Rajasthan Politics: आठ महीने बाद राजस्थान में नई सरकार होगी. प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस, भाजपा या कोई तीसरी पार्टी आएगी, यह तो जनता तय करेगी. लेकिन सरकार बनने के लिए सियासी दलों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. दोस्ती से लेकर दुश्मनी का दौर भी शुरू हो गया है. राजनीतिक पार्टियों में सह-मात का खेल भी चल रहा है. कौन किसे मात देगा? यह देखना दिलचस्प होगा. चुनाव को लेकर भाजपा की क्या रणनीति है? भाजपा में किस तरह टकराव चल रहा है? क्या चुनाव से पहले सचिन पायलट भाजपा के करीब आएंगे? इन तमाम बिंदुओं पर ABPLIVE ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां (Satish Poonia) का बिग इंटरव्यू किया. जरा आप भी पढ़िए एबीपी लाइव के सीधे सटिक सवालों का पूनियां ने कैसे दिया जवाब?
1. 2023 के राजस्थान विधान सभा चेहरा कौन होगा? वसुंधरा, गजेंद्र सिंह शेखावत, पूनियां, ओम बिरला या कोई और?
जवाब:- हमारे तमाम नेता जवाब दे चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम को लेकर हम लोग चुनाव लड़ेंगे. केंद्रीय गृह मंत्री हो या प्रदेश के प्रभारी हों, सबका एक समाहित बयान है कि नेता कौन होगा इसका फैसला समय आने पर पार्टी तय करेगी. हमारा काम नेता तय करने की जगह कांग्रेस को सत्ता से बाहर कैसे करें, इसपर ध्यान और मेहनत करना है.
2. राजस्थान भाजपा में काफी गुटबाजी है, क्या इससे भाजपा को नुकसान नहीं होगा?
जवाब:- मैं लगातार सुनता रहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी में गुटबाजी है, लेकिन मुझे लगता है कि यह कांग्रेस की गुटबाजी से तुलना करने की कोशिश की जाती है. बीजेपी में कोई गुटबाजी नहीं है, बल्कि कांग्रेस की भयंकर गुटबाजी का परिणाम है कि लोग भाजपा पर भी इस तरह के संकेत देने लगते हैं. 4 साल पहले जब अशोक गहलोत ने शपथ ली और उसके बाद भी दूसरे मुख्यमंत्री के लिए नारे लगे. कुर्सी के लिए लड़ाई हुई. इसकी परिणिति यह हुई कि डिप्टी चीफ मिनिस्टर और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को इस्तीफा देना पड़ा. दावे के साथ कह सकता हूं हमारे यहां आलाकमान कांग्रेस की तरह नहीं है. निर्णय लेने वाला है इसलिए यहां कोई गुटबाजी नहीं है. हमारा संसदीय दल मजबूत है.
3. आप पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से क्यों टक्कर ले रहे?
जवाब:- मेरा वसुंधरा राजे से टकराव नहीं है. वो पार्टी की सीनियर लीडर हैं. हम सब मिलकर एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. राजे से न तो हमारे व्यक्तिगत कोई रिश्तो में दिक्कत है और न ही पार्टी के फोरम पर भी कोई परेशानी है. हम सब एक हैं.
4. वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर आप सालासर क्यों नहीं गए?
जवाब:- 4 मार्च को संगठन की ओर से आंदोलन किया. इसकी सूचना प्रदेश के प्रभारी को भी थी. हमें अनुमान नहीं था कि वह 4 मार्च को जन्मदिन मनाएंगी. बालाजी जाकर पूजा-अर्चना करने जाएंगी, यही जानकारी थी. चार मार्च को विधानसभा स्थगित होने वाली थी, इसलिए हम लोगों ने बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर उस कार्यक्रम किया. शाम 6 बजे तक पुलिस ने हमें डिटेन किया हुआ था.
5. क्या संगठन के कार्यक्रम में नहीं आने वाले सांसद-विधायकों पर कोई एक्शन?
जवाब:- जो जयपुर में था या जो नहीं था. किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही. हमारा फोकस जयपुर जिले के आसपास की जो 19 विधानसभा सीटें हैं उनके विधायकों और उन लोगों को जोड़ना था. बड़ी संख्या में लोग जुड़े भी.
5. क्या कारण है कि गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद बीजेपी नेता प्रतिपक्ष नहीं तय कर पा रही है?
जवाब:- राजनीतिक पार्टियां अपने हिसाब से चीजों को तय करती हैं. अगर आप देखें तो पिछले साढ़े 4 सालों में राजस्थान विधान सभा में उपाध्यक्ष नहीं है. यह भी एक बड़ी बात है. लेकिन वहीं अगर देखा जाए तो कहा जा रहा है कि विधान सभा सत्र 5-7 दिनों के बचा हुआ है. उसके बाद लगता है किसी पर कोई निर्णय लिया जाय.
6. बीजेपी टिकट बंटवारे को लेकर क्या फार्मूला अपना रही है?
जवाब:- टिकट के बंटवारे का फॉर्मूला भी केंद्र को तय करना है. स्टेट यूनिट तो बस सहयोगी के तौर पर काम करती है. आलाकमान मुस्तैद है, वह किसी भी कीमत पर कोई कमी नहीं चाहेगा. हां, यह सही है कि पार्टी ने कई सारे राज्यों में नए लोगों को मौका दिया है. हमारे यहा उम्र को लेकर काम चल रहा है. हमारे यहां पहले मंडल अध्यक्ष 60 साल का हुआ करते थे. अब 30 साल के कई है. इतना ही नहीं जिलाध्यक्ष भी 40 साल के कई हैं. बड़ी संख्या में युवा भाजपा से जुड़ा हुआ है और काम भी कर रहा है. उन सबके मन में उत्कंठा होती थी. बीजेपी कोई एक अपना नया फॉर्मूला अपना सकती है, और चीजें देखने को मिल सकती है.
7. सीएम गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी को लेकर संगीन आरोप लगाए हैं. इस पर क्या कहना चाहेंगे?
जवाब:- मुख्यमंत्री को मैं नजदीक से देख रहा हूं. जब से वैभव गहलोत को गजेंद्र सिंह शेखावत ने चुनाव हराया है, तब से उनके खिलाफ मुख्यमंत्री ने आंदोलन सा छेड़ दिया है. मुख्यमंत्री ऐसे बोल रहे हैं, जैसे लग रहा हो कि SOG का मुखिया ही बोल रहा हो. बिना जांच के ही सीएम ने सारी बातें कह दी. ऐसे में मानहानि का मुकदमा दर्ज होता है, जो बाद में दिल्ली में हुआ भी. मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री के अंदर हताशा और निराशा है. उनको कुर्सी की चिंता है और उन्हें अपने पुत्र की भविष्य की बहुत ज्यादा चिंता सता रही है. केंद्रीय मंत्री के खिलाफ टिप्पणी करना और उनकी माताजी के ऊपर टिप्पणी करना, यह बड़ा दुर्भाग्य है. जो बड़ा दुखद है. ऐसा नहीं होना चाहिए.
8. पुरानी पेंशन योजना, हेल्थ स्कीम सहित अन्य योजनाओं के जरिए कांग्रेस ने जीत का फॉर्मूला तैयार कर लिया है. इसके काउंटर में भाजपा के पास क्या प्लान है?
जवाब:- राजस्थान की सरकार ने सारी अव्यवस्थाओं पर पर्दा डालने के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम, ₹500 का सिलेंडर, 100 यूनिट बिजली के तमाम चीजें ले करके आई थी, लेकिन सरकार इसके कुछ कर नहीं पा रही क्योंकि अभी भी किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा, बेरोजगारी का मुद्दा और कानून व्यवस्था का मुद्दा बना हुआ है. क्योंकि उसमें सरकार विफल हो रही है. मुख्यमंत्री ने पॉपुललिस्टिक चीजों के द्वारा अपनी सरकार के पाप को ढकने का काम किया है. लेकिन जनता यह जानती है देखती हो और समझती है. जनता को पता है कि सरकार को क्या करना था और क्या कर रही है.
9. सचिन पायलट के साथ आपकी दोस्ती यारी कैसी चल रही?
जवाब:- सचिन पायलट दूसरी पार्टी के नेता हैं और हमारा उनका एक अच्छा संबंध है. दुआ-सलाम बढ़िया है. हमने एक साथ मंच साझा किया था. वर्ष 2019 में लंदन में एक मंच पर हम और पायलट थे और उसमें कोई पार्टी की बातचीत नहीं हुई थी. उसमें जो बातचीत हुई थी वह उस कार्यक्रम को सब जानते हैं. वहां पर सब लोग मौजूद थे और यह सब चीजें सबके सामने है. एक पार्टी के नेता को सम्मान है, वह हम रखते हैं और वह बना रहेगा ऐसी कोई बात नहीं है, लंदन में हमारी बातें हुई थी राजस्थान को लेकर हुई थी और वहां पर हुई थी. हमारी जहां पर मुलाकात हुई थी, उसके बारे में लोग अनुमान लगाते हैं. ऐसा नहीं है हमारी वहां पर कोई सियासी बातचीत हुई थी.
10. पायलट के प्रति पूनियां और भाजपा सॉफ्ट क्यों है?
जवाब:- एक होती है विरासत की राजनीति, और एक होता है परिश्रम. वर्ष 2018 में जो हमने देखा है उसे कैसे इनकार कर सकते हैं. राजस्थान की तो परंपरा रही है यहां पर दुश्मन के घाव भी सराहे जाते हैं. इसमें कोई भी ऐसी बात नहीं है. सचिन पायलट के प्रति सहानुभूति और सम्मान है. एक प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पायलट के काम को देखा हूं. कांग्रेस ने पायलट के साथ अन्याय किया है और यह बात साफ है कि कांग्रेस ने अपने नेताओं को सम्मान कम दिया है. सचिन पायलट और अशोक गहलोत में जो हुआ उसका नुकसान जनता को उठाना पड़ा.
11. 2020 में सचिन पायलट भाजपा में आने वाले थे. इसकी आपके पास कोई जानकारी थी क्या?
जवाब:- सचिन पायलट के भाजपा में आने की मुझे बिल्कुल कोई जानकारी न थी. इस तरह की चीजों में लगने की बजाय हम अपनी पार्टी के संगठन को और ठीक तरीके से चलाने पर काम करना है. इसके मेरे पास कोई साक्ष्य नहीं हैं.
12. क्या भविष्य में पायलट को बीजेपी में लाने की कोई तैयारी है?
जवाब:- हमें इस पर कोई काम करने की आवश्यकता नहीं है. पार्टी कोई पहल नहीं करेगी. भाजपा समुद्र है. इसमें नेताओं का विचारधाराओं का और संगठनों का मेल होता है और समाहित होता है. हमें अपनी तरफ से कोई प्रयास नहीं करना है. कोई पहल नहीं करना है. इसके पूर्व बहुत लोग आए उनका सम्मान हुआ है. पार्टी ने सम्मान दिया. जैसे उदाहरण के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को देख लीजिए.
13. वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत या ओम बिरला में से आप किसी पंसद करते हैं?
जवाब:- वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत या ओम बिरला तीनों अपने आप में अच्छे नाम हैं. सक्षम नाम है. इनके अलावा भी कई नाम है. दर्जनों नाम आपने लिए और भी कई नाम हो सकते हैं. लेकिन मैं कौन होता हूं उनके नाम पर मुहर लगाने वाला. हमारे यहां पार्टी का संसदीय दल तय करता है. वन, टू और थ्री मैं नाम लेकर नहीं बता सकता.
14. कांग्रेस में आपका पंसदीदा नेता?
जवाब:- कांग्रेस में कई अच्छे नेता हैं. मैं राजस्थान में तीन पीढ़ियों के साथ काम किया हूं. इसलिए मैं कह सकता हूं जो कांग्रेस के नेता मुझे पसंद थे वो अब इस दुनिया में नहीं है.