Rajasthan Chunav 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election 2023) को लेकर एक बड़ा सर्वे हुआ है. इसमें लोगों की राय पिछले चुनाव के मुकाबले बदलती हुई दिखाई दे रही है. सर्वे के नतीजे बताते हैं कि पिछले चुनाव में वोट देते समय 48 फीसदी लोगों ने पार्टी देखकर वोट किया था, जबकि 2023 के चुनाव के लिए 53 फीसदी लोगों ने कहा कि वो वोट देते समय उम्मीदवार को देखेंगे. 


वोट देते समय क्या देखेंगे पार्टी या प्रत्याशी


इस सर्वे में लोगों से पूछा गया कि पिछली बार के चुनाव में किस आधार पर वोट किया था.इस सर्वे में शामिल 41 फीसदी लोगों ने प्रत्याशी देखकर वोट किया था. वहीं 48 फीसदी लोगों ने पार्टी देखकर, दो फीसदी ने जाति देखकर, एक फीसदी ने धर्म देखकर और आठ फीसदी ने अन्य बातों के आधार पर वोट किया था. 


वहीं जब लोगों से यह पूछा गया कि इस बार वो वोट देने में किसी पार्टी को तरजीह देंगे. इस सवाल का जवाब देने वाले 56 फीसदी लोग उस पार्टी से खुश हैं, जिसे उन्होंने पिछले चुनाव में वोट किया था. वहीं 28 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अभी कुछ तय नहीं किया है. 14 फीसदी लोगों ने कहा कि इस बार वो किसी दूसरी पार्टी को वोट देंगे. निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन में दो फीसदी लोगों ने राय दी.


प्रत्याशी युवा चाहिए या अनुभवी


सर्वे में शामिल लोगों  से जब यह पूछा गया कि वो अपने क्षेत्र में इस बार कैसा प्रत्याशी चाहते हैं तो 46 फीसदी लोगों ने युवा प्रत्याशी को तरजीह दी. वहीं 45 फीसदी लोगों ने 55 साल से अधिक आयु के प्रत्याशी को अपनी पसंद बताया. वहीं 9 फीसदी लोगों ने अन्य में अपनी रुची दिखाई. 


वहीं जब लोगों से यह सवाल किया गया कि क्या एक ही परिवार के लोगों को बार-बार टिकट दिया जाना चाहिए. इस सवाल के जवाब में 83 फीसदी लोगों ने ना में जवाब दिया. केवल आठ फीसदी लोगों ने हां का विकल्प चुना. वहीं 9 फीसदी लोगों ने कहा कि वो इस विषय में कुछ कह नहीं सकते. 


पार्टी देखकर वोट देंगे या जाति-धर्म


लोगों से जब यह पूछा गया कि इस बार विधायक चुनने में उनकी प्राथमिकता क्या होगी. इस सवाल के जवाब में 53 फीसदी लोगों ने प्रत्याशी के आधार पर वोट करने की बात कही. वहीं 36 फीसदी लोगों ने कहा कि वो पार्टी देखकर वोट करेंगे. वहीं एक फीसदी लोग जाति और दो फीसदी लोगों ने धर्म के आधार पर वोट करने की बात कही. और आठ फीसदी लोगों ने अन्य आधार पर वोट देने की बात कही.


लोगों से जब यह पूछा गया कि अगर प्रत्याशी उनकी पसंद का नहीं हुआ तो क्या करेंगे. इस सवाल के जवाब में 55 फीसदी लोगों ने कहा कि वो अपनी पसंदीदा पार्टी को वोट देंगे. वहीं 24 फीसदी लोगों ने नोटा को वोट देने की बात कही तो 21 फीसदी लोगों ने कहा कि वो दूसरी पार्टी को वोट दे देंगे. 


दलबदलुओं को लेकर क्या है लोगों की राय


इस सर्वे में लोगों से एक सवाल यह भी किया गया कि क्या दो से अधिक बार जीतने वाले को टिकट मिलना चाहिए.इस सवाल के जवाब में 45 फीसदी लोगों की राय थी कि नहीं. वहीं 39 फीसदी लोगों ने हां के रूप में और 16 फीसदी ने कह नहीं सकते के रूप में जवाब दिया. 


वहीं जब लोगों से यह सवाल पूछा गया कि क्या वे चुनाव में या जीत के बाद पार्टी बदलने वालों को वोट देंगे. इस सवाल के जवाब में 83 फीसदी लोगों ने नहीं कहा जबकि हां कहने वालों की संख्या केवल पांच फीसदी थी. नौ फीसदी लोगों ने कहा कि वो इस विषय में कुछ कह नहीं सकते हैं. 


अपराधी या दागी उम्मीदवार के जीतने की संभावना


वहीं जब लोगों से यह पूछा गया कि अगर उनकी पसंदीदा पार्टी किसी अपराधी या दागी को चुनाव मैदान में उतारे तो किसे चुनेंगे. इस सवाल के जवाब में 32 फीसदी लोगों ने कहा कि वो दूसरी पार्टी को वोट दे देंगे. वहीं 26 फीसदी लोगों ने कहा कि वो साफ छवि वाले निर्दलीय उम्मीदवार को चुनेंगे. केवल 22 फीसदी लोगों ने ही कहा कि वो अपनी पसंदीदा पार्टी को ही वोट देंगे तो 20 फीसदी लोगों ने नोटा को वोट देने की बात स्वीकार की.


यह सर्वे अखबार 'दैनिक भास्कर' ने करवाया है. इस सर्वे में 34 हजार 614 लोगों की राय ली गई.


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