Rajasthan Assembly Bypoll 2024: राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. राजनीतिक दलों ने जीत के लिए बिसात बिछाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस और बीजेपी समेत अन्य पार्टियां चुनावी मैदान में उतर गयी हैं. सात सीटों में सिर्फ सलंबूर पर बीजेपी का कब्जा था. चार सीट कांग्रेस के पास, एक बीएपी के पास और एक आरएलपी के पास थी. अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा हॉट सीट मानी जाती है. जानते है रामगढ़ के सियासी समीकरण क्या कहते हैं?


कांग्रेस विधायक जुबैर खान के निधन से रामगढ़ सीट खाली हुई थी. रामगढ़ में चुनाव को हिन्दू वर्सेज मुस्लिम बना दिया जाता है. बीजेपी पर हिंदूवादी कार्ड खेलने का आरोप लगता रहा है. कांग्रेस भी अक्सर मेव मुस्लिम को प्रत्याशी बनाती आई है. रामगढ़ से जुबैर खान चार बार विधायक रहे. एक बार उनकी पत्नी सफिया खान ने भी रामगढ़ का विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया.


बीजेपी के हिंदूवादी नेता ज्ञान देव आहूजा तीन बार विधायक बने. पिछले चुनावों में बीजेपी ने ज्ञान देव आहूजा का टिकट काटकर भतीजे जय आहूजा को प्रत्याशी बनाया था. उनकी भी छवि एक कट्टर हिंदूवादी नेता की मानी जाती है. चुनाव में जय आहूजा को हार मिली थी. हार का कारण बीजेपी के बागी सुखवंत सिंह बने. टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी से बगावत कर दी थी. उन्होंने आजाद समाज पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा.


बेटा संभालेगा पिता की विरासत?


सुखवंत सिंह की वजह से बीजेपी के घोषित प्रत्याशी जय आहूजा को हार मिली. दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी जुबैर खान की राह आसान होती चली गई. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी भूपेंद्र यादव ने सुखवंत सिंह की घर वापसी करवाई. 11 माह बाद विधायक जुबेर खान के निधन से खाली हुई सीट पर उपचुनाव की तैयारियों में राजनीतिक दल जुट गये हैं. रामगढ़ सीट पर कांग्रेस को प्रत्याशी उतारने के लिए माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी. कांग्रेस नेताओं की तरफ से संकेत मिला है कि उपचुनाव का टिकट जुबैर खान के परिवार को मिलेगा. जुबैर खान की पत्नी के बजाय छोटे बेटे आर्यन की चर्चा ज्यादा है. आर्यन को पिता के इंतेकाल से सहानुभुति मिल सकती है.


क्या कहते हैं सियासी समीकरण?


बेटे को पिता की राजनीतिक विरासत संभालने का मौका मिलेगा. बीजेपी में टिकट के लिए रस्साकशी चल रही है. एक सीट पर टिकट के कई दावेदारों की वजह से बीजेपी की चिंता बढ़ गयी है. बीजेपी पिछले चुनाव की तरफ बगावत का मौका नहीं देना चाहती. पिछले दिनों रामगढ़ दौरे पर आए प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ प्रत्याशी को मिलकर जिताया जायेगा. ज्ञान देव आहूजा, जय आहूजा, सुखवंत सिंह और बनवारी लाल सिंघल संभावित चेहरे के तौर पर देखे जा रहे हैं. दूसरी लाइन के नेताओं ने भी टिकट मिलने की आस लगा रखी है. उप जिला प्रमुख रहे रमन गुलाटी हर चुनाव में दावेदारी जताते हैं.


देवेंद्र दत्ता शिंटु भी टिकट के लिए जी तोड़ मेहनत करते देखे गये हैं. पूर्व विधायक  रघुवर दयाल के बेटे नरेश गोयल का नाम भी दावेदारों की सूची में आता है. सुदेश खाम्बरा, निर्मल सूरा, ईश भारद्वाज टिकट की दौड़ में हाथ पांव मारते आए हैं.


बता दें कि झुंझनू, दौसा, देवली- उनियरा, खींवसर, चौरासी, सलंबूर और रामगढ़ में 13 नवंबर को चुनाव कराये जायेंगे. मतदान के नतीजे 23 नवंबर को आयेंगे. उपचुनाव की नामांकन प्रक्रिया 18 से 25 अक्टूबर तक चलेगी. पांच सीटों पर विधायकों के सांसद बनने से उपचुनाव होंगे. दो सीटों पर विधायकों का निधन हो चुका है. 


(रिपोर्ट- जुगल गांधी)


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