Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में मतदान संपन्न कराया जा चुका है. अब प्रदेश भर के साथ-साथ देश भर की निगाहें भी चुनावी नतीजे पर टिकी हुई हैं. राजस्थान में इस बार 199 सीटों पर 74.96 प्रतिशत वोटिंग हुई. चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार 0.9 फीसदी अधिक वोटिंग हुई है, लेकिन नागौर जिले की खींवसर सीट पर तीन फीसदी कम मतदान हुआ. खींवसर में इस बार 67.03 फीसदी वेट डाले गए हैं. ये जिला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) का है. ऐसे में उनके चेहरे के रंग भी उड़े हुए हैं. 


आरएलपी सुप्रीमो यहां त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं. वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Singh Rathore) की तारानगर सीट पर पिछली बार के मुकाबले इस बार अधिक वोटिंग हुई है. तारानगर सीट पर पिछली बार के मुकाबले इस बार 7.5 फिसदी ज्यादा वोट डाले गए हैं. हालांकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की सीट झालरापाटन में वोटिंग परसेंटेज गिरा है. यहां इस बार 76.67 फिसदी वोट पड़े हैं, जबकि पिछली बार साल 2018 में यहां 78.43 फीसदी मतदान हुआ था. 


सीएम गहलोत की सीट पर हुई कम वोटिंग
वहीं सीएम अशोक गहलोत के भी खास मंत्री हैं, जिनके इलाके में साल 2018 के मुकाबले इस बार मतदान कम हुआ है. शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, उदयलाल अंजाना, प्रमोद जैन, अशोक चांदना, राजेंद्र यादव, सुखराम विश्नोई और सुभाष गर्ग के इलाकों में साल 2018 के मुकाबले इस बार कम वोटिंग हुई  है. हालांकि शाले मोहम्मद की पोखरण सीट पर इस बार सर्वाधिक मतदान हुआ है. वहीं सीएम गहलोत के सात मंत्रियों की सीटों पर इस बार बंपर मतदान हुआ है, जबकि सीएम गहलोत की सीट सरदारपुरा में कम वोटिंग हुई है. 


वहीं 18 मंत्रियों की सीटों पर भी कम वोट डाले गए हैं. सियासी जानकारों के अनुसार प्रदेश के वोटिंग पैटर्न को देखा जाए तो ये खतरे के संकेत हैं. सीएम गहलोत के सात मंत्रियों की भी सीट फंसी हुई. ऐसा कहा जाता है कि ज्यादा मतदान होने से सत्ताधारी दल को नुकसान पहुंचता है. इस बार प्रदेश में 74.96 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जो फिछली बार के 76.6 के आंकड़े से एक फिसदी ज्यादा है.


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