के बाद हुए उपचुनाव में उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी जीतीं. नाथद्वार विधानसभा सीट पर अभी कांग्रेस का वर्चस्व है, क्योंकि यहां विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी विधायक हैं. वहीं, कुम्भलगढ़ सीट पर बीजेपी के सुरेंद्र सिंह राठौड़ 6 बार से विधायक हैं और भीम में कांग्रेस से सुदर्शन सिंह रावत पिछली बार कांग्रेस आईं. यानी राजसमन्द में काँग्रेस के लिए चुनौती है.
चित्तौड़गढ़ जिला
चित्तौड़गढ़ में पांच विधानसभा सीटें हैं, जिनमें चित्तौड़गढ़ में बीजेपी के चंद्रभान सिंह आक्या 2 बार से विधायक हैं. बड़ी सादड़ी में बीजेपी के ललित ओसवाल यहां दो बार से विधायक हैं. कपासन में बीजेपी के अर्जुन लाल जीनगर चार बार से विधायक हैं. इन तीन सीटों पर कांग्रेस को चुनौती. वहीं, निम्बाहेड़ा बीजेपी-कांग्रेस की कड़ी टक्कर होती है. अभी यहां विधायक उदयलाल अंजना हैं और पहले श्रीचंद कृपलानी थे. बेगू कांग्रेस का गढ़ है, जहां से विधायक राजेन्द्र विधूड़ी एक तरफ जीत हासिल करते हैं लेकिन इससे पहले 2013 में बीजेपी के सुरेश धाकड़ जीते थे. इससे पहले से विधूड़ी ही जीतते आ रहे हैं.
प्रतापगढ़ जिला
प्रतापगढ़ में बीजेपी का कई साल से एक तरफ वर्चस्व था, जो पिछले विधानसभा चुनाव में टूटा. प्रतापगढ़ सीट से रमेश मीणा विधायक बने और वहीं उप चुनाव में धारिवाद सीट कांग्रेस के कब्जे में आई. अब यहां बीजेपी को चुनौती है.
बांसवाड़ा-डूंगरपुर
यह वागड़ क्षेत्र कहलाता है, जहां आदिवासियों का वर्चस्व है. साथ ही त्रिकोणीय टक्कर होती है क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस के अलावा यहां बीपीटी (भारतीय ट्राइबल पार्टी) का वर्चस्व काफी बढ़ा है. वागड़ की 9 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें बांसवाड़ा जिले में 5 और डूंगरपुर जिले में 4 हैं.
बांसवाड़ा की बात करें तो एक मात्र बागीदौर सीट है, जहां से कांग्रेस के महेंद्र जीत सिंह मालवीय विधायक है. यही एकमात्र विधायक हैं जो 4 बार से रिपीट हो रहे हैं. इसके अलावा, हर सीट पर हर पार्टी की हार-जीत चल रही है. अन्य 4 सीटों की बात करें तो बांसवाड़ा सीट पर कांग्रेस के अर्जुनसिंह बामनिया, घाटोल सीट पर बीजेपी के हरेंद्र निनामा, गढ़ी में बीजेपी से कैलाश मीणा, कुशलगढ़ निर्दलीय रमिला खड़िया जिन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया.
डूंगरपुर जिला
इस जिले में 4 विधानसभा सीटें है, जिसमें डूंगरपुर, सागवाड़ा, चौरासी और आसपुर है. डूंगरपुर सीट कांग्रेस का गढ़ है अभी विधायक गणेश घोघरा है. यहां लंबे समय से कांग्रेस का राज है. आसपुर सीट पर दूसरी बार बीजेपी विधायक बने गोपीचंद मीणा, सागवाड़ा में बीजेपी का था, लेकिन अभी बीटीपी का आया जहां विधायक रामप्रसाद डिंडोर है. वहीं चौरासी सीट पर अभी बीटीपी के राजकुमार रौत विधायक है लेकिन यहां पहले बीजेपी थी.
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