Rajasthan Election Result 2023: राजस्थान की राजनीति के लिए आज सबसे अहम दिन है. विधानसभा चुनाव के परिणाम शाम तक जारी हो जाएंगे और इसी के साथ यह साफ हो जाएगा कि प्रदेश में अशोक गहलोत की सरकार कायम रहेगी या फिर बीजेपी सत्ता में वापस करेगी. हालांकि, रुझानों हर पांच साल पर सरकार बदलने वाला रिवाज इस बार भी कायम होता दिख रहा है. रुझानों में बीजेपी बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए काफी आगे चली गई है. 199 सीटों के रुझान में बीजेपी 109 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, कांग्रेस 70 सीटों पर बढ़त बनाए है. ऐसे में कहा जा सकता है कि पांच साल काम करने के बाद भी अशोक गहलोत का जादू इस बार कम होता दिख रहा है.
रुझानों के हिसाब से अगर राजस्थान में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ता है, तो इसकी तीन वजहें हो सकती हैं. इनमें मुख्य वजह है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच की अनबन. जानें क्या हो सकते हैं वो बड़े कारण-
1. राजस्थान कांग्रेस की अंतर्कलह
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की कलह किसी से छुपी नहीं है. दोनों नेताओं ने अपनी नाराजगी जग जाहिर की है. हालांकि, चुनाव से कुछ समय पहले कांग्रेस नेतृत्व के साथ ये दोनों नेता भी दावे करते रहे कि पार्टी में कोई टूट नहीं है और सभी एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे. हुआ भी कुछ ऐसा ही. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक पायलट औऱ गहलोत ने मिलकर चुनाव लड़ा और पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं दिखी. इसके बावजूद, कांग्रेस में कुछ तो ऐसा हुई जिसकी वजह से जनता का विश्वास कम पड़ा हो और रुझानों में कांग्रेस को उम्मीद के अनुसार बढ़त न मिल पाई.
इतना ही नहीं, अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के खिलाफ कई गंभीर शब्दों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने पायलट को गद्दार, निकम्मा और नाकारा तक करार दिया था. इस पर सचिन पायलट की प्रतिक्रिया आई थी जब प्रेस कांंफ्रेंस में उन्होंने कहा कि उन पर कई आरोप लगाए गए, लेकिन वह इसलिए चुप थे क्योंकि पार्टी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे.
2. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के दौरान कलह
गहलोत-पायलट के बीच की लड़ाई तब भी साफ दिखी जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन होना था. अशोक गहलोत का नाम भी इस रेस में शामिल था, लेकिन उन्होंने अपनी इच्छा से नाम वापस ले लिया. राजनीतिक जानकारों का मानना था कि अशोक गहलोत किसी भी सूरत में राज्य की कमान छोड़ने को तैयार नहीं थे. इससे अहम बात यह थी कि गहलोत नहीं चाहते थे कि सचिन पायलट को सत्ता की कमान हासिल हो. इसलिए वह कई बार ऐसा कह चुके थे कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर वो खुद को नहीं बल्कि राहुल गांधी को देखना चाहते थे.
3. सचिन पायलट का कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा
अप्रैल 2023 में सचिन पायलट ने एक बड़ा कदम उठाते हुए राजधानी जयपुर में एक दिन का अनशन किया. यह धरना वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ था. या फिर यह कहें कि ऐसा दिखाया जा रहा था कि धरना तत्कालीन बीजेपी सरकार में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ है. असल में सचिन पायलट ने इस अनशन के जरिए अशोक गहलोत पर ही निशाना साधा था. उनका कहना था कि वह मुख्यमंत्री गहलोत से कई बार कह चुके थे कि राजे सरकार में हुए पेपर लीक की जांच करवाएं और आरोपियों को पकड़ें लेकिन अशोक गहलोत ने नहीं सुनी. सचिन पायलट का तात्पर्य था कि अशोक गहलोत वसुंधरा राजे को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में पायलट का यह दांव कांग्रेस के खिलाफ था और इससे भी पार्टी के अंतरद्वंद्व की वजह साफ दिखाई दे रही थी.