Rajasthan Assembly Election Results 2023: राजस्थान की राजधानी जयपुर जिले की आमेर विधानसभा सीट पर बीजेपी के हार की कई कहानी है. सतीश पूनिया यहां चुनाव मैदान में थे. जहां से उन्हें पिछली बार 13 हजार से अधिक मतों से जीत मिली थी वहीं पर इस बार उन्हें 9092 मतों से हार मिली है. इस हार के पीछे कई कहानी है. यहां पर भितरघात हुआ है. जिसका असर इस चुनाव पर पड़ा है. चूंकि सतीश पूनियां जाट और किसान नेता हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इन्हें दिल्ली का केंद्रीय नेतृत्व कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है. जैसे यूपी में केशव प्रसाद मौर्या को हारने के बाद भी डिप्टी सीएम बनाया गया था. उत्तराखंड में चुनाव हारने के बाद भी पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया गया था. चूंकि, जातिगत समीकरण साधने के लिए ये प्रयोग पहले भी हो चुके हैं. यहां पर भी करीब दो दर्जन सीटों पर सतीश पूनियां ने चुनावी प्रचार भी किया था. जहां पर उन्हें जीत मिली है.
राजस्थान, हरियाणा, यूपी, दिल्ली में जाट और किसान को साधने के लिए सतीश पूनियां को जिम्मेदारी मिल सकती है. इसके साथ ही राजस्थान में इस बार जो चुनाव हुए हैं उसमें जाट सीटों पर बीजेपी को चुनौती मिली है. उसे साधने के लिए यह प्रयोग हो सकता है. यूपी की कई सीटों पर सतीश ने प्रचार भी किया है. जहां पर पार्टी को फायदा भी हुआ है. राजस्थान में बीजेपी के पास कोई बड़ा जाट लीडर का चेहरा भी नहीं है. इसे लेकर अब पार्टी और दिल्ली में सियासी समीकरण बनाये जा रहे हैं. मारवाड़ और मेवाड़ में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में इनकी मजबूत पकड़ है. उसका भी लाभ इस बार भाजपा को मिला है.
सतीश पूनियां क्यों है पार्टी के लिए खास ?
संघनिष्ठ सतीश पूनिया किसान, ओबीसी और जाट समुदाय से आते हैं. जिनकी राजस्थान से लेकर यूपी, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान से सटे उत्तरी गुजरात के किसान वर्ग और मारवाडियों में पकड़ होने के साथ एक मजबूत प्रभाव है. लो प्रोफ्राइल लीडर पूनियां के राजनीतिक भविष्य का नया अध्याय बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व तय कर सकता है. ऐसे में वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव हैं और देशभर के साथ उत्तर भारत की लोकसभा सीटें भी बीजेपी के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं, बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व सतीश पूनियां को किस भूमिका में रखना चाहेगा, यह भविष्य के गर्भ में हैं ? इसके लिए कसरत शुरू हो चुकी है.