Rajasthan Elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा होने में कुछ ही दिन रह गए हैं. जल्द ही आचार संहिता भी लागू हो जाएगी यानी असली चुनावी बिगुल बजने ही वाला है. ऐसे में रोजाना कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं. मेवाड़ की बात करें तो उदयपुर जिले की सबसे हॉट सीट माने जाने वाली वल्लभनगर विधानसभा में बीजेपी से जुड़े नए समीकरण सामने आ रहे हैं. यहां 10 साल पहले बीजेपी से अलग होकर नई पार्टी जनता सेना बनाने वाले रणधीर सिंह भींडर की बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं. दरअसल, जनता सेना का कार्यकर्ता सम्मेलन था,  जिसमें भींडर ने बीजेपी में शामिल होने की बात कही, तब से यह बात चर्चा का विषय बनी हुई है. अब इसको लेकर पूरे मेवाड़ में चर्चाओं का माहौल गर्म है.


रणधीर सिंह भींडर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं. बीजेपी से अलग होने के बाद भी वसुंधरा के साथ मंच साझा कर चुके हैं. वल्लभनगर विधानसभा की बात की तो यहां अभी कांग्रेस पार्टी की प्रीति शक्तावत विधायक हैं. पिछले चुनाव में यहां बीजेपी से अलग रणधीर सिंह भींडर तो थे ही, उनके अलावा उदयलाल डांगी भी अलग होकर आरएलपी में शामिल होकर चुनाव लड़े थे, क्योंकि बीजेपी ने हिम्मत सिंह झाला को टिकट दिया था. ऐसे में बीजेपी के तीन तरफ वोट बंट गए थे. इससे कांग्रेस को आसान जीत मिली. अगर रणधीर सिंह भींडर शामिल होते हैं तो बीजेपी को मजबूती मिल सकती है.

 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

 

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. कुंजन आचार्य का कहना है कि, रणधीर सिंह भींडर शुरू से बीजेपी में रहे, लेकिन बीजेपी के कद्दावर नेता रहे गुलाब चंद कटारिया असम के राज्यपाल है उनसे नहीं बनी.  कह सकते हैं कि पार्टी छोड़कर नई पार्टी बनाने की वजह भी यही है. अब कटारिया राज्यपाल बनकर यहां से चले गए हैं. ऐसे में अब भींडर बीजेपी ने शामिल होने की राह आसान हुई है. अगर वह बीजेपी में शामिल होते हैं तो बीजेपी को मजबूती मिलेगी. क्योंकि कांग्रेस विधायक प्रीति शक्तावत भी मजबूत स्थिति में हैं. 

 

2013 में टिकट नहीं मिलने पर बनाई थी अलग पार्टी

 

जानकारी के अनुसार, रणधीर सिंह भींडर लंबे समय से बीजेपी से जुड़े रहे, लेकिन वर्ष 2013 ने यहां बड़ा बदलाव हुआ. बीजेपी ने रणधीर सिंह भींडर को टिकट नहीं दिया. इसके बाद उन्होंने जनता सेना पार्टी का निर्माण किया और इससे चुनाव लड़ जीत दर्ज की. हालाकि 2018 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद इसी सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अब 2023 के चुनाव में नए समीकरण बनते नजर आ रहे हैं. 

 

'धमकी नहीं, सम्मान के साथ जाएंगे बीजेपी में'

 

एबीपी न्यूज से बात कर उन्होंने कहा कि, 1993 से बीजेपी से जुड़ा हूं. चुनाव लड़ा जिसमें जीत-हार भी हुई. अब अगर बीजेपी को लगता है कि यहां हमारे बिना वह चुनाव नहीं लड़ सकती तो हमारे पास आएगी, अगर उन्हें लगता हैं कि वह चुनाव लड़ लेगी तो हमारी पार्टी जनता सेना तो है ही. रही बात कार्यकर्ताओं के साथ की तो यह मेरे कार्यकर्ता है, उनका हर समय मुझे साथ मिला है. जहा भी जाऊंगा वह मेरा साथ देंगे और साथ रहेंगे. वहीं कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि, हम बीजेपी परिवार से ही है. धक्का देकर बाहर निकल दिया तो क्या कर सकते हैं. हम परिवार में जाना चाहते हैं, लेकिन धमकियों से नहीं सम्मान से जाना चाहते हैं.