Rajasthan News: जातीय जनगणना को लेकर सैंथवार समाज ने किया कार्यक्रम, बोले- 'वोट बैंक के लिए मिटाई जा रही हमारी पहचान'
Jaipur News: राष्ट्रीय सैंथवार मल्ल मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जहां एक तरफ जातीय जनगणना पर विमर्श चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ हमारी जाति के पहचान को खत्म करने की साजिश रची जा रही है.
Rajasthan News: अब जब हर तरफ जाति आधारित जनगणना की बात हो रही है, तो ऐसे में राष्ट्रीय सैंथवार क्षत्रिय समाज ने भी एक कार्यक्रम किया. इस कार्यक्रम में राजस्थान के भी सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया है, चूंकि ये समाज यूपी के मऊ का है इसलिए ये जातियां वहीं से निकली हैं. मगर इनका असर अब कई राज्यों में है, इस वजह से जयपुर में भी बड़ी संख्या में इस जाति के लोग रहते हैं. कार्यक्रम में शामिल हुए वीरेंद्र सिंह और डॉ सुभाष सिंह ने बताया कि, ऐसे कार्यक्रम अब बहुत जरूरी हो गए हैं. यह संगठन भले ही यूपी में शुरू हुआ, लेकिन पूरे भारत से लोग इसमें जुटे हैं.
पितृ पक्ष में पूर्वांचल के लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं. इस दरम्यान पितरों को तर्पण और पिंड दान करते हैं. मऊ जिले के नत्थूपुर गावं में अपने पूर्वजों को याद करने के लिए देश के सैथवार-मल्ल क्षत्रिय समाज के लोग इक्कट्ठे हुए. इस अवसर पर विरादरी के ढेर सारे प्रतिभाओं को सम्मानित भी किया गया है. रक्तदान शिविर में ब्लड डोनेट किया गया और भाईचारा का संदेश दिया गया है.
राजस्थान से मऊ तक का कनेक्शन
दरअसल, सहस्त्र वार और मल्ल दोनों प्राचीन काल में क्षत्रिय योद्ध के रूप में विख्यात थे. कालान्तर में राजा महाराजाओं ने पराक्रमी योद्धाओं को मल्ल की उपाधि से नवाजा था. सहस्त्र वार (सैंथवार ) मूल रूप से क्षत्रिय थे. मल्ल युद्द में पारंगत होने की वजह से मल्ल क्षत्रियों को मल्ल की उपाधि की गई थी. रामायण कालीन भगवान लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेतु के समय मल्ल वंसजों के इतिहास व पराक्रम को देखते हुए मल्ल युद्द में पारंगत मल्ल क्षत्रियों को मल्ल की उपाधि दी गई. ऐसा बताया जाता है कि, माता सरयू के पावन तट पर महाराजा राम चन्द्र के पुत्र लव की राजधानी थी जिनके वंशज सहस्त्र वार (सैंथवार ) माने जाते हैं. वहीं सरयू नदी के पूर्वी छोर पर दूसरे पुत्र कुश का साम्राज्य का विस्तार था.
जातीय जनगणा का असर
राष्ट्रीय सैंथवार मल्ल मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज सिंह सैंथवार ने कहा कि, जहां एक तरफ जातीय जनगणना पर विमर्श चल रहा है. वहीं दूसरी तरफ हमारी जाति के पहचान को समाप्त करने के लिए और अपने वोट बैंक के लिए राजनीतिक दल कुचक्र रच रहे हैं. इसमें हमारे गौरवशाली इतिहास को झुठलाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है. घोसी नव निर्माण मंच के संस्थापक और अखिल भारतीय पंचायत परिषद के मीडिया सलाहकार बद्री नाथ मल्ल विषेन ने कहा कि, क्षत्रिय समाज का रक्षक होता है.