Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में बीजेपी (BJP) ने अपने प्रत्याशियों की तीसरी सूची जारी कर दी है जिसमें 58 प्रत्याशियों के नाम है. इस में मेवाड़ (Mewar) और वागड़ (Wagad) क्षेत्र की बात करें तो यहां 5 नामों की घोषणा हुई है. इसमें पूर्व सांसद और बागी नेता को भी मौका दिया गया है. आइए जानते हैं कौन हैं वो पांच प्रत्याशी और कैसा रहा है उनका राजनीतिक सफर...
वल्लभनगर उदयलाल डांगी को मौका
वल्लभनगर विधानसभा सीट से उदयलाल डांगी को मौका दिया गया है. उदयलाल डांगी ने वर्ष 2018 में इसी सीट से चुनाव लड़ा था और उनकी हार हुई थी. इसके बाद वर्ष 2021 में बाय इलेक्शन में बीजेपी ने इनका टिकट काट दिया तो वह बागी होकर आरएलपी में शामिल हो गए और फिर उससे चुनाव लड़ा और फिर हार गए. अब वह दोबारा बीजेपी में शामिल हुए.
वल्लभनगर विधानसभा सीट से उदयलाल डांगी को मौका दिया गया है. उदयलाल डांगी ने वर्ष 2018 में इसी सीट से चुनाव लड़ा था और उनकी हार हुई थी. इसके बाद वर्ष 2021 में बाय इलेक्शन में बीजेपी ने इनका टिकट काट दिया तो वह बागी होकर आरएलपी में शामिल हो गए और फिर उससे चुनाव लड़ा और फिर हार गए. अब वह दोबारा बीजेपी में शामिल हुए.
बांसवाड़ा में धनसिंह को टिकट
बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर बीजेपी ने धन सिंह रावत को प्रत्याशी चुना है. धनसिंह रावत 2004 में बांसवाड़ा लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं. इसके बाद वर्ष 2013 ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर मंत्री बने. 2018 में इन्हें टिकट नहीं दिया तो बागी बनकर चुनाव लड़ा और हार गए. इसके बाद पार्टी में अभी शामिल हुए और बांसवाड़ा से इन्हें मौका दिया गया है.
अर्जुन लाला को कपासन का टिकट
अर्जुन लाला जीनगर को चित्तौड़गढ़ जिले की कपासन विधानसभा सीट प्रत्याशी बनाया है. अर्जुनलाल जीनगर श्रीचंद कृपलानी के समकक्ष हैं. 1993 से लेकर अब तक 6 चुनाव लड़ चुके हैं और चार बार जीत हासिल की है. इनका भी टिकट 2008 में कटा तो बागी हुए और चुनाव लड़ा. हालांकि वह हार गए. फिर 2018 में बीजेपी के टिकट से जीतकर विधानसभा पहुंचे.
बेगू में सुरेश धाकड़ पर भरोसा
बेगू विधानसभा सीट से सुरेश धाकड़ को प्रत्याशी बनाया गया है. वर्ष 2013 में चुनाव जीतने वाले धाकड़ को 2018 में हार का मुंह देखना पड़ा था. अभी चित्तौड़गढ़ जिला प्रमुख हैं. अब पार्टी ने फिर मौका दिया और प्रत्याशी बनाया.
भीम में हरी सिंह को मौका
भीम से प्रत्याशी बनाए गए हरी सिंह चौहान का लंबा राजनीतिक करियर रहा है. यह वर्ष 2003 से 2013 तक विधायक रहे. वर्ष 2018 में इन्हें हार का सामना करना पड़ा. पार्टी ने एक बार फिर मौका दिया है.