Rajatshan Politics: राजस्थान में इस बार चुनाव से पहले सबकुछ साफ नहीं हो पा रहा है. किसे कहा से और कौन टिकट दिला सकता है यह भी साफ नहीं है. जबकि, इसके पहले के चुनाव में यह सब कुछ क्लियर हो जाता था. हर कोई अपने-अपने नेता के साथ बना रहता था. मगर, इस बार दोनों दलों कांग्रेस और बीजेपी में स्थिति साफ नहीं है.


इससे भी रोचक मामला यह हो रहा है कि बीजेपी के कई बुजुर्ग और दिग्गज नेता पाला बदलने में लगे हुए है. वहीं कांग्रेस के यूथ लीडर बीजेपी की तरफ अपना रुझान दिखा रहे हैं. क्योंकि, बीजेपी सूत्रों का कहना कि इस बार 35 से 50 साल की उम्र के लोगों को अधिक टिकट दिया जाएगा. वहीं कांग्रेस सूत्रों का कहना कि पार्टी जिसे जीतने की स्थिति में देखेगी उसे टिकट दे देगी. इन्हीं वजहों से यह स्थिति बनी हुई है. 


बीजेपी और कांग्रेस के इन नेताओं की चर्चा 


राजस्थान की राजनीति में मजबूत स्थान रखने वाले कैलाश मेघवाल को बीजेपी ने निलंबित कर दिया है. उनके बाद पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी, विधायक सूर्यकांता व्यास ने भी अपना झुकाव कांग्रेस की तरफ दिखा दिया है. इसके साथ ही साथ बीजेपी के कई पूर्व मंत्री कांग्रेस की तरफ जाने को तैयार हैं. कई तो बस वेट एंड वॉच में है. ये वो नेता है, जिन्हें यह लगता है कि उनका टिकट बीजेपी से कट जाएगा और कांग्रेस उन्हें मैदान में उतार या सहयोग कर सकती है. बीजेपी की तरफ से भी पूरी तैयारी है. कार्रवाई भी की जा रही है. वहीं कांग्रेस से बड़ी संख्या में युवा विधायक और विधानसभा में प्रत्याशी रहे नेता बीजेपी की तरफ आना चाह रहे है. पिछले दिनों जिस तरह से जोति मिर्धा की बीजेपी में एंट्री हुई है, उससे कई और की संभावना दिखने लगी है. 


'बीजेपी डूबता हुआ जहाज' 


कांग्रेस प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी का कहना है कि बीजेपी डूबता हुआ जहाज है. बीजेपी में भगदड़ मची हुई है. वहां पर किसी को अपनी पार्टी पर भरोसा नहीं है. इसलिए वहां से लोग इधर आने के लिए उत्सुक हैं. 


'सरकार से युवा और महिलाएं परेशान' 


वहीं बीजेपी प्रवक्ता हिमांशु शर्मा का कहना है कि पिछले साढ़े चार सालों में राजस्थान की सरकार से यहां युवा, महिला और बेरोजगार सभी परेशान हैं. उन्हें कोई उम्मीद या भरोसा नहीं दिख रहा है. इसलिए सभी को बीजेपी की तरफ की इच्छा हो रही है. 


अपने बुजुर्गों को संभालने की जरूरत 


राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों में बुजुर्ग नेताओं को सहेज कर रखने की जरुरत है. बीजेपी की केंद्र में सरकार है. चुनाव के वक्त में ऐसा होता है, कुछ लोगों को सिद्धांत की परवाह नहीं है, उन्हें जल्दी से आगे बढ़ने की चाहत है. 


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