Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव आ रहे हैं, पार्टियां एक-एक विधानसभा सीट को लेकर गणित बैठाने में लगी हुई है. ऐसे में आपको ऐसे सीट के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां कांग्रेस के एक ऐसे नेता रहे जो इस सीट पर आजादी के बाद से लेकर उनकी मृत्यु तक लगातार कई बार विधायक रहे. यही नहीं, विधायक के साथ वह राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे. ऐसे में कह सकते हैं कि सीट पर आजादी के बाद से लंबे समय तक कांग्रेस का राज रहा और यहां से मुख्यमंत्री के साथ, विधायक मंत्री भी रहे. 


हालांकि यह सीट बीजेपी के हाथ में भी गई लेकिन अभी फिलहाल फिर कांग्रेस के पास ही है. जिस विधानसभा की हम बात कर रहे हैं वह है उदयपुर संभाग की बांसवाड़ा जिले की जनजातीय सीट बांसवाड़ा शहर. इसे वागड़ की को लीड करने वाली सीट भी कह सकते हैं. जानते हैं क्या कहती है यहां की गणित. 


यहां की प्रमुख मांग रेल
बांसवाड़ा जिला जनजातीय क्षेत्र हैं और गुजरात के करीब है. यहां का प्रमुख केंद्र बिंदु माही डैम है जो विशाल जल भंडार रखे हुए है. हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नए जिलों की घोषणा की थी जिसमें बांसवाड़ा जिले को संभाग बनाकर यहां को लंबे समय पुरानी मांग को पूरा कर दिया, लेकिन ऐसी मांग है को लंबे समय से चली आ रही है. साथ ही चुनावी मुद्दा भी बनता है. 


अब यह भी कहा जा रहा हैं, संभाग तो बना एल, अब रेल भी चला दो. रेल सेवा बांसवाड़ा के नजदीक में अभी डूंगपुर जिले में हैं जिसकी ब्रॉडगेज लाइन पिछले साल अक्टूबर पीएम नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था. इसके अलावा, माही नहर का पानी नॉन कमांड तक ले जाना. 


मुख्यमंत्री रहे जोशी, 10 बार विधानसभा चुनाव जीते
राजनीति विश्लेषक डॉ. कुंजन आचार्य कहते हैं कि यूं तो कहने को बांसवाड़ा विधानसभा सीट जनजाति बाहुल्य सीट है लेकिन 2008 से पहले तक यह सामान्य सीट हुआ करती थी. राजस्थान के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हरिदेव जोशी का नाम एक ऐसे राजनेता के रूप में इतिहास में दर्ज है जिन्होंने आजादी के बाद से लेकर उनकी मृत्यु तक इस सीट पर विधायक के रुप में जीतते रहे. 


ऐसा रिकॉर्ड डीग के विधायक मानसिंह पर भी है लेकिन वे निर्दलीय रहे थे जबकि जोशी कांग्रेस के उम्मीदवार रहे. हरिदेव जोशी 10 बार विधायक रहे. हरिदेव जोशी की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने उनके पुत्र दिनेश जोशी को टिकट दिया था लेकिन उन्हें विजय हासिल ना हो सकी और इतने वर्षों तक सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस से यह सीट भारतीय जनता पार्टी के भवानी जोशी ने छीन ली. 


भाजपा के पास आई यह सीट
कुंजन आचार्य बताते हैं कि जोशी को मृत्यु के बाद उनके बेटे प्रत्याशी बने जिन्हें भाजपा के भवानी जोशी ने उन्हें हराया. भवानी जोशी यहां से 2 बार विधायक रहे. एक बार मंत्री भी रहे. बाद में यह सीट जनजाति की सीट में परिवर्तित हो गई और भारतीय जनता पार्टी के धन सिंह रावत विजयी हुए और मंत्री भी बनाए गए. पिछले चुनाव में धन सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वह बागी होकर निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतर गए थे.


इस कारण भारतीय जनता पार्टी ने उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया था जिसे अभी हाल ही में पुनः पार्टी में शामिल किया गया है. अभी इस सीट से कांग्रेस के अर्जुन सिंह बामणिया विधायक हैं. जिन्हें जनजाति विकास राज्यमंत्री बनाया गया है.


दोनो पार्टी से ब्राह्मण प्रत्याशी ही विधायक रहे
कुंजन आचार्य बताते हैं कि जनजातीय सीट बनने से पहले तक यह सामान्य सीट थी. यह भी आश्चर्य का विषय है कि उस दौरान दोनों ही पार्टी से केवल ब्राह्मण प्रत्याशी ही इस सीट से विधायक निर्वाचित हुआ. बांसवाड़ा गुजरात से लगता हुआ जिला है, जहां प्राकृतिक खूबसूरती बहुतायत में है लेकिन आज तक यहां रेल लाइन नहीं डाली गई.


वर्षों से यहां के राजनेताओं की और जनता की मांग रेल लाइन को स्थापित करने की ही रही है.जनजाति क्षेत्र होने और साक्षरता दर कम होने के कारण यहां चुनावी मुद्दे इतने महत्वपूर्ण नहीं होते. जातिगत समीकरण आदिवासी वोट जाति और चेहरा देखकर तय किए जाते हैं.


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